लंपी वायरस: मलेशिया की तर्ज़ पर तीन सौ कि.मी. लंबी इम्यून बेल्ट बनेगी | उत्तर प्रदेश | 09 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
8 सितंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडे ने बताया कि प्रदेश के पश्चिमी ज़िलों में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग ने मलेशिया की तर्ज़ पर पीलीभीत से लेकर इटावा तक लगभग 300 किमी. की दूरी को 10 किमी. चौड़े इम्यून बेल्ट से कवर करने का मास्टर प्लान तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- विशेष सचिव देवेंद्र पांडे ने बताया कि इस मास्टर प्लान को राज्य सरकार ने स्वीकृत कर लिया है। यह बेल्ट एक तरह से बॉर्डर का काम करेगी और लंपी वायरस इसे पार कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरफ नहीं जा सकेगा।
- पशुपालन विभाग की ओर से वैक्सीनेशन के ज़रिये इम्यून बेल्ट बनाने की तैयारियाँ पूरी की जा चुकी हैं। इस पूरी बेल्ट में पशुओं में शत-प्रतिशत टीकाकरण किया जाएगा। इस अभियान की निगरानी के लिये विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है। टास्क फोर्स लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं की ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट का ज़िम्मा संभालेगी।
- संक्रमित पशुओं की कड़ी निगरानी रखने के साथ ही इन्हें इम्यून बेल्ट के भीतर ही रोकने की व्यवस्था होगी। दरअसल पशुओं के संक्रमण को रोकने के लिये ऐसा प्रयास वर्ष 2020 में मलेशिया में किया जा चुका है, जिसके परिणाम काफी सकारात्मक आए थे।
- मलेशिया की तर्ज पर बनने वाली यह बेल्ट पाँच ज़िलों के 23 ब्लॉकों से होकर गुज़रेगी। इम्यून बेल्ट पीलीभीत ज़िले के बीसलपुर, बरखेड़ा, ललोरीखेड़ा, मरोरी और अमरिया विकास खंड से होते हुए शाहजहाँपुर ज़िले के खुदागंज, निगोही, सिधौली, भावल खेड़ा, कांट, जलालाबाद और मिर्ज़ापुर विकास खंड के रास्ते फर्रुखाबाद ज़िले के कायमगंज, शमसाबाद और राजेपुर विकासखंड होते हुए मैनपुरी ज़िले के कुरावली, सुल्तानगंज और घिरौर विकास खंड तथा इटावा के बढ़पुरा, जसवंतनगर, सैफई, बसरेहर और ताखा विकासखंड तक जाएगी।
- प्रदेश में लंपी वायरस के ज़्यादातर मामले पश्चिमी ज़िलों में ही सामने आए हैं। प्रदेश के 23 ज़िले लंपी वायरस से प्रभावित हैं। इनमें अलीगढ़, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर में सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं मथुरा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मेरठ, शामली और बिजनौर में भी वायरस तेज़ी से पाँव पसार रहा है।
- लंपी वायरस के कारण अब तक प्रदेश के 2,331 गाँवों के 21,619 गोवंश संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया है तथा अब तक 5,83,600 गोवंश का टीकाकरण हो चुका है।
- उल्लेखनीय है कि लंपी वायरस पशुओं में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरस है। यह मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों और कीटों द्वारा एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर तक यात्रा करता है। लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज़ बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है। इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं। साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन और नर पशु में काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है।