उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में पेश किये चार विधेयक
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में उ.प्र. दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) संशोधन विधेयक, 2023 समेत चार विधेयक पेश किये, जिन्हें पास भी करा लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में कहा कि प्रदेश में 31 दिसंबर, 2021 तक सीआरपीसी की धारा 107 और 109 के तहत शमन शुल्क भरकर अथवा स्वत: समाप्त होने वाले मुकदमों को खत्म कर दिया जाएगा।
- गौरतलब है कि पुराने प्रकरणों में अभियुक्त बार-बार समन भेजने पर उपस्थित नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में लंबित वादों की संख्या बढ़ती जाती है। अब अदालतों का समय बचेगा।
- उ.प्र. माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक पर चर्चा करते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इससे छोटे कारोबारियों को ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के जरिये व्यापार करने में सुविधा होगी। अभी तक कम टर्नओवर वाले व्यापारियों का पंजीकरण नहीं हो पाता था। इसी वजह से जीएसटी के तहत इसकी बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम से विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। इसकी शुरुआत 60 विद्यार्थियों से होगी। इसमें नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जारी है।
- इससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- इसके साथ ही उ.प्र. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक, 2023 और उ.प्र. निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2023 भी पास करा लिये गए।
राजस्थान Switch to English
प्रदेश के मानगढ़ धाम में विश्व आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन
चर्चा में क्यों?
9 अगस्त, 2023 को राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले के मानगढ़ धाम पर विश्व आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आदिवासी क्षेत्र के लिये अनेक घोषणाएँ कीं।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना राज्य सरकार का सपना है। राज्य सरकार ने आदिवासियों के प्रति ज़िम्मेदारी निभाते हुए क्षेत्रविशेष के लिये जनहितैषी योजनाएँ संचालित कर हर व्यक्ति को लाभ पहुँचाना सुनिश्चित किया है।
- उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किये जाने पर अब राज्य सरकार धाम के विकास में 100 करोड़ रुपए व्यय करेगी।
- विदित है कि देश की आज़ादी के लिये गोविंद गुरु के नेतृत्व में हज़ारों आदिवासियों ने बलिदान दिया था। राज्य सरकार द्वारा उनकी शहादत में राजकीय अवकाश घोषित किया गया है।
- साथ ही, क्षेत्र के बेणेश्वर धाम पर पुल सहित अन्य कार्यों के लिये 135 करोड़ रुपए की लागत से कार्य शुरू हो गए हैं।
- किसानों और आमजन के लिये बहुउपयोगी 2500 करोड़ रुपए की अपर हाई लेवल कैनाल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
- आदिवासी क्षेत्र के विद्यार्थियों को 200 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति वितरित की गई है। साथ ही, 219 छात्रावासों में हज़ारों विद्यार्थी रहकर अपना भविष्य सँवार रहे हैं।
- मुख्यमंत्री की आदिवासी क्षेत्र के लिये घोषणाएँ:
- मानगढ़ क्षेत्र स्थित भैरवजी मंदिर पर पुल बनेगा। इसमें 37 करोड़ रुपए व्यय होंगे।
- राज्य सरकार ने टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत् 2000 बाहरी शिक्षकों के तबादले का निर्णय लिया है। इससे अब इस क्षेत्र के शिक्षकों को पढ़ाने का अवसर मिलेगा।
- टीएसपी क्षेत्र के साथ प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी माँ-बाड़ी केंद्र खोले जाएंगे।
- आदिवासी क्षेत्र सहित प्रदेश के 1 लाख बच्चे छात्रावासों में रहकर पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिये छात्रावासों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।
