राजस्थान Switch to English
25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने के लिये एमओयू
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में राज्य के 25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने हेतु वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के साथ एमओयू हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार की ओर से प्रमुख शासन सचिव महिला एवं बाल विकास श्रेया गुहा तथा अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की ओर से नंद घर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु झींगन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
- इस एमओयू के तहत अनिल अग्रवाल फाउंडेशन करीब 750 करोड़ रुपए (प्रति आंगनबाड़ी 3 लाख रुपए) व्यय कर राज्य में 25 हज़ार नंद घर विकसित करेगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे इन केंद्रो के बुनियादी ढाँचे में सुधार होने के साथ ही इनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। इससे मातृ एवं शिशु मृत्युदर को और कम करने में भी मदद मिलेगी।
- उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को निरंतर सुदृढ़ कर रही है। इसी का परिणाम है कि अब करीब 95 प्रतिशत प्रसव संस्थागत होने लगे हैं।
- उल्लेखनीय है कि महिलाओं एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने नि:शुल्क सेनेटरी नैपकीन वितरण के लिये ‘उड़ान योजना’शुरू की है। करीब 200 करोड़ रुपए की लागत से शुरू की गई इस योजना के माध्यम से गाँव-ढाणी तक महिलाओं एवं किशोरियों को सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं एवं बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से आंगनबाड़ी केंद्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने से प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास में मदद मिलेगी।
- महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने कहा कि राज्य में करीब 62 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें 6 तरह की सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब तक 13 ज़िलो में 1300 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र नंद घर के रूप में विकसित हो चुके हैं।
राजस्थान Switch to English
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 3 लाख करोड़ से अधिक के एमओयू
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को राजस्थान राज्य सरकार तथा निवेशकों के बीच अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 3 लाख 5 हज़ार करोड़ के एमओयू एवं एलओआई पर हस्ताक्षर हुए तथा इनका आदान-प्रदान किया गया। इस निवेश से प्रदेश में करीब 90 हज़ार मेगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के 5 सार्वजनिक उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ 3 लाख 5 हज़ार करोड़ रुपए के 90 गीगावाट से अधिक क्षमता के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित किये गए।
- इनमें एनटीपीसी की ओर से 40 हज़ार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, एनएचपीसी की ओर से 20 हज़ार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, सतलज जल विद्युत निगम की ओर से 50 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से 10 गीगावाट, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की ओर से 40 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से 10 गीगावाट तथा एसईसीआई की ओर से 9 हज़ार करोड़ की लागत से 2 गीगावाट के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
- इसी प्रकार रिलायंस समूह की ओर से 1 लाख करोड़ की लागत से 20 गीगावाट, एक्सिस एनर्जी समूह की ओर से 37 हज़ार करोड़ की लागत से 28 गीगावाट सोलर पार्क, सोलर प्रोजेक्ट एवं 4 गीगावाट सोलर मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग एवं सुखवीर एग्रो समूह की ओर से 2 गीगावाट एवं 100 मेगावाट क्षमता (बॉयोमास) के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी का हब बनाने के लिये सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति-2019 तथा विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी जारी की थी। निवेशकों को अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिये रिप्स-2019, वन स्टॉप शॉप प्रणाली, एमएसएमई एक्ट जैसे नीतिगत निर्णय लिये गए।
- इस अवसर पर एनएचपीसी के निदेशक वाईके चौबे ने कहा कि एनएचपीसी राजस्थान में 50 मेगावाट के विंड पावर प्रोजेक्ट पर पहले से ही काम कर रहा है। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एनएचपीसी 10 हज़ार मेगावाट क्षमता उत्पादन के लिये 20 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश करेगी।
Switch to English