भारत की डाक्यूमेंट्री फीचर ‘राइटिंग विथ फायर’ | उत्तर प्रदेश | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को भारत की डाक्यूमेंट्री फीचर ‘राइटिंग विथ फायर’ऑस्कर 2022 के लिये नोमिनेट हो गई है।
प्रमुख बिंदु
- ‘राइटिंग विथ फायर’उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से प्रकाशित ‘खबर लहरिया’पर आधारित है। इस डाक्यूमेंट्री का निर्देशन रिंटू थॉमस तथा सुमित घोष ने किया है।
- ‘खबर लहरिया’भारत का एकमात्र अखबार था, जिसे सिर्फ दलित महिलाएँ संचालित करती थीं। आठ पन्नों के अखबार ‘खबर लहरिया’में महिला रिपोर्टर बदलते समाज, भ्रष्टाचार, सरकार के अधूरे वादों, गरीबों और महिलाओं से संबंधित मुद्दों को उठाती थीं।
- इस अखबार का प्रकाशन बुंदेलखंडी भाषा में 2002 से प्रारंभ किया गया। हालाँकि, 2015 में यह बंद हो गया। तब से लेकर अब तक मोबाइल पोर्टल पर खबर लहरिया संचालित है।
- उल्लेखनीय है कि ‘खबर लहरिया’के लिये इसके संस्थापक एनजीओ निरंतर को यूनेस्को किंग सेजोंग लिट्रेसी सम्मान 2009 से सम्मानित किया गया था।
रेल कौशल विकास योजना | बिहार | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2022 को ‘रेल कौशल विकास योजना’(आरकेवीवाई) के तहत प्रशिक्षण अवधि की समाप्ति के बाद सिग्नल एवं दूरसंचार प्रशिक्षण केंद्र, दानापुर (बिहार) में 16 योग्य प्रशिक्षुओं को पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य सिग्नल इंजीनियर द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को डायोड, ट्रांजिस्टर, आईसी, बिजली आपूर्ति, सोल्डरिंग, मल्टीमीटर, ट्रांसफार्मर के उपयोग और मरम्मत आदि का प्रशिक्षण दिया गया।
- उल्लेखनीय है कि युवाओं में कौशल विकास के लिये भारत सरकार के रेल तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 17 सितंबर, 2021 को ‘रेल कौशल विकास योजना’शुरू की गई थी।
- ‘रेल कौशल विकास योजना’स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’के तहत भारतीय रेलवे द्वारा अपनाए गए कौशल भारत मिशन का एक अभिन्न अंग है।
- ‘रेल कौशल विकास योजना’के तहत 75 प्रशिक्षण केंद्रों में 18 कार्य दिवसों में 100 घंटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- इस योजना से युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार होगा और स्वरोज़गार करने वाले युवाओं के कौशल में उन्नयन होगा।
25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने के लिये एमओयू | राजस्थान | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में राज्य के 25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने हेतु वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के साथ एमओयू हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार की ओर से प्रमुख शासन सचिव महिला एवं बाल विकास श्रेया गुहा तथा अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की ओर से नंद घर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु झींगन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
- इस एमओयू के तहत अनिल अग्रवाल फाउंडेशन करीब 750 करोड़ रुपए (प्रति आंगनबाड़ी 3 लाख रुपए) व्यय कर राज्य में 25 हज़ार नंद घर विकसित करेगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे इन केंद्रो के बुनियादी ढाँचे में सुधार होने के साथ ही इनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। इससे मातृ एवं शिशु मृत्युदर को और कम करने में भी मदद मिलेगी।
- उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को निरंतर सुदृढ़ कर रही है। इसी का परिणाम है कि अब करीब 95 प्रतिशत प्रसव संस्थागत होने लगे हैं।
- उल्लेखनीय है कि महिलाओं एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने नि:शुल्क सेनेटरी नैपकीन वितरण के लिये ‘उड़ान योजना’शुरू की है। करीब 200 करोड़ रुपए की लागत से शुरू की गई इस योजना के माध्यम से गाँव-ढाणी तक महिलाओं एवं किशोरियों को सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं एवं बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से आंगनबाड़ी केंद्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने से प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास में मदद मिलेगी।
- महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने कहा कि राज्य में करीब 62 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें 6 तरह की सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब तक 13 ज़िलो में 1300 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र नंद घर के रूप में विकसित हो चुके हैं।
