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वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट, 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन (International Organization for Migration- IOM) ने वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 लॉन्च की।
मुख्य बिंदु:
- रिपोर्ट वैश्विक प्रवास पैटर्न में महत्त्वपूर्ण बदलावों का खुलासा करती है, जिसमें विस्थापित लोगों की रिकॉर्ड संख्या और अंतर्राष्ट्रीय प्रेषण में बड़ी वृद्धि शामिल है।
- पूरे विश्व में अनुमानित 281 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के साथ, संघर्ष, हिंसा, आपदा और अन्य कारणों से विस्थापित व्यक्तियों की संख्या आधुनिक रिकॉर्ड में उच्चतम स्तर तक बढ़ गई है, जो 117 मिलियन तक पहुँच गई है, जो विस्थापन संकट को संबोधित करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती है।
- भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आंतरिक प्रवास पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है।
- भारत संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में रहने वाले विश्व के सबसे अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों (18 मिलियन) की मेज़बानी करता है।
- वर्ष 2022 में, भारत 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्राप्त करने वाला शीर्ष प्रेषण गंतव्य बना रहा तथा 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आँकड़े तक पहुँचने और उससे आगे निकलने वाला पहला देश बना रहा।
इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन (International Organization for Migration- IOM)
- परिचय:
- द्वितीय विश्व युद्ध की उथल-पुथल के बाद यूरोप से प्रवासियों के आंदोलन के लिये अनंतिम अंतर सरकारी समिति (PICMME) के रूप में वर्ष 1951 में इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन/अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन की शुरुआत हुई।
- वर्ष 1952 में इसका नाम PICMME से बदलकर इंटरगवर्नमेंटल कमेटी फॉर यूरोपियन माइग्रेशन (ICEM), वर्ष 1980 में इंटरगवर्नमेंटल कमेटी फॉर माइग्रेशन (ICM) और अंततः वर्ष 1989 में इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन कर दिया गया, जो एक प्रवासन एजेंसी के रूप में इसके विकास को दर्शाता है।
- वर्ष 2016 में, IOM ने संयुक्त राष्ट्र के साथ एक समझौता किया, जो एक संबंधित संगठन बन गया।
- सदस्य: वर्तमान में इसके 175 सदस्य राज्य और 8 राज्य पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है
- भारत 18 जून 2008 को IOM सदस्य राज्य बन गया।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
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