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प्रदेश में 264 करोड़ रुपए से सुधरेगी 64 पुलों की सेहत : एचपीसी की बैठक में मिली मंजूरी
चर्चा में क्यों?
9 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में क्षतिग्रस्त और उम्र पूरी कर चुके पुलों की सेहत सुधारी जाएगी या उन्हें बदला जाएगा। इसी संबंध में विश्व बैंक वित्त पोषित यू-प्रीपेयर परियोजना के तहत ऐसे 64 पुलों के लिये शासन ने 264 करोड़ 69 लाख 52 हज़ार रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा, लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने शासन को 74 पुलों के लिये 622.18 करोड़ रुपए (अनुमानित लागत) का एस्टीमेट सौंपा है।
- विदित है कि राज्य में आपदा प्रबंधन न्यूनीकरण के तहत प्रदेश सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है। इसके लिये विश्व बैंक की मदद से पहले फेज में उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट (यूडीआरपी) के तहत कई कामों को पूरा किया जा चुका है और कुछ परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जबकि दूसरे फेज में यू-प्रीपेयर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।
- इसी के तहत पुलों की सेहत सुधारने का यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसमें उन पुलों को भी शामिल किया गया है, जिन्हें दिसंबर 2022 में शासन की ओर से कराए गए सेफ्टी ऑडिट में खतरनाक घोषित कर दिया गया था।
- विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना को अगले पाँच साल में पूरा किया जाना है।
- ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट (यूडीआरपी) को हरी झंडी दे दी थी।
- परियोजना के तहत क्षतिग्रस्त पुलों का सुधार, नए पुलों का निर्माण और मिसिंग लिंक ब्रिज का निर्माण किया जाना है। आपदा में टूट गए पुलों को परियोजना में प्राथमिकता में लिया गया है।
- प्रदेश में विश्व बैंक वित्त पोषित यू-प्रीपेयर परियोजना के तहत एचपीसी की ओर से फिलहाल 64 पुलों के लिये वित्तीय स्वीकृति मिली है। विभाग ने 74 पुलों के लिये अनुमानित खर्च की राशि का ब्योरा सौंपा है। जैसे-जैसे टेंडर की प्रक्रिया पूरी होगी, पुलों के सुधार का काम शुरू कराते जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में शासन के निर्देश पर कराए गए सेफ्टी ऑडिट में 36 पुल असुरक्षित पाए गए थे। उस दौरान पाँच ज़ोन के 3262 का सेफ्टी ऑडिट कराया गया था। इसके अंतर्गत जिन पुलों में तकनीकी तौर पर सुधार किया जा सकता है, उन्हें ठीक कराया जाएगा।
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राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति को कैबिनेट की मंजूरी
चर्चा में क्यों?
7 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में नियमों और मानकों को ताक पर रखकर संचालित नशामुक्ति केंद्र और मनोरोगियों के लिये संस्थानों पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी संबंध में प्रदेश सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- अब राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली के नियमों के तहत ही सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों व नशामुक्ति केंद्रों का संचालन किया जाएगा।
- संस्थानों के अलावा मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों, मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थायी पंजीकरण के लिये दो हज़ार रुपए शुल्क रखा गया है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निशुल्क होगा।
- एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिये दो हज़ार रुपए शुल्क देय होगा। उसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिये 20 हज़ार शुल्क देना होगा।
- नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में पाँच से 50 हज़ार रुपए जुर्माना, दूसरी बार में दो लाख और बार-बार उल्लंघन पर पाँच लाख जुर्माना किया जाएगा। बिना पंजीकृत नशामुक्ति केंद्रों में काम करने वाले कर्मचारियों पर 25 हज़ार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पहली बार में छह माह की जेल या 10 हज़ार रुपए जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर दो वर्ष की जेल या 50 हज़ार से पाँच लाख रुपए जुर्माना किया जाएगा।
- विदित है कि वर्ष 2019 में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सात ज़िलों में निगरानी व सुनवाई के लिये बोर्ड गठन कर दिया है। इनमें हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी ज़िले में बोर्ड बन चुका है, जबकि छह ज़िलों में प्रक्रिया चल रही है।
- राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली के अंतर्गत नशामुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बनाकर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर ही नशामुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा।
- मरीजों के इलाज के लिये चिकित्सक, मनोचिकित्सक को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिये खुली जगह होनी चाहिये।
- ज़िलास्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिये फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।
- इस नीति के लागू होने से राज्य के मानसिक रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाली घटनाओं पर रोक लगेगी।
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फैक्टरियों में नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं की सुरक्षा होगी मज़बूत
चर्चा में क्यों?
7 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में रात्रि पाली में कारखानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिये सुरक्षा मज़बूत करने का निर्णय लेते हुए श्रम विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि कारखाना अधिनियम 1948 में महिला कार्मिकों को जो भी राहतें दी गई थीं, उसमें संशोधन करते हुए राहत और बढ़ाई गई है।
- अब कारखानों में रात्रि पाली में काम करने वाली महिलाकर्मियों को घर लाने-ले जाने वाले वाहनों में पैनिक बटन, जीपीएस डिवाइस, सीसीटीवी लगाना अनिवार्य होगा।
- इन वाहनों का संचालन करने वाली ड्राइवर-कंडक्टर का पुलिस से सत्यापन भी अनिवार्य कर दिया गया है। ये भी स्पष्ट किया गया है कि रात्रि पाली में महिलाएँ केवल उसी कारखाने में काम कर सकेंगी, जहां कम से कम 20 महिलाकर्मी हों। इससे कम पर रात्रिपाली की अनुमति महिलाकर्मियों के लिये नहीं होगी।
- नए नियम लागू होने पर महिलाओं को घर से कारखाने में आवागमन आसान हो जाएगा।
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