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एकीकृत नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
10 जून, 2022 को छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेडिया ने नगरपालिका बालोद अंतर्गत एकीकृत नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- नशामुक्ति केंद्र में नशे की लत को खत्म करने, नशे से छुटकारा दिलाने व उससे दूर रहने के लिये परामर्श प्रदान किया जाता है। इससे अब प्रभावित लोगों को नशापान से छुटकारा पाने में काफी मदद मिलेगी।
- नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में आने वाले लोगों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ नि:शुल्क मिलेंगी, जिसमें नशापान से दूर रहने हेतु परामर्श के साथ ही रहने की सुविधा, नि:शुल्क स्वास्थ्य जाँच, योगाभ्यास, मेडिटेशन, संगीत, व्यायाम, इंडोरगेम सहित अन्य प्रकार की सुविधाएँ शामिल हैं।
- इसके अलावा अनिला भेडिया ने बालोद ज़िले के ग्राम झलमला स्थित समाज कल्याण विभाग कार्यालय परिसर में ज़िला नि:शक्त पुनर्वास केंद्र का भी शुभारंभ किया।
- बालोद ज़िले में नि:शक्तजनों हेतु पुनर्वास केंद्र की सुविधा उपलब्ध होने से यहाँ के ज़रूरतमंदों को बाहर किसी अन्य ज़िला नहीं जाना पड़ेगा, ज़िले में ही उन्हें सुविधाएँ मिलेंगी। इससे ज़िले के दिव्यांगजनों को काफी सहूलियत होगी।
- मंत्री भेंडिया ने दिव्यांगजनों को विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहन राशि का चेक और सहायक उपकरण प्रदान कर लाभान्वित किया।
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हसदेव अरंड वन क्षेत्र में कोयला खदान परियोजना पर लगी रोक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सरगुजा संभाग के हसदेव अरंड वन क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित तीन आगामी कोयला खदान परियोजनाओं पर रोक लगा दी है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि इन परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय लोगों और कार्यकर्त्ताओं के कड़े विरोध के कारण राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है।
- खनन परियोजनाओं को रोके जाने की पुष्टि करते हुए सरगुजा के ज़िलाधिकारी संजीव झा ने बताया कि तीन आगामी परियोजनाएँ- परसा, परसा पूर्व और कांते बासन (पीईकेबी) का दूसरा चरण तथा कांते एक्सटेंशन कोयला खदान, जो खदान शुरू होने से पहले विभिन्न चरणों में है, को आगामी आदेश तक के लिये रोक दिया गया है।
- तीनों खदानें आरआरवीयूएनएल को आवंटित की गई हैं तथा अडानी समूह एमडीओ (माइन डेवलपर और ऑपरेटर) के रूप में इससे जुड़ा है। क्षेत्र की जिन खदानों में काम चल रहा है, वहाँ काम जारी रहेगा।
- स्थानीय लोगों का दावा है कि कोयला खदान से जैवविविधता और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचेगा। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरंड वन क्षेत्र में खनन न केवल आदिवासियों को विस्थापित करेगा, बल्कि क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष भी बढ़ेगा।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने राजस्थान सरकार के आग्रह पर हाल ही में परसा खदान और पीईकेबी के दूसरे चरण की कोयला खनन परियोजनाओं के लिये अंतिम मंज़ूरी दी थी।
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