उत्तर प्रदेश Switch to English
नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी को कैबिनेट की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के परिवहन विभाग की नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि पुराने वाहनों के संचालन से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये वाहन स्क्रैपिंग नीति लागू की गई है।
- इसके तहत कार्रवाई करने पर उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार से 300 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे। तीन बिंदुओं पर कार्रवाई करने पर पहली किस्त के रूप में 50 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।
- इसके तहत प्रदेश सरकार को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा में 15 वर्ष या उससे अधिक पुराने सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग एवं उनकी अपेक्षित संख्या उपलब्ध कराए जाने, निक्षेप प्रमाणपत्र के सापेक्ष क्रय किये गए वाहनों को कर में छूट प्रदान किये जाने और पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा में स्क्रैप किये जाने वाले वाहन पर लंबित बकाया कर में एकमुश्त छूट प्रदान किये जाने की कार्रवाई करनी है।
- प्रदेश में पुराने एवं निष्प्रयोज्य हो चुके व्यावसायिक एवं गैर-व्यावसायिक वाहनों पर देय बकाया करों में छूट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2003 से पूर्व राज्य में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के वाहनों पर बकाया करों में 75 फीसदी तक छूट दी जाएगी।
- नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी के तहत यह छूट अधिसूचना जारी किये जाने की तिथि से एक वर्ष के लिये मान्य होगी। यह छूट वाहन स्वामी को वाहन पर छूट के बाद देय धनराशि को एकमुश्त जमा करने पर ही प्राप्त होगी।
- कैबिनेट से मंज़ूर किये गए प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1997 की धारा चार के अधीन गैर-व्यावसायिक एवं व्यावसायिक वाहनों पर देय बकाया कर में छूट के लिये अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है, जिसके तहत वर्ष 2003 में या इसके बाद और वर्ष 2008 से पूर्व राज्य में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के वाहनों पर 50 फीसदी की छूट होगी।
- इसी तरह वर्ष 2008 में या इसके बाद और 2013 में या इसके पूर्व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पड़ने वाले राज्य के ज़िलों में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के डीज़ल चालित वाहनों पर भी 50 फीसदी की छूट होगी।
- रजिस्ट्रीकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र में स्क्रैप कराने वाले वाहनों पर लगाए गए जुर्माने में शत-प्रतिशत छूट होगी, लेकिन यह वाहनों पर जुर्माने की छूट देय सभी बकाया करों पर अनुमन्य होगी।
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उत्तर प्रदेश की पहली खेल नीति-2023
चर्चा में क्यों?
10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने तथा खेल संस्कृति विकसित करने हेतु राज्य की पहली खेल नीति-2023 को हरी झंडी दे दी।
प्रमुख बिंदु
- नई खेल नीति में खिलाड़ियों की शारीरिक दक्षता से लेकर उनकी ट्रेनिंग तक का खास ख्याल रखा गया है। इसके साथ ही नए राज्य भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज़ पर ‘राज्य खेल प्राधिकरण’का गठन भी किया जाएगा तथा निजी अकादमियों और स्कूल-कॉलेजों को खेलों से जोड़ा जाएगा।
- इसके अलावा इस नीति के तहत हर विद्यालय में 40 मिनट का समय खेल, शारीरिक शिक्षा या योग के लिये निर्धारित किया जाएगा। राज्य में पीपीपी के तहत अलग-अलग खेलों के 14 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किये जाएंगे तथा राज्य में पाँच हाई परफारमेंस सेंटर स्थापित किये जाएंगे।
- प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि नई नीति में विभिन्न खेल एसोसिएशंस व खेल अकादमियों को आर्थिक मदद की जाएगी। आर्थिक रूप से कमज़ोर अकादमियों और खेल एसोसिएशन को इसका फायदा मिलेगा।
- सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता से ये एसोसिएशन और अकादमियाँ अवस्थापना तथा ट्रेनिंग सुविधाओं में वृद्धि कर सकेंगी। राज्य सरकार पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के माध्यम से राज्य में खेलों की सहायता के साथ-साथ खेल अवस्थापना सुविधाओं के विकास में भी सहयोग करेगी।
- नई खेल नीति के तहत गठित किया जाने वाला ‘राज्य खेल प्राधिकरण’भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की तर्ज़ पर काम करेगा। इसके तहत विभिन्न खेलों की स्किल को अपग्रेड किया जाएगा तथा प्रशिक्षण, कैंप, प्रशिक्षकों आदि का संचालन किया जाएगा।
- खेल नीति के लागू हो जाने से देश एवं राज्य के खिलाड़ी खेल में शिक्षा एवं प्रशिक्षण हासिल करेंगे तथा खेलों में रोज़गार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से राज्य में योग्य प्रबंधकों, प्रशासकों और संचालनकर्मियों का एक पूल तैयार करने में मदद मिलेगी।
- खेल विश्वविद्यालय में खेलों से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के ज़रिये इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ेंगे। खेल विभाग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों को उत्तर प्रदेश में लाने के लिये खेल संघों के साथ मिलकर काम करेगा। इससे बड़ी संख्या में कर्मियों की भर्ती होगी तथा सेवा प्रदाताओं में वृद्धि होगी।
- राज्य में खेलों के लिये 10 करोड़ रुपए से एक ‘राज्य खेल विकास कोष’बनाया जाएगा, जिससे राज्य के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को खासा फायदा मिलेगा। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उपकरण खरीदने में आसानी होगी तथा विदेशों में ट्रेनिंग और प्रदर्शन का मौका मिलेगा। इसके अलावा खिलाड़ियों को विदेशी प्रशिक्षक, फिजियोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक आदि उपलब्ध होंगे।
- उत्तर प्रदेश सरकार खिलाड़ियों की आर्थिक मदद भी करेगी। खेल नीति के अनुसार, हर पंजीकृत खिलाड़ी का पाँच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। एकलव्य क्रीड़ा कोष से ट्रेनिंग करने या प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोट के इलाज के लिये भी प्रदेश सरकार ही धन उपलब्ध कराएगी।
- खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिये उनकी स्किल पावर के अनुरूप उन्हें तैयार किया जाएगा। इसके लिये खिलाड़ियों को तीन श्रेणियों में रखा गया है -
- पहली श्रेणी में ग्रास रूट (ज़मीनी स्तर) के खिलाड़ी होंगे। इन्हें शुरुआती स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- दूसरी श्रेणी डेवलपमेंट की होगी, जिसमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजकर उन्हें भविष्य के खिलाड़ी के तौर पर विकसित करने के लिये एक्शन प्लान बनाकर प्रशिक्षित किया जाएगा।
- तीसरी श्रेणी में एलीट क्लास के खिलाड़ी आएंगे। ये वो स्थापित खिलाड़ी होंगे, जो विभिन्न खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिये प्रेरित किया जाएगा।
- कैबिनेट मीटिंग में खेल नीति के अलावा भी मंत्रिपरिषद से खेलों से जुड़े कुछ और प्रस्तावों को भी मंज़ूरी मिली है। इनमें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन के लिये विभिन्न कमेटियों को एक्टिवेट करने से जुड़े प्रस्ताव पर सहमति जताई गई है।
- इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में स्टेडियम, ओपेन जिम निर्माण, संचालन प्रबंधन के लिये नीति बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि नई पीढ़ी को सुविधाएँ दी जाएँ और होनहार खिलाड़ी गाँव से निकलें तथा प्रदेश का नाम रोशन करें।
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