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सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
8 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में 21 मेगावाट सौर ऊर्जा और 15 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं का वर्चुअल शुभारंभ किया और इनकी उपस्थिति में नगर निगम भोपाल और सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा कंपनियों के मध्य अनुबंध निष्पादन हुआ।
प्रमुख बिंदु
- सौर और पवन ऊर्जा का यह प्रोजेक्ट भोपाल नगर के लिये ऊर्जा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
- इस प्रोजेक्ट से प्रतिवर्ष भोपाल नगर निगम को 14 करोड़ रुपए की बचत होगी। आगामी समय में इसमें और वृद्धि होगी।
- इस प्रोजेक्ट से भोपाल नगर निगम को अगले 25 वर्ष तक समान दर से बिजली उपलब्ध होगी।
- वर्तमान में 12 करोड़ रुपए प्रति माह बिजली का खर्च हो रहा है। अगले 25 वर्ष के लिये बचत की योजना 2 परियोजनाओं से क्रियान्वित नगर निगम के सभी ज़ोनल ऑफिस में सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इन परियोजनाओं से नगर निगम भोपाल की 60 प्रतिशत विद्युत मांग की पूर्ति हो जाएगी।
- परियोजनाओं के महत्त्वपूर्ण पहलू -
- देश में किसी भी नगरीय निकाय द्वारा लगाई जाने वाली प्रथम ग्रिड संयोजित ओपन एक्सेस परियोजना है।
- मध्य प्रदेश में स्थापित होने वाली प्रथम हाइब्रिड परियोजना हैं, जिनमें सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग एक साथ होगा।
- पॉवर बैंकिंग विनियम पर आधारित प्रथम नवीकरणीय परियोजना है।
- इन परियोजनाओं से नगर निगम भोपाल की लगभग 60 प्रतिशत विद्युत मांग की पूर्ति होगी।
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मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई नारकोटिक्स समन्वय तंत्र की राज्य स्तरीय बैठक
चर्चा में क्यों?
9 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में नशा मुक्त मध्य प्रदेश बनाने के लिये नारकोटिक्स समन्वय तंत्र की राज्य स्तरीय बैठक हुई।
प्रमुख बिंदु
- इस बैठक में जानकारी दी गई कि नशा-मुक्त भारत अभियान में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा प्रदेश को देश में प्रथम और दतिया ज़िले को सर्वश्रेष्ठ ज़िला घोषित किया गया है।
- विदित है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में एनडीपीएस एक्ट में 4740 अपराध पंजीबद्ध कर 5673 आरोपियों को गिरफ्तार कर कार्यवाही की गई।
- इस बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि नशे के कारोबार में लगे व्यक्ति सबसे घातक और खतरनाक अपराधी हैं, इनके विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही की जाए। ऐसे व्यक्तियों की संपत्ति चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाए।
- नशे और उसके कारोबार पर नियंत्रण के लिये अद्यतन तकनीक का उपयोग करें। खुफिया तंत्र को सक्रिय और सुदृढ़ किया जाए तथा अन्य राज्यों में जारी बेस्ट प्रेक्टिसेज एवं नवाचारों को राज्य में लागू किया जाए।
- युवा वर्ग को जागरूक करने के लिये प्रदेश में व्यापक स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाएँ। स्कूल, कॉलेजों और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जाए।
- युवाओं को नशा न करने की शपथ दिलाई जाए, इसके लिये आगामी शैक्षणिक-सत्र आरंभ होने पर स्कूल, कॉलेजों में गतिविधियाँ संचालित की जाए।
- प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार नशा-मुक्ति केंद्र संचालित किये जाएँ। मादक पदार्थों से संबंधित गतिविधियों पर नियंत्रण, नशा-मुक्ति तथा नशे के विरूद्ध जन-जागरण के लिये निरंतर गतिविधियाँ संचालित करना आवश्यक है।
- नारकोटिक्स समन्वय तंत्र की ज़िला स्तरीय समितियों की प्रतिमाह बैठक हो और उनमें हुई कार्यवाही की जानकारी राज्य स्तरीय समिति के सामने रखी जाए।
- प्रदेश के जिन ज़िलों में एन.डी.पी.एस. न्यायालय गठित नहीं है, वहाँ तत्काल न्यायालयों का गठन किया जाए।
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प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिये एम्स, भोपाल और एमपी पीसीबी में करार
चर्चा में क्यों?
9 मई, 2023 को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपी पीसीबी) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भोपाल के मध्य ‘पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव’पर संयुक्त अध्ययन और अनुसंधान के लिये एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- इस एमओयू पर एमपी पीसीबी बोर्ड के सदस्य सचिव चंद्रमोहन ठाकुर और एम्स के निदेशक एवं कार्यपालन अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने हस्ताक्षर किये।
- दोनों संस्थान के विषय-विशेषज्ञों द्वारा किया गया करार भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये देश में एक नई मिसाल कायम करेगा।
- दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त अध्ययन से यह पता लगेगा कि वातावरण में उपस्थित प्रदूषण के विभिन्न प्रदूषकों का मानव स्वास्थ्य पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है और उनसे कौन-कौन सी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
- प्रदूषण से कैंसर, श्वसन संबंधी और हृदय रोग आदि गंभीर बीमारियों पर अंकुश लगाने और इनके आधार पर स्वास्थ्य नीति निर्धारण में मदद मिलेगी।
- यह शोध अन्य राज्यों में हो रहे शोध कार्य में भी सहायक होंगे। फिलहाल करार 2 वर्ष के लिये किया गया है। यह करार अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर बढ़ाया भी जा सकता है।
- वायु प्रदूषण और इससे होने वाली बीमारियों के नियंत्रण में यह करार एक टर्निंग पाइंट सिद्ध होगा। विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण से होने वाली विभिन्न बीमारियों के अध्ययन में इससे बहुत मदद मिलेगी। प्रमाणिक डाटा उपलब्ध होने के कारण देश-प्रदेश में कारगर स्वास्थ्य नीति बनाने में मदद मिलेगी।
- विदित है कि जल-प्रदूषण भी अनेक संक्रामक और गंभीर रोगों का कारण बनता है। संयुक्त अध्ययन इन बीमारियों के नियंत्रण और निज़ात की दिशा में एक अनूठी पहल है, जो अन्य राज्यों के समक्ष एक मिसाल कायम करेगा।
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