रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का लोकार्पण | छत्तीसगढ़ | 11 Apr 2022
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2022 को छत्तीसगढ़ में विकसित किये जा रहे राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत जाँजगीर-चांपा ज़िले के शिवरीनारायण में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर में रामायणकालीन घटनाओं और वनवास काल के दौरान श्रीराम के द्वारा पैदल तय किये गए स्थानों के बारे में पेंटिंग्स के ज़रिये चित्रित जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
- इन पेंटिंग्स के ज़रिये आने वाली भावी पीढ़ी को रामायणकालीन घटनाओं की जानकारी मिल सकेगी तथा लोग शिवरीनारायण की ऐतिहासिकता को भी अच्छी तरह से समझ सकेंगे।
- 90 लाख रुपए की लागत से निर्मित रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का कुल क्षेत्रफल 6000 स्क्वायर फीट है। इसे 40 × 50 फीट के दो हॉल में बांटा गया है। एक हॉल में रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर के साथ ही पर्यटन सूचना केंद्र स्थापित है।
- रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर के बाहर ही माता शबरी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसमें वह भगवान राम को अपने जूठे बेर खिलाती हुई नज़र आ रही हैं। भगवान राम के साथ उनके भाई लक्ष्मण की भी मूर्ति स्थापित की गई है।
- राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत शिवरीनारायण में स्थापित रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र होगा तथा इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ में राम वन गमन परिपथ को भी बढ़ावा मिलेगा।
राम वनगमन पर्यटन परिपथ के तहत शिवरीनारायण में प्रथम चरण के विकास कार्यों का लोकार्पण | छत्तीसगढ़ | 11 Apr 2022
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रामनवमी के अवसर पर महानदी, शिवनाथ और जोंक नदियों के संगम पर स्थित छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल शिवरीनारायण में राम वनगमन पर्यटन परिपथ के तहत कराए गए प्रथम चरण के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण तथा विकास कार्यों का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ के साथ भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को सहेजते हुए यहाँ की संस्कृति को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाने के लिये प्रदेश सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की है।
- इस परियोजना के पहले चरण में विकास के लिये चुने गए 9 में से 2 स्थानों पर पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है। इनमें से माँ कौशल्या धाम चंदखुरी के विकास कार्यों का लोकार्पण 7 अक्टूबर, 2021 को किया गया था।
- श्रद्धालुओं को दीप प्रज्वलित करने में परेशानी न हो, इसके लिये मंदिर परिसर के भीतर ही विशाल दीप स्तंभ का निर्माण किया गया है।
- शिवरीनारायण प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण नगर है, जो छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी धाम के नाम से विख्यात है।
- श्रद्धा के साथ ही यह संगम तट पर्यटन के लिये भी जाना जाए, इसके लिये घाट पर व्यू प्वॉइंट का निर्माण किया गया है, जहाँ से पर्यटकों को अद्भुत नज़ारों का दीदार होगा।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु राम ने लगभग 10 वर्ष का समय छत्तीसगढ़ में गुज़ारा था। वनवास काल में उन्होंने छत्तीसगढ़ में प्रवेश कोरिया के सीतामढ़ी हरचौका से किया था। उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए वे छत्तीसगढ़ के अनेक स्थानों से गुज़रे। सुकमा का रामाराम उनका अंतिम पड़ाव था।
- प्रभु राम ने वनवास काल के दौरान लगभग 2260 किमी. की यात्रा की थी। ऐसे में छत्तीसगढ़ से जुड़ी भगवान राम के वनवास काल की स्मृतियों को सहेजने तथा संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना वर्ष 2019 में चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में भूमि पूजन कर शुरू की गई थी।
- परियोजना के तहत चयनित 75 स्थानों पर आवश्यकता के अनुसार पहुँच मार्ग का उन्नयन, संकेत बोर्ड, पर्यटक सुविधा केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा वेटिंग शेड, मूलभूत सुविधा, पेयजल व्यवस्था, शौचालय, सिटिंग बेंच, रेस्टोरेंट, वाटर फ्रंट डेवलपमेंट, विद्युतीकरण आदि कार्य कराए जाएंगे।
- शिवरीनारायण महत्ता इस बात से पता चलती है कि देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम् के बाद इसे पाँचवें धाम की संज्ञा दी गई है।
- यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है, इसलिये छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ प्रभु राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है, इसलिये यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है।
- राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत प्रथम चरण में सीतामढ़ी-हरचौका (ज़िला- कोरिया), रामगढ़ (ज़िला- सरगुजा), शिवरीनारायण (ज़िला- जाँजगीर-चांपा), तुरतुरिया (ज़िला- बलौदाबाज़ार), चंदखुरी (ज़िला- रायपुर), राजिम (ज़िला- गरियाबंद), सप्तर्षि आश्रम सिहावा (ज़िला- धमतरी), जगदलपुर और रामाराम (ज़िला- सुकमा) को विकसित किया जा रहा है।