- समारोह में सांसद राहुल गांधी ने अन्नपूर्णा फूड पैकेट और स्मार्टफोन योजना के लोगो का अनावरण करते हुए एक लाभार्थी को पैकेट एवं स्मार्टफोन प्रदान किया।
राजस्थान Switch to English
‘इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना’का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित बिड़ला ऑडिटोरियम सभागार में रिमोट का बटन दबाकर एवं लाभार्थी महिलाओं-छात्राओं को स्मार्टफोन प्रदान कर ‘इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना’का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- ‘इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना’आईटी क्षेत्र में क्रांति के साथ ही महिलाओं के सशक्तीकरण का बड़ा माध्यम बनेगी। योजना के माध्यम से प्रदेश की लगभग हर महिला के हाथ में मोबाइल होगा।
- मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में डिजिटल सखी हैंडबुक ‘सीखो डिजिटल, सिखाओ डिजिटल’का विमोचन भी किया। हैंडबुक में मोबाइल के उपयोग संबंधी समस्त जानकारियाँ रंगीन चित्रों के साथ समाहित की गई हैं।
- इस अवसर पर इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना से संबंधित लघु वीडियो फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
- योजना के अंतर्गत चिरंजीवी परिवारों की 1.35 करोड़ महिलाओं को 3 साल की इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ स्मार्टफोन दिये जाएंगे। प्रथम चरण में 40 लाख महिलाओं एवं छात्राओं को स्मार्टफोन दिये जाने की शुरुआत हुई है।
- योजना के अंतर्गत प्रत्येक स्मार्टफोन के लिये 6800 रुपए लाभार्थियों को डीबीटी किये जा रहे हैं तथा प्रारंभ में 20 जीबी डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है।
- अब शिविरों में महिलाओं को बिना किसी परेशानी के ससम्मान स्मार्टफोन उपलब्ध करवाये जाएंगे। साथ ही, कैंप में उन्हें मोबाइल चलाने की जानकारी भी मिलेगी।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि योजना के दूसरे चरण में 80 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन उपलब्ध करवाए जाएंगे। महिलाओं को स्मार्टफोन उपलब्ध करवाना रेवड़ी नहीं होकर महिला सशक्तीकरण का एक माध्यम है। मोबाइल के अनेक तरह के उपयोग हैं, जिनसे जीवन सुगम होता है।
- उन्होंने कहा कि ‘नॉलेज इज पावर की थीम’पर यह योजना लाई गई है। स्मार्टफोन के माध्यम से महिलाओं की कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच एवं जुड़ाव सुनिश्चित हो सकेंगे। वे स्वयं लाभान्वित होने के साथ-साथ और महिलाओं को जागरूक कर समाज सेवा भी कर सकेंगी।
मध्य प्रदेश Switch to English
उज्जैन में बनेगा देश का पहला यूनिटी मॉल
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश के उज्जैन में देश का पहला यूनिटी मॉल बनेगा। इसके निर्माण के लिये वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 284 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- यह स्वीकृति भारत सरकार की ‘स्कीम ऑफ स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर केपिटल इन्वेस्टमेंट 2023-24’ के तहत दी गई है।
- नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने यूनिटी मॉल का निर्माण समय-सीमा में करवाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये हैं।
- यूनिटी मॉल वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट, जी.आई. प्रोडक्ट, हस्तशिल्प उत्पाद एवं अन्य स्थानीय उत्पादों के प्रमोशन एवं विक्रय के लिये वन स्टाप मार्केट प्लेस के रूप में कार्य करेगा। प्रदेश में सभी ज़िलों के उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिये दुकानें रहेंगी।
- यूनिटी मॉल में अन्य राज्यों के प्रमुख उत्पाद भी उपलब्ध रहेंगे। यहाँ सभागार, खाने के स्टॉल और गार्डन भी रहेगा।
- उल्लेखनीय है कि प्रत्येक प्रदेश में एक यूनिटी मॉल का निर्माण होना है। भारत सरकार से पहली स्वीकृति मध्य प्रदेश को मिली है।
हरियाणा Switch to English
होम गार्ड्स को मेडल देने के लिये राज्य सरकार को भेजा जाएगा एक प्रस्ताव
चर्चा में क्यों?
