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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 09 Dec 2022
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‘राजस्व निर्णय विशेषांक’ का विमोचन

चर्चा में क्यों?

8 दिसंबर, 2022 को राजस्थान राजस्व मंडल के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने राविरा पत्रिका के ‘राजस्व निर्णय विशेषांक’का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्व मंडल की ओर से प्रकाशित ‘राजस्व निर्णय विशेषांक’में राजस्व न्यायालयों में विधिसम्मत, गुणवत्तापूर्ण एवं त्रुटिरहित निर्णय पारित करने को लेकर महत्त्वपूर्ण आलेख, राज्य के राजस्व मंडल व अधीनस्थ न्यायालयों के स्तर से पारित श्रेष्ठ निर्णयों एवं राज्य स्तर पर आयोजित राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली सुधार हेतु सुझाव विषयक पंचवर्गीय निबंध लेखन प्रतियोगिता के तहत चयनित श्रेष्ठ प्रविष्टियों को शामिल किया गया है।
  • इसके अलावा राजस्व प्रशासन से जुड़े विषय विशेषज्ञों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण विषयों पर लिखे गए आलेख, सरकार द्वारा जारी महत्त्वपूर्ण परिपत्र, अधिसूचनाओं को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।

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बीकानेर के लाखासर और हनुमानगढ़ के सतीपुरा में पोटाश के भंडार होने के संकेत मिले

चर्चा में क्यों?

8 दिसंबर, 2022 को राजस्थान माइंस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के बीकानेर ज़िले के लाखासर और हनुमानगढ़ ज़िले के सतीपुरा में मात्र 500 से 700 मीटर गहराई पर ही पोटाश के विपुल भंडार के संकेत मिले हैं।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि दुनिया के पोटाश भंडार वाले देशों में पोटाश की उपलब्धता एक हज़ार मीटर या इससे भी अधिक गहराई में देखने को मिलती है।
  • डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के बीकानेर और हनुमानगढ़ में सिल्वाइट और पॉलिहाइलाइट पोटाश के संकेत मिलने से कंवेंसनल माइनिंग व सोल्यूशन माइनिंग तकनीक से पोटाश का खनन किया जा सकेगा।
  • उन्होंने बताया कि बीकानेर के लाखासर के 99.99 वर्गमीटर क्षेत्र में 26 बोर किये गए हैं जिसमें से एमईसीएल द्वारा 22 बोर और जियोलोजिकल सर्वें ऑफ इंडिया द्वारा 4 बोर किये गए हैं। इसमें दोनों ही तरह के यानी कि सिल्वाइट व पॉलिहाइलाइट पोटाश के संकेत मिले हैं।
  • इसके अलावा हनुमानगढ़ के सतीपुरा में भी जीएसआई द्वारा 300 वर्गमीटर क्षेत्र में किये गए एक्सप्लोरेशन में पोटाश के संकेत मिल चुके हैं।
  • विदित है कि वर्तमान में देश पोटाश फर्टिलाइजर के लिये विदेशों से आयात पर निर्भर है जबकि प्रदेश में पोटाश के खनन की प्रक्रिया आंरभ होने से विदेशों से आयात की निर्भरता कम हो जाएगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  • एमईसीएल के सीएमडी घनश्याम शर्मा ने रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि सिल्वाइट पोटाश में सोल्यूशन माइनिंग की आवश्यकता होती है जबकि पॉलिहाइलाइट पोटाश में पंरपरागत तरीके से माइनिंग की जा सकती है तथा प्रदेश में दोनों ही तरह की माइनिंग की संभावनाएँ उभरकर सामने आई है।
  • उन्होंने बताया कि प्रदेश में पोटाश के एक्सप्लोरेशन का संकेत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ता कदम है। राजस्थान में पोटाश खनन से देश में अब खेती के लिये पोटाश फर्टिलाइजर की आवश्यकता को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा।

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