उत्तर प्रदेश Switch to English
आईआईटी कानपुर ने तैयार किया आत्मघाती ड्रोन
चर्चा में क्यों?
10 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार दुश्मनों की खोजखबर की जानकारी देने वाले ड्रोन के सफल संचालन के बाद अब आईआईटी कानपुर ने आत्मघाती ड्रोन तैयार किया है। यह ड्रोन दुश्मन के ठिकाने पर जाकर खुद ही फट जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सुब्रमण्यम सडरेला और उनकी टीम ने इसे विकसित किया है।
- यह आत्मघाती ड्रोन भारतीय सीमा से 100 किमी. की दूरी तय कर वार करेगा। 100 किमी. पहुँचने में इसे 40 मिनट का समय लगेगा।
- आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सुब्रमण्यम सडरेला ने बताया कि दुश्मनों की रडार में न आने के लिये इसमें स्टेल्ड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
- यह ड्रोन अल्गोरिदम के हिसाब से चलता है। मतलब, यह खुद भी फैसला ले सकेगा और इसे बेस स्टेशन से रिमोट से भी नियंत्रित किया जा सकता है। ड्रोन निर्धारित टारगेट से सिर्फ दो मीटर ही भटक सकता है। यह दिन के अलावा रात में भी उड़ान भरने में सक्षम है।
- प्रो. सडरेला ने बताया कि डीआरडीओ के डीवाईएसएल प्रोजेक्ट के तहत एक साल से इस ड्रोन पर रिसर्च काम चल रहा है। यह दो मीटर लंबा फोल्डेबल फिक्स्ड विंग वाला ड्रोन है। यह 100 मीटर से साढ़े चार किमी. की ऊँचाई तक उड़ने में सक्षम है।
- प्रो. सडरेला ने बताया कि यह ड्रोन स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। यह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक पर काम करेगा। इस ड्रोन में सेना की जरूरतों के मुताबिक बदलाव भी संभव होगा।
- ड्रोन की विंग में कैमरे और इंफ्रारेड सेंसर लगे हैं। इसे कैटपल्ट या कैनिस्टर लांचर से लांच किया जा सकता है। एआई तकनीक की मदद से यह ड्रोन जीपीएस ब्लॉक होने के बाद भी टॉरगेट को तबाह कर देगा।
- ड्रोन पर आईआईटी के वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं। आपदा और सेना की ज़रूरतों के मुताबिक रिसर्च कर ड्रोन विकसित किया जा रहा है। ड्रोन छह महीने के ट्रायल के बाद पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।
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