8 अगस्त, 2023 को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने चंडीगढ़ में गृह रक्षी एवं नागरिक सुरक्षा विभाग (होमगार्ड) के उच्च अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बताया कि गृह रक्षी (होम गार्ड) स्वयं सेवकों को उत्कृष्ट सेवाएँ देने के लिये मेडल से सम्मानित करने हेतु जल्द ही एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा, गृह मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य के सभी होम गार्ड्स को प्रत्येक माह की 7 तारीख तक उनका ड्यूटी भत्ता मिल जाना चाहिये।
- बैठक में उन्होंने बताया कि होम गार्ड्स को पुलिसिंग ड्यूटी के लिये पुलिस कर्मचारियों की तर्ज़ पर जोखिम भत्ता देने हेतु एक प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।
- साथ ही, स्वयं सेवकों द्वारा पोस्टल बैलेट का प्रयोग करने हेतु एक प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा जाएगा।
- बैठक में गृह मंत्री को अवगत कराया गया कि राज्य में 14 हज़ार होमगार्ड की क्षमता (स्ट्रेंथ) है और वर्तमान में राज्य में 12 हज़ार होमगार्ड कार्यरत् हैं, जिनमें से 9050 गृह रक्षी स्वयं सेवक पुलिस विभाग में कानून व्यवस्था, यातायात एवं चालक इत्यादि की ड्यूटियों का निर्वहन कर रहे हैं।
- गृह मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि होम गार्ड्स को ईपीएफ इत्यादि देने का प्रावधान किया जाए।
- बैठक में अधिकारियों ने बताया कि गृह रक्षी स्वयं सेवकों को एचडीएफसी बैंक द्वारा एक्सीडेंटल डेथ क्लेम 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए किया गया है।
- इसके अलावा, प्राकृतिक मृत्यु होने पर स्वयं सेवकों के आश्रित को बैंक द्वारा 3.25 लाख रुपए देने का भी प्रावधान किया गया है।
- बैठक में अधिकारियों ने अवगत कराया कि वर्तमान में हरियाणा गृह रक्षी स्वयं सेवकों को पंचकूला स्थित संयुक्त प्रशिक्षण संस्थान में समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण (यातायात, बाढ़ आपदा, प्राथमिक सहायता इत्यादि) दिये जा रहे हैं।
- इसके अलावा होम गार्ड्स को जल्द ही करनाल में स्थापित होने वाले प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
- वर्तमान में 14 ज़िलों के गृह रक्षी स्वयं सेवकों के पहचान-पत्र बनवाए गए है तथा शेष ज़िलों के पहचान-पत्र प्रक्रियाधीन हैं।
झारखंड Switch to English
वन भूमि के गैर-वन संबंधी इस्तेमाल में झारखंड छठे स्थान पर
चर्चा में क्यों?
9 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक वन भूमि का गैर- वन संबंधी कार्यों में उपयोग करनेवाले शीर्ष छह राज्यों में झारखंड छठे स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि पूरे देश में 15 वर्षों में करीब तीन लाख हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों (फॉरेस्ट डायवर्ट) के लिये किया गया। इसमें करीब पाँच फीसदी वन भूमि झारखंड की है।
- वहीं, झारखंड में मौजूद कुल वन क्षेत्र के हिसाब से बीते 15 वर्षों में करीब 16 हज़ार हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों के लिये किया गया।
- भारत सरकार की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे अधिक वन भूमि डायवर्ट करनेवाले राज्यों में सबसे ऊपर पंजाब है। यहाँ करीब 61,318 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर-वन कार्यों के लिये किया गया है। मध्य प्रदेश दूसरे और ओडिशा तीसरे स्थान पर है।
- झारखंड में 2008-09 से 2012-13 तक राज्य में सबसे अधिक वन भूमि को डायवर्ट किया गया। इस दौरान करीब 9,444 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की गई। बाद के शासन काल में वन भूमि डायवर्ट करने की गति धीमी रही।
- 2018-19 में करीब 1,448 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की गई। अन्य वर्षों में 100 से लेकर 400 हेक्टेयर तक वन भूमि डायवर्ट की गई थी।
- ‘फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में करीब 23,611 वर्ग किमी. में वन क्षेत्र है। अति सघन वन क्षेत्र करीब दो वर्ग किमी. घटा है। सघन वन क्षेत्र दो वर्ग किमी. के आसपास बढ़ा है। करीब 110 वर्ग किमी. अन्य वन क्षेत्र बढ़ा है।
- यहाँ कुल भौगोलिक स्थिति का करीब 29 फीसदी भाग में वन भूमि है। हर साल यहाँ वन भूमि बढ़ रही है।
- झारखंड के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणि) लाल रत्नाकर सिंह ने बताया कि झारखंड खनिज के मामले में संपन्न राज्य है। ज़्यादातर खनिज वन भूमि में होता है। इसके खनन के लिये वन भूमि का डायवर्सन ज़रूरी है। यह विकास की ज़रूरत है।
