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15 साल की चंद्रकला बनी गोल्डन बुक गर्ल
चर्चा में क्यों?
9 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ में दुर्ग के एक छोटे से गाँव पुरई की 15 साल की बेटी चंद्रकला ओझा लगातार आठ घंटे तक तैरकर विश्व कीर्तिमान रचते हुए गोल्डन बुक गर्ल बन गई है।
प्रमुख बिंदु
- इस दौरान छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी भी वहाँ मौजूद रहे। इस कीर्तिमान की रिकॉर्डिंग भी की गई।
- विदित है कि मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही पुरई गाँव में खेल अकादमी खोलने की घोषणा की थी। खास बात यह है कि देश भर में पुरई की पहचान खेल गाँव के तौर पर होती है। अब इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नाम के तौर पर भी जाना जाएगा।
- दुर्ग मुख्यालय से करीब 15 किमी. दूर स्थित पुरई गाँव की 15 साल की चंद्रकला ओझा ने बुलंद हौसलों के साथ गाँव के डोंगिया तालाब में रविवार 9 अप्रैल को सुबह 5 बजे से एक बजे तक पूरे आठ घंटे तक लगातार तैरकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
- गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड के एशिया हेड मनीष विश्नोई ने बताया कि बिना ब्रेक के आठ घंटे पानी में लगातार तैरने का रिकार्ड किसी भी आयु वर्ग में अब तक नही था। चंद्रकला ओझा ने इसे कर दिखाया है। चंद्रकला को अब फाइनल सर्टीफिकेट दिया जाएगा। उसका यह रिकॉर्ड गोल्डन बुक में दर्ज किया जाएगा। जब भी दुनिया में कोई भी स्विमिंग का रिकॉर्ड सर्च किया जाएगा तो चंद्रकला का नाम सबसे ऊपर दिखाई देगा।
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केंद्रीय गृहमंत्री ट्रॉफी के सम्मान लिये पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (P.T.S.) माना का चयन
चर्चा में क्यों?
8 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राजधानी रायपुर स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (P.T.S.) माना का चयन केंद्रीय गृहमंत्री ट्रॉफी के सम्मान के लिये किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय गृह मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा जारी पत्र के अनुसार सत्रावधि वर्ष 2021-2022 के लिये बेस्ट ट्रेनिंग संस्थान हेतु राज्य के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल माना को केंद्रीय गृहमंत्री ट्रॉफी के सम्मान के लिये चयन किया गया है।
- विदित है कि इससे पूर्व वर्ष 2019-20 और 2020-21 में इस ट्रॉफी के लिये पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (P.T.S.) राजनांदगाँव का चयन किया गया था। गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस प्रशिक्षण स्कूल, राजनांदगाँव को नव आरक्षकों के प्रशिक्षण हेतु वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के लिये यूनियन होम मिनिस्टर ट्रॉफी दी गई थी।
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छत्तीसगढ़ में रबी फसलों की लक्ष्य से अधिक बोनी
चर्चा में क्यों?
8 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में इस साल रबी के रकबे में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य हासिल करने के साथ ही 19.36 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बोनी हो चुकी है, जो कि रबी सीजन के लिये निर्धारित लक्ष्य का 101 प्रतिशत है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में बीते रबी सीजन में 18.30 लाख हेक्टेयर में खेती की गई थी। इस साल रबी रकबे में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ ही कुल 19.25 लाख हेक्टेयर में बोआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 19.36 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है, जो कि बीते साल रबी के रकबे से 5.77 प्रतिशत अधिक है।
- राज्य में दलहन फसलों को प्रोत्साहन तथा समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था के चलते किसानों का रूझान इसकी खेती की ओर काफी तेजी से बढ़ा है। चालू रबी सीजन में दलहन फसलों की बुआई 8.65 लाख हेक्टेयर में की जा रही है, जो कि इस साल रबी फसलों की खेती के लिये प्रस्तावित रकबे का 45 फीसदी है।
- छत्तीसगढ़ में अब तक अनाज की बोनी 5.97 लाख हेक्टेयर में, दलहन की बोनी 8.14 लाख हेक्टेयर में और तिलहन की बोनी 2.84 लाख हेक्टेयर में, गन्ना की 42 हज़ार 410 हेक्टेयर और साग-सब्जी एवं अन्य फसलों की लगभग 2 लाख हेक्टेयर हो चुकी है।
- राज्य में 2.71 लाख हेक्टेयर में गेहूँ, 1.71 लाख हेक्टेयर में मक्का, 35 हज़ार हेक्टेयर में रागी, 11 हज़ार हेक्टेयर में जौ-ज्वार एवं अन्य फसलें और 1.55 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज की बोनी पूरी कर ली गई है।
- इस प्रकार राज्य में 5.97 लाख हेक्टेयर में अनाज फसलों की बोनी पूरी कर ली गई है, जो कि रबी सीजन में अनाज फसलों की बोनी के लिये निर्धारित लक्ष्य 4.36 लाख हेक्टेयर का 137 प्रतिशत है।
- इस तरह दलहनी फसलों की बुआई 8.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जिसमें चना की 3.86 लाख हेक्टेयर में, मटर की 55 हज़ार हेक्टेयर में, मसूर की 34 हज़ार हेक्टेयर में, मूंग की 31 हज़ार हेक्टेयर में, उड़द की 27 हज़ार हेक्टेयर में, तिवड़ा की 2.50 लाख हेक्टेयर में, कुल्थी की 23 हज़ार हेक्टेयर में तथा अन्य दलहन फसलों की 7 हज़ार हेक्टेयर में बुआई पूरी कर ली गई है, जो कि दलहन फसलों की बोनी के लिये निर्धारित लक्ष्य का 94 प्रतिशत है।
- इसी प्रकार राज्य में अब तक तिलहनी फसलों की बुआई 2.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जिसके अंतर्गत अलसी की बुआई 46 हज़ार 190 हेक्टेयर में, राई सरसों की 2 लाख हेक्टेयर में, तिल की 1370 हेक्टेयर में, सूरजमुखी 2960 हेक्टेयर, कुसुम की 6960, मूंगफली की 25,630 तथा अन्य तिलहनी फसल की बोनी 160 हेक्टेयर में पूरी हो चुकी है, जो कि तिलहन फसलों की बोनी के लक्ष्य का 75 प्रतिशत है।
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