उत्तर प्रदेश Switch to English
श्री वल्लभाचार्य जयंती
चर्चा में क्यों?
4 मई 2024 को मनाई जाने वाली वल्लभाचार्य जयंती, प्रसिद्ध हिंद विद्वान और भगवान कृष्ण के भक्त, श्री वल्लभाचार्य (1479-1531 ई.) को समर्पित है।
मुख्य बिंदु:
- वल्लभाचार्य को वेदों और उपनिषदों का अच्छा ज्ञान था। उन्हें वल्लभ तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य की उपाधि दी गई थी।
- वल्लभाचार्य ने शुद्ध अद्वैत या शुद्ध अद्वैतवाद का दर्शन प्रतिपादित किया। उन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में कृष्ण-केंद्रित पंथ, वैष्णववाद के पुष्टि संप्रदाय की भी स्थापना की।
- वल्लभाचार्य का जन्म 1479 ई. में में वाराणसी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
पुष्टि संप्रदाय
- वल्लभाचार्य 'पुष्टिमार्ग' नामक भक्ति संप्रदाय के संस्थापक थे।
- पुष्टिमार्ग रुद्र संप्रदाय की एक उपपरंपरा है, जिसे पुष्टिमार्ग संप्रदाय या वल्लभ संप्रदाय (वैष्णववाद) के नाम से भी जाना जाता है।
- उन्होंने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में इसकी स्थापना की थी और यह कृष्ण को समर्पित है।
- पुष्टिमार्ग एक भक्ति विद्यालय था जिसका विस्तार वल्लभाचार्य के अनुयायियों विशेषकर गुसाईंजी द्वारा किया गया था।
- इसके सिद्धांत युवा कृष्ण के पौराणिक कामुक नाटकों पर केंद्रित हैं, जैसे कि भागवत पुराण में वर्णित और गोवर्धन पहाड़ी से जुड़े हुए हैं तथा इसकी भक्ति प्रथाएँ इन नाटकों के इर्द-गिर्द घूमती हैं।
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