न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 09 Apr 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

भ्रामक पतंजलि विज्ञापनों पर उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी (SLA) को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में शिकायतों को हल करने में विफलता के लिये फटकार लगाई है, जो दो वर्ष से अधिक समय से जारी थी।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी निष्क्रियता के लिये SLA के नवीनतम औचित्य को खारिज़ कर दिया।

मुख्य बिंदु:

  • आयुष मंत्रालय ने न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया जिसमें दिखाया गया कि SLA ने फरवरी 2022 में दायर एक शिकायत पर चेतावनी देने और कंपनी को विज्ञापन बंद करने के लिये कहने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की, हालाँकि कंपनी ने पूरे दो वर्षों तक विज्ञापन देना जारी रखा।
  • पतंजलि के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट (DMRA) की धारा 3 का उल्लंघन है, जो 54 बीमारियों और स्थितियों के लिये दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है।
  • अधिनियम उन दवाओं और उपचारों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है जो चमत्कारी गुणों का दावा करते हैं तथा ऐसा करना अपराध है।
  • अधिनियम "चमत्कारी उपचार" को परिभाषित करता है जिसमें यंत्र/ताबीज़, मंत्र, कवच और ऐसी अन्य वस्तुएँ शामिल हैं जो रोगों के उपचार के लिये अलौकिक या चमत्कारी गुणों का दावा करती हैं।

आयुष' का अर्थ 

  • स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की पारंपरिक व गैर-पारंपरिक पद्धतियों में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा एवं होम्योपैथी आदि शामिल हैं।
  • भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ विविधता सहित महत्त्वपूर्ण प्रभाव का प्रदर्शन करती हैं।
  • ये पद्धतियाँ जन-आबादी के एक व्यापक वर्ग के लिये अत्यधिक सुलभ और किफायती हैं।
  • पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल की तुलना में, इन पद्धतियों में अपेक्षाकृत कम लागत आती है।
  • ये बढ़ते आर्थिक मूल्य को प्रदर्शित करती हैं, आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के रूप में सेवा करने की अपनी क्षमता को उजागर करते हैं।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2