उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 का अनुमोदन | उत्तराखंड | 10 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
9 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने के लिये उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 का अनुमोदन किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस अध्यादेश के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-
- इस अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किये गए हैं। यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिये आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिये तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पाँच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुन: दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पाँच वर्ष के लिये डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिये समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किये जाने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमश: पाँच से दस वर्ष के लिये तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किये जाने का प्रावधान किया गया है। अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित संपति की कुर्की की जाएगी।
- इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।