उत्तर प्रदेश Switch to English
शहरी क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को मिली मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
9 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन ने शहरी क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के संचालन को मंज़ूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत बच्चों की जन्मजात बीमारियों की पहचान कर उनका इलाज किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि पहले चरण में प्रदेश के 15 ज़िलों में योजना लागू की जाएगी। दूसरे चरण में 16 और ज़िलों को शामिल किया जाएगा।
- पहले चरण के तहत वर्ष 2020-21 में आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झाँसी, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और वाराणसी में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जाएगा।
- 15 ज़िलों में कुल 40 मोबाइल हेल्थ टीम रखी जाएंगी। प्रत्येक टीम में चार सदस्य होंगे। जिसमें एक महिला व एक पुरुष आयुष चिकित्सक होंगे। संविदा पर करीब 60 डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती होगी।
- दूसरे चरण में 2022-2023 में आजमगढ़, बांदा, बाराबंकी, बुलंदशहर, चंदौली, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा, हाथरस, जालौन, कुशीनगर, मथुरा, मिर्जापुर, रामपुर, शाहजहाँपुर व सीतापुर में बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि आरबीएसके के तहत चाइल्ड हेल्थ स्क्रीनिंग और अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज में स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें कटे होंठ, तालू, तंत्रिका ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटामिन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व दिल समेत दूसरी बीमारियों की पहचान की जाती है।
- कार्यक्रम के तहत 18 साल तक के बच्चों में तय बीमारियों की पहचान कर इलाज मुहैया कराया जाता है। योजना के तहत मोबाइल हेल्थ टीम चिह्नित स्थानों पर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच करेंगी। बीमारी की दशा में उच्च सरकारी संस्थानों में इलाज के लिये रेफर किया जाएगा ताकि समय पर इलाज मिल सके।
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