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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Aug 2023
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उत्तराखंड की जेलों में बंद 39 कैदियों को मिलेगी ‘आजादी’

चर्चा में क्यों?

9 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के डीआईजी जेल धदिराम मौर्य ने प्रदेश की सभी जेलों को जेलों में बंद 39 कैदियों को स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगाँठ पर रिहा करने के आदेश जारी किये हैं।  

प्रमुख बिंदु 

  • विदित है कि इस संबंध में गत चार अगस्त को शासन ने आदेश जारी किया था।  
  • आज़ादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों पर देशभर की जेलों से कैदियों को रिहा किया जा रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों उत्तराखंड शासन ने प्रदेश के अच्छे व्यवहार वाले कैदियों की सज़ा माफी के संबंध में विचार-विमर्श किया था।  
  • इन कैदियों को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनके परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। 
  • ये सब कैदी विभिन्न अपराधों में दोषसिद्ध किये गए हैं। इनके अलावा प्रदेश में छह विदेशी मूल के कैदियों को भी रिहा करने पर  विचार चल रहा है। ये सब कैदी विभिन्न जेलों में बंद हैं।


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शासन ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति (एमएसएमई) की अधिसूचना जारी की

चर्चा में क्यों?

10 अगस्त, 2023 को उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) की स्वीकृति के बाद शासन ने राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति (एमएसएमई) की अधिसूचना जारी की है।  

प्रमुख बिंदु 

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति में राज्य सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में नए उद्योगों में निवेश और रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये सब्सिडी में बढ़ोतरी की है। 
  • नीति के अनुसार महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांगों को नए उद्योगों में निवेश करने पर सरकार पाँच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देगी।  
  • इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि आधारित प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिये मंडी शुल्क में पाँच साल तक 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी। 
  • पहाड़ों में निवेश करने पर 50 लाख से चार करोड़ रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम सब्सिडी 1.50 करोड़ होगी।  
  • नीति में महिलाओं, एससीएसटी, दिव्यांगों के स्वामित्व वाले उद्योगों को पाँच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। इन्हें सूक्ष्म श्रेणी के उद्योग के लिये पाँच लाख, लघु श्रेणी के लिये 10 लाख और मध्यम श्रेणी के उद्योग के लिये 15 लाख रुपए सब्सिडी दी जाएगी। 
  • नीति में चिह्नित ए और बी श्रेणी के क्षेत्रों में कृषि उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों को पाँच साल तक मंडी शुल्क में प्रति वर्ष 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।  
  • इसके अलावा उद्योगों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र, ट्रेड मार्क, क्वालिटी मार्किंग, पेटेंट कराने के लिये अधिकतम एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
  • उद्योगों को दिये जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन के लिये राज्य व ज़िला स्तर पर प्राधिकृत कमेटी गठित की जाएगी। इसमें राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष उद्योग महानिदेशक होंगे। ज़िला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष संबंधित ज़िलाधिकारी होंगे।  
  • इसके अलावा शासन स्तर पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष उद्योग सचिव होंगे।


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