हरियाणा में स्कूल फीस वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ी | हरियाणा | 10 Dec 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्य सरकार ने हरियाणा में निजी स्कूलों द्वारा अत्यधिक फीस वसूलने को नियंत्रित करने के लिये वार्षिक शुल्क वृद्धि को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ते हुए हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 में संशोधन किया है।
प्रमुख बिंदु
- इसमें नए शुल्क मानदंडों का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों पर 2 लाख रुपए तक का जुर्माना और निजी स्कूलों की मान्यता वापस लेने का भी प्रावधान किया गया है।
- राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित हरियाणा स्कूल शिक्षा (संशोधन) नियम, 2021 के अनुसार, एक मान्यता प्राप्त (निजी / गैर-सहायता प्राप्त) स्कूल हर साल अपने मौजूदा छात्रों के लिये शुल्क में वृद्धि कर सकता है, जो पिछले वर्ष के शिक्षण स्टाफ की मासिक वेतन में प्रति व्यक्ति औसत प्रतिशत वृद्धि के बराबर है, लेकिन शुल्क वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में नवीनतम उपलब्ध वार्षिक प्रतिशत वृद्धि प्लस पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
- इसके अलावा निजी स्कूल शैक्षणिक वर्ष के दौरान न तो शुल्क बढ़ाएंगे और न ही मुनाफाखोरी में लिप्त होंगे। हालाँकि, निजी स्कूल किसी विशेष शैक्षणिक वर्ष में किसी भी कक्षा में नए प्रवेश के इच्छुक नए छात्रों के लिये शुल्क का निर्धारण करने हेतु स्वतंत्र होंगे।
- उल्लेखनीय है कि हरियाणा में करीब 8900 निजी स्कूल हैं। शिक्षा विभाग को विशेष रूप से COVID-19 महामारी के दौरान निजी स्कूलों द्वारा अभूतपूर्व शुल्क वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिली थीं। इसके बाद, हरियाणा स्कूल शिक्षा (संशोधन) नियम, 2021 को निजी स्कूलों में फीस संरचना को विनियमित करने और निगरानी करने के लिये अधिसूचित किया गया।
- नए नियमों के तहत फीस को फीस और फंड के तौर पर परिभाषित किया गया है, जो मान्यता प्राप्त स्कूल छात्र से वसूल करेगा।
- प्रवेश के समय, चाहे जिस ग्रेड या कक्षा में कोई छात्र स्कूल में प्रवेश कर रहा हो, स्कूल के अधिकारियों को अब माता-पिता या अभिभावक को उस वर्ष के लिये बारहवीं कक्षा तक की पूरी फीस संरचना का विवरण देना होगा, जैसा कि राज्य शिक्षा विभाग फॉर्म VI में घोषित किया गया है।
- प्रत्येक मान्यताप्राप्त स्कूल के प्रबंधन के लिये शिक्षा विभाग को फॉर्म VI जमा करके प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधाओं और अधिकतम सभी अनिवार्य शुल्क घटकों का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
- मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडल स्तर पर शुल्क एवं निधि नियामक समिति उल्लंघन के मामलों की जाँच करेगी और ऐसी जाँच तीन महीने से अधिक की अवधि में पूरी की जाएगी।
- यदि कोई स्कूल हरियाणा स्कूल शिक्षा (संशोधन) नियम, 2021 के नियम 158 (गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में फीस और फंड से संबंधित) के प्रावधानों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो इस तरह के पहले उल्लंघन के लिये फीस और फंड नियामक समिति को प्राथमिक स्तर तक के स्कूलों हेतु 30000 रुपए, मध्य स्तर तक के स्कूलों के लिये 50000 रुपए और माध्यमिक तथा वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों के लिये 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने हेतु अधिकृत किया गया है।
- इसी तरह, इस तरह के दूसरे उल्लंघन के लिये मान्यताप्राप्त स्कूल पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो प्राथमिक स्तर के स्कूलों हेतु 60,000 रुपए; मध्य स्तर तक के स्कूलों के लिये 1 लाख रुपए और माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों के लिये 2 लाख रुपए तक हो सकता है ।
- इस तरह के तीसरे उल्लंघन के लिये, दूसरे उल्लंघन में लगाए गए दंड के अलावा, शुल्क और निधि नियामक समिति ऐसे स्कूल की मान्यता वापस लेने के लिये निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग को सिफारिश कर सकती है। साथ ही ऐसे मामलों में निदेशक को तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा।
- राज्य सरकार द्वारा शुरू किये गए अन्य प्रमुख प्रावधानों में, अब किसी भी छात्र को स्कूल द्वारा अनुशंसित दुकान से किताबें, कार्यपुस्तिका, स्टेशनरी, जूते, मोजे, वर्दी आदि खरीदने के लिये मजबूर नहीं किया जाएगा और कोई भी निजी स्कूल लगातार पाँच शैक्षणिक वर्षों से पहले अपनी वर्दी नहीं बदलेगा।
- नए नियमों में कहा गया है कि अब निजी स्कूलों द्वारा मासिक या द्वैमासिक या त्रैमासिक आधार पर शुल्क लिया जाएगा। कोई भी स्कूल छह मासिक या वार्षिक आधार पर फीस का संग्रह अनिवार्य नहीं करेगा।
- राज्य सरकार ने अनिवार्य शुल्क घटकों को भी परिभाषित किया है, जिसमें पंजीकरण के समय केवल एक बार देय होने के लिये विवरणिका और पंजीकरण शुल्क शामिल होगा; प्रवेश शुल्क स्कूल में नए प्रवेश के समय या कक्षा 1, 6वीं, 9वीं और 11वीं में प्रवेश के समय देय होगा; केवल बोर्ड परीक्षाओं के लिये देय परीक्षा शुल्क होगा और सभी छात्रों द्वारा देय सभी सामान्य सुविधाओं के लिये समग्र शुल्क-एकल शीर्ष आवर्ती शुल्क होगा।
- छात्रों से लिये जाने वाले वैकल्पिक शुल्क घटकों में परिवहन, बोर्डिंग, मेस या डाइनिंग, भ्रमण और इसी तरह की कोई अन्य गतिविधि शामिल होगी।
- नए नियमों के तहत, वार्षिक शुल्क वृद्धि का अनिवार्य मानदंड उन प्राथमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होगा जहाँ अनिवार्य शुल्क घटकों का कुल योग 12,000 रुपए प्रति वर्ष से कम या उसके बराबर है; मध्य, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जहां अनिवार्य शुल्क घटकों का कुल योग 15,000 रुपए प्रति वर्ष से कम या उसके बराबर है।