- परंतु यह ध्यान रखना चाहिये कि जितनी वन भूमि डायवर्ट हो रही है, उससे अधिक पौधे लगाए जाएँ। सघन वन को बचाया जाए, जहाँ भी खनन का काम हो रहा है, उसको वन लगाकर विकसित किया जाए।
झारखंड Switch to English
फाइलेरिया मुक्त झारखंड के लिये अभियान शुरू
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के वर्चुअल शुभारंभ के दौरान झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्य के 9 फाइलेरिया प्रभावित ज़िलों (चतरा, हजारीबाग, लातेहार, पलामू, सरायकेला, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा और पश्चिमी सिंहभूम) में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिये शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- यह कार्यक्रम 10 अगस्त से 25 अगस्त तक चलाया जाएगा।
- राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य जिस प्रकार कालाजार के उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर है, उसी तरह झारखंड से फाइलेरिया का उन्मूलन भी शीघ्र होगा। फाइलेरिया मुक्त झारखंड बनाने के लिये सामुदायिक सहभागिता के साथ ही अंतर-विभागीय समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है।
- अभियान में लगभग 1 करोड़ 34 लाख लाभुकों को दवा प्रशासकों द्वारा नि:शुल्क फाइलेरिया रोधी दवाएँ अपने सामने ही खिलाई जाएंगी।
- राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सभी 9 ज़िलों में से हजारीबाग और पश्चिमी सिंहभूम ज़िलों में 2 दवाएँ डीईसी और अल्बेंडाजोल एवं अन्य 7 ज़िलों में 3 दवाएँ डीईसी, अल्बेंडाजोल के साथ आईवरमेंक्टिन की निर्धारित खुराक दवा प्रशासकों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी।
- ये दवाएँ पूरी तरह सुरक्षित हैं। ये दवाएँ 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जाएंगी। ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी हैं।
- इस कार्यक्रम की निगरानी हेतु पर्यवेक्षकों को भी लगाया गया है तथा किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में ज़िला एवं ब्लॉक स्तर पर रेपिड रिस्पॉन्स टीमों का भी गठन किया गया है।
- रैपिड रिस्पॉन्स टीम दवा के सेवन के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये आवश्यक दवाओं के साथ मौके पर सक्रिय रहेगी।
- राज्य के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने बताया कि राज्य स्तर से ज़िला स्तर तक समन्वय बनाकर, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिये सुनियोजित रणनीति के अनुसार कार्य किया जा रहा है, ताकि कार्यक्रम के अंतर्गत संपादित होने वाली गतिविधियाँ गुणवत्ता के साथ पूर्ण की जा सकें और कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाइयों और मानव संसाधनों की कोई कमी न हो।
- इस कार्यक्रम की प्रतिदिन राज्य स्तर पर समीक्षा की जाएगी और कार्यक्रम के दौरान आने वाली हर समस्या का तुरंत समाधान किया जाएगा। इस बार 100 प्रतिशत लाभार्थियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सुनिश्चित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- विदित है कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है और यह दुनियाभर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।
- किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुँचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।
- फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
- ज्ञातव्य है कि राज्य में अप्रैल 2023 के आँकड़ों के अनुसार लिम्फेडेमा के 54172 मरीज एवं हाइड्रोसील के 40561 मरीज चिन्हित किये गए हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ बना देश का पहला राज्य, जहाँ तैयार की गई आंगनबाड़ी एवं बालवाड़ी गतिविधि आधारित पुस्तिका
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की दिशा में राज्य ने अभूतपूर्व कार्य करते हुए बालवाड़ी एवं आंगनवाड़ी के बच्चों के लिये गतिविधि पुस्तिका एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ के लिये दैनिक कार्य योजना का निर्माण किया है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जिसने इस क्षेत्र में पुस्तिका का निर्माण किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह पुस्तिका राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में ईसीसीई के अनुरूप यूनिसेफ के सहयोग से 03 से 06 वर्ष के बच्चो के लिये तैयार की गई है, जिसके लिये एससीईआरटी की विशेषज्ञ टीम द्वारा पिछले एक वर्ष से लगातार इसमें मेहनत की गई है।
