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न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन होंगे पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने केरल हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को पटना हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के लिये अपनी अनुशंसा की है।
प्रमुख बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट अपनी अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजेगा। केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की सहमति के बाद के. विनोद चंद्रन को पटना हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की अधिसूचना जारी होगी।
- विदित है कि पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये जाने के बाद से पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पद रिक्त था। वर्तमान में पटना हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह को पटना हाइकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इससे पहले न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन को गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायधीश बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन फिर कॉलेजियम ने अधिक रिक्तियों और मुख्य न्यायधीशों के सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिश को वापस ले लिया था।
- इसके बाद जस्टिस के. विनोद चंद्रन को पटना हाईकोर्ट का मुख्य नयायधीश बनाया गया। के. विनोद चंद्रन 24 अप्रैल 2025 को रिटायर होने वाले हैं।
- गौरतलब है कि 13 दिसंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने देश के विभिन्न कोर्ट से तीन चीफ जस्टिस और दो जस्टिस के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के जज के लिये की थी। इसमें पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कारोल और जस्टिस अहसानूद्दीन अमानुल्लाह का नाम भी शामिल था।
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देश के 112 आकांक्षी ज़िलों में टॉप-5 में बिहार के दो ज़िले
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2023 को नीति आयोग ने देश के अल्प विकसित 112 आकांक्षी ज़िलों के लिये ‘चैंपियन ऑफ चेंज डेल्टा रैंकिंग’ जारी की है, जिसमें कृषि और जल संसाधन के क्षेत्र में देश के पाँच सर्वश्रेष्ठ आकांक्षी ज़िलों में बिहार के दो ज़िले बांका पहले स्थान और कटिहार दूसरे स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि नीति आयोग द्वारा आकांक्षी ज़िलों के बीच प्रतिस्पर्धा करने के लिये यह रिपोर्ट जारी की जाती है।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2018 में प्रारंभ आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम में बिहार के 13 ज़िले-कटिहार, बेगूसराय, शेखपुरा, अररिया, खगड़िया, पूर्णिया, औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और नवादा शामिल थे।
- केंद्र की इस घोषणा से बिहार के इन 13 ज़िलों के प्रखंडों में विशेष सहायता मिलती है। इन ज़िलों में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, जलसंसाधन, वित्तीय स्थिति और आधारभूत अवसंरचना जैसे प्रमुख क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान दिया जाता है।
- शिक्षा क्षेत्र के लिये मुख्य रूप से स्कूल में पढ़ाई और लाइब्रेरी की सुविधा, स्कूलों में आधारभूत संरचना, जिसमें टॉयलेट व पेयजल आदि मुख्य हैं।
- उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने देश में 500 आकांक्षी प्रखंडों की घोषणा की है जिसमें 61 आकांक्षी प्रखंड बिहार के भी हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार की मदद से विशेष कार्यक्रम चलाएगी। इन प्रखंडों का चयन केंद्र के आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम के तहत किया गया है। विकास के कई पैमानों पर पिछड़े इन प्रखंडों को विकसित प्रखंडों की श्रेणी में लाने का प्रयास किया जाएगा।
- शुरुआती दौर में इन प्रखंडों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास जैसे इंडिकेटर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन ज़िलों के लिये केंद्र से अतिरिक्त फंड का भी प्रबंधन किया जाएगा। प्रखंडों की रैंकिंग की जाएगी ताकि उनमें आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा बढ़ सके।
- राज्य के 13 आकांक्षी ज़िलों (एडी) के भी प्रखंडों का चयन इसी कार्यक्रम के तहत किया गया है। ज़िलों में भागलपुर और कैमूर ज़िलों के सर्वाधिक 5-5 करके 10 प्रखंड, बेगूसराय के 4, मुंगेर के 4, जमुई के 4, औरंगाबाद और गया के 4-4 प्रखंड हैं। वहीं भोजपुर, कटिहार और बांका के तीन-तीन प्रखंडों के नाम शामिल हैं।
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