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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Aug 2023
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वन भूमि के गैर-वन संबंधी इस्तेमाल में झारखंड छठे स्थान पर

चर्चा में क्यों?

9 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक वन भूमि का गैर- वन संबंधी कार्यों में उपयोग करनेवाले शीर्ष छह राज्यों में झारखंड छठे स्थान पर है।  

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि पूरे देश में 15 वर्षों में करीब तीन लाख हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों (फॉरेस्ट डायवर्ट) के लिये किया गया। इसमें करीब पाँच फीसदी वन भूमि झारखंड की है।
  • वहीं, झारखंड में मौजूद कुल वन क्षेत्र के हिसाब से बीते 15 वर्षों में करीब 16 हज़ार हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों के लिये किया गया।  
  • भारत सरकार की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे अधिक वन भूमि डायवर्ट करनेवाले राज्यों में सबसे ऊपर पंजाब है। यहाँ करीब 61,318 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों के लिये किया गया है। मध्य प्रदेश दूसरे और ओडिशा तीसरे स्थान पर है। 
  • झारखंड में 2008-09 से 2012-13 तक राज्य में सबसे अधिक वन भूमि को डायवर्ट किया गया। इस दौरान करीब 9,444 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की गई। बाद के शासन काल में वन भूमि डायवर्ट करने की गति धीमी रही।  
  • 2018-19 में करीब 1,448 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की गई। अन्य वर्षों में 100 से लेकर 400 हेक्टेयर तक वन भूमि डायवर्ट की गई थी। 
  • ‘फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में करीब 23,611 वर्ग किमी. में वन क्षेत्र है। अति सघन वन क्षेत्र करीब दो वर्ग किमी. घटा है। सघन वन क्षेत्र दो वर्ग किमी. के आसपास बढ़ा है। करीब 110 वर्ग किमी. अन्य वन क्षेत्र बढ़ा है। 
  • यहाँ कुल भौगोलिक स्थिति का करीब 29 फीसदी भाग में वन भूमि है। हर साल यहाँ वन भूमि बढ़ रही है। 
  • झारखंड के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणि) लाल रत्नाकर सिंह ने बताया कि झारखंड खनिज के मामले में संपन्न राज्य है। ज़्यादातर खनिज वन भूमि में होता है। इसके खनन के लिये वन भूमि का डायवर्सन ज़रूरी है। यह विकास की ज़रूरत है। 
  • परंतु यह ध्यान रखना चाहिये कि जितनी वन भूमि डायवर्ट हो रही है, उससे अधिक पौधे लगाए जाएँ। सघन वन को बचाया जाए, जहाँ भी खनन का काम हो रहा है, उसको वन लगाकर विकसित किया जाए।


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फाइलेरिया मुक्त झारखंड के लिये अभियान शुरू

चर्चा में क्यों?

10 अगस्त, 2023 को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के वर्चुअल शुभारंभ के दौरान झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्य के 9 फाइलेरिया प्रभावित ज़िलों (चतरा, हजारीबाग, लातेहार, पलामू, सरायकेला, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा और पश्चिमी सिंहभूम) में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिये शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • यह कार्यक्रम 10 अगस्त से 25 अगस्त तक चलाया जाएगा।  
  • राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य जिस प्रकार कालाजार के उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर है, उसी तरह झारखंड से फाइलेरिया का उन्मूलन भी शीघ्र होगा। फाइलेरिया मुक्त झारखंड बनाने के लिये सामुदायिक सहभागिता के साथ ही अंतर-विभागीय समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है।  
  • अभियान में लगभग 1 करोड़ 34 लाख लाभुकों को दवा प्रशासकों द्वारा नि:शुल्क फाइलेरिया रोधी दवाएँ अपने सामने ही खिलाई जाएंगी।  
  • राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सभी 9 ज़िलों में से हजारीबाग और पश्चिमी सिंहभूम ज़िलों में 2 दवाएँ डीईसी और अल्बेंडाजोल एवं अन्य 7 ज़िलों में 3 दवाएँ डीईसी, अल्बेंडाजोल के साथ आईवरमेंक्टिन की निर्धारित खुराक दवा प्रशासकों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी। 
  • ये दवाएँ पूरी तरह सुरक्षित हैं। ये दवाएँ 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जाएंगी। ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी हैं।  
  • इस कार्यक्रम की निगरानी हेतु पर्यवेक्षकों को भी लगाया गया है तथा किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में ज़िला एवं ब्लॉक स्तर पर रेपिड रिस्पॉन्स टीमों का भी गठन किया गया है।
  • रैपिड रिस्पॉन्स टीम दवा के सेवन के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये आवश्यक दवाओं के साथ मौके पर सक्रिय रहेगी। 
  • राज्य के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने बताया कि राज्य स्तर से ज़िला स्तर तक समन्वय बनाकर, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिये सुनियोजित रणनीति के अनुसार कार्य किया जा रहा है, ताकि कार्यक्रम के अंतर्गत संपादित होने वाली गतिविधियाँ गुणवत्ता के साथ पूर्ण की जा सकें और कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाइयों और मानव संसाधनों की कोई कमी न हो।  
  • इस कार्यक्रम की प्रतिदिन राज्य स्तर पर समीक्षा की जाएगी और कार्यक्रम के दौरान आने वाली हर समस्या का तुरंत समाधान किया जाएगा। इस बार 100 प्रतिशत लाभार्थियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सुनिश्चित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 
  • विदित है कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है और यह दुनियाभर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।  
  • किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुँचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।  
  • फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।  
  • ज्ञातव्य है कि राज्य में अप्रैल 2023 के आँकड़ों के अनुसार लिम्फेडेमा के 54172 मरीज एवं हाइड्रोसील के 40561 मरीज चिन्हित किये गए हैं।


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