- कार्यक्रम में संचालक एससीईआरटी राजेश सिंह राणा द्वारा इस पुस्तिका के निर्माण, महत्त्व और आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए आगे की कार्य योजना बताई गई।
- इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री ने इस पुस्तिका को राज्य के छोटे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिये नितांत आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण बताया। इससे शिक्षा की नींव मज़बूत होगी, जिसका लाभ भविष्य में देखने को मिलेगा।
- इस अवसर पर खिलौना आधारित शिक्षण शास्त्र पर खिलौना प्रदर्शनी भी लगाई गई।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड की जेलों में बंद 39 कैदियों को मिलेगी ‘आजादी’
चर्चा में क्यों?
9 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के डीआईजी जेल धदिराम मौर्य ने प्रदेश की सभी जेलों को जेलों में बंद 39 कैदियों को स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगाँठ पर रिहा करने के आदेश जारी किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि इस संबंध में गत चार अगस्त को शासन ने आदेश जारी किया था।
- आज़ादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों पर देशभर की जेलों से कैदियों को रिहा किया जा रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों उत्तराखंड शासन ने प्रदेश के अच्छे व्यवहार वाले कैदियों की सज़ा माफी के संबंध में विचार-विमर्श किया था।
- इन कैदियों को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनके परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा।
- ये सब कैदी विभिन्न अपराधों में दोषसिद्ध किये गए हैं। इनके अलावा प्रदेश में छह विदेशी मूल के कैदियों को भी रिहा करने पर विचार चल रहा है। ये सब कैदी विभिन्न जेलों में बंद हैं।
उत्तराखंड Switch to English
शासन ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति (एमएसएमई) की अधिसूचना जारी की
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2023 को उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) की स्वीकृति के बाद शासन ने राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति (एमएसएमई) की अधिसूचना जारी की है।
प्रमुख बिंदु
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति में राज्य सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में नए उद्योगों में निवेश और रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये सब्सिडी में बढ़ोतरी की है।
- नीति के अनुसार महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांगों को नए उद्योगों में निवेश करने पर सरकार पाँच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देगी।
- इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि आधारित प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिये मंडी शुल्क में पाँच साल तक 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
- पहाड़ों में निवेश करने पर 50 लाख से चार करोड़ रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम सब्सिडी 1.50 करोड़ होगी।
- नीति में महिलाओं, एससीएसटी, दिव्यांगों के स्वामित्व वाले उद्योगों को पाँच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। इन्हें सूक्ष्म श्रेणी के उद्योग के लिये पाँच लाख, लघु श्रेणी के लिये 10 लाख और मध्यम श्रेणी के उद्योग के लिये 15 लाख रुपए सब्सिडी दी जाएगी।
- नीति में चिह्नित ए और बी श्रेणी के क्षेत्रों में कृषि उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों को पाँच साल तक मंडी शुल्क में प्रति वर्ष 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
- इसके अलावा उद्योगों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र, ट्रेड मार्क, क्वालिटी मार्किंग, पेटेंट कराने के लिये अधिकतम एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- उद्योगों को दिये जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन के लिये राज्य व ज़िला स्तर पर प्राधिकृत कमेटी गठित की जाएगी। इसमें राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष उद्योग महानिदेशक होंगे। ज़िला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष संबंधित ज़िलाधिकारी होंगे।
- इसके अलावा शासन स्तर पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष उद्योग सचिव होंगे।
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