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पाटजात्रा के साथ बस्तर दशहरा शुरू
चर्चा में क्यों?
08 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध 75 दिनी बस्तर दशहरा पर्व का शुभारंभ पाटजात्रा पूजा विधान के साथ हुआ।
प्रमुख बिंदु
- बस्तर में हर वर्ष की तरह इस साल भी दशहरे का शुभारंभ हरेली अमावस्या को पाटजात्रा की प्रथम रस्म से शुरू हुआ।
- पाटजात्रा बस्तर दशहरा की प्रथम महत्त्वपूर्ण रस्म है, जिसमें दंतेश्वरी मंदिर के समक्ष माचकोट के जंगल से लाई गई साल वृक्ष की लकड़ी (ठुरलू खोटला) की पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।
- बस्तर दशहरा निर्माण की पहली लकड़ी को स्थानीय बोली में ठुरलू खोटला एवं टीका पाटा कहते हैं।
- बस्तर दशहरा की परंपरा के अनुसार, पाटजात्रा के लिये होने वाली पूजा में बस्तर महाराज की ओर से माझी-मुखिया पूजन सामग्री लेकर सिरहासार पहुँचते हैं और पाटजात्रा एवं अन्य पूजा विधान संपन्न कराते हैं।
- ध्यातव्य है कि बस्तर दशहरा की शुरुआत 1408 ई. में राजा पुरुषोत्तम देव ने शुरू की थी। उन्होंने जगन्नाथपुरी से वरदानस्वरूप मिले सोलह चक्कों के रथ का विभाजन करते हुए रथ के चार चक्कों को भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया था और शेष 12 पहियों का विशाल काष्ठ रथ माँ दंतेश्वरी को अर्पित कर दिया। तब से दशहरा में दंतेश्वरी के साथ राजा स्वयं भी रथारूढ़ होने लगे।
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छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार : हरेली
चर्चा में क्यों?
08 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ अंचल का प्रथम त्यौहार ‘हरेली’ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार माना जाता है, जिसे प्रतिवर्ष सावन माह में हरेली अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
- यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये विशेष महत्त्व रखता है। धान की बुआई के बाद किसानों द्वारा हरेली के दिन सभी कृषि एवं लौह औज़ारों की पूजा की जाती है।
- हरेली पर्व में किसान बैलों और हल सहित विभिन्न औज़ारों की विशेष पूजा करने के बाद खेती-किसानी का काम शुरु करते हैं।
- हरेली त्यौहार के दिन घरों में इस त्यौहार का विशेष व्यंजन ‘चीला’ बनाया जाता है। इसे औज़ारों में चढ़ाकर इसकी पूजा की है, तत्पश्चात् इसे घर के सदस्यों को प्रसादस्वरूप दिया जाता है।
- हरेली के दिन पुरुषों के द्वारा गेड़ी (बाँस से निर्मित) बनाकर उस पर चढ़ा जाता है। कहीं-कहीं गेड़ी दौड़ का आयोजन भी किया जाता है।
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