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 3 लाख करोड़ से अधिक के एमओयू | राजस्थान | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को राजस्थान राज्य सरकार तथा निवेशकों के बीच अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 3 लाख 5 हज़ार करोड़ के एमओयू एवं एलओआई पर हस्ताक्षर हुए तथा इनका आदान-प्रदान किया गया। इस निवेश से प्रदेश में करीब 90 हज़ार मेगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के 5 सार्वजनिक उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ 3 लाख 5 हज़ार करोड़ रुपए के 90 गीगावाट से अधिक क्षमता के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित किये गए।
- इनमें एनटीपीसी की ओर से 40 हज़ार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, एनएचपीसी की ओर से 20 हज़ार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, सतलज जल विद्युत निगम की ओर से 50 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से 10 गीगावाट, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की ओर से 40 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से 10 गीगावाट तथा एसईसीआई की ओर से 9 हज़ार करोड़ की लागत से 2 गीगावाट के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
- इसी प्रकार रिलायंस समूह की ओर से 1 लाख करोड़ की लागत से 20 गीगावाट, एक्सिस एनर्जी समूह की ओर से 37 हज़ार करोड़ की लागत से 28 गीगावाट सोलर पार्क, सोलर प्रोजेक्ट एवं 4 गीगावाट सोलर मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग एवं सुखवीर एग्रो समूह की ओर से 2 गीगावाट एवं 100 मेगावाट क्षमता (बॉयोमास) के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी का हब बनाने के लिये सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति-2019 तथा विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी जारी की थी। निवेशकों को अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिये रिप्स-2019, वन स्टॉप शॉप प्रणाली, एमएसएमई एक्ट जैसे नीतिगत निर्णय लिये गए।
- इस अवसर पर एनएचपीसी के निदेशक वाईके चौबे ने कहा कि एनएचपीसी राजस्थान में 50 मेगावाट के विंड पावर प्रोजेक्ट पर पहले से ही काम कर रहा है। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एनएचपीसी 10 हज़ार मेगावाट क्षमता उत्पादन के लिये 20 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश करेगी।
राज्य शासन द्वारा 4 नई नगर परिषदें गठित | मध्य प्रदेश | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि स्थानीय लोगों की माँग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार राज्य शासन द्वारा 4 नई नगर परिषदों का गठन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- अनूपपुर ज़िले में नगर परिषद बरगवाँ (अमलाई), सिंगरौली ज़िले में सरई और बरगवाँ तथा सागर ज़िले में कर्रापुर नगर परिषद का गठन किया गया है।
- सागर ज़िले की नगर पालिका परिषद गढ़ाकोटा की सीमा में वृद्धि की गई है। इसमें ग्राम पंचायत मगरधा के अनगरीय क्षेत्र मगरधा एवं ग्राम मगरधा, ग्राम पंचायत बेलई के ग्राम भौरदहार, मझगुवाँ, ग्राम पंचायत संजरा के ग्राम रनगुवाँ, ग्राम पंचायत बसारी के ग्राम बसारी और ग्राम पंचायत बरखेरा गौतम के ग्राम हिनौता को शामिल किया गया है।
कैबिनेट ने एमएमपीएसवाई एसओपी को लागू करने की दी मंजूरी | हरियाणा | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना’(एमएमपीएसवाई) के कार्यान्वयन को संशोधित स्वीकृति प्रदान की गई।
प्रमुख बिंदु
- एमएमपीएसवाई के तहत, एमएमपीएसवाई पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों के अनुसार स्व-घोषणा के आधार पर 2019-20 और 2020-21 के दौरान 8,77,538 परिवारों को 270.84 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई।
- नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) से प्राप्त सत्यापित आँकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 31 जनवरी, 2022 को एमएमपीएसवाई के तहत प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के 2,83,772 लाभार्थियों को प्रीमियम की प्रतिपूर्ति के रूप में 3,54,77,472 रुपए वितरित किये गए।
- योजना के तहत सीआरआईडी उन परिवारों का सत्यापित डेटा प्रदान करेगी जिनकी पारिवारिक आय 1.80 लाख रुपए वार्षिक से कम या उसके बराबर है और जिनके पास परिवार पहचान पत्र पहचान संख्या है। पात्र लाभार्थियों की पहचान सीआरआईडी द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों से की जाएगी।
- एमएमपीएसवाई योजना के तहत, 6000 रुपए प्रति परिवार की राशि के लिये पात्र लाभार्थी पाँच केंद्रीय योजनाओं अर्थात् पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई, पीएमकेएमवाई, पीएमएसवाईएमवाई और पीएमएलवीएमवाई का लाभ पाने के हकदार होंगे।
- 6000 रुपए की बीमा राशि का उपयोग लाभार्थी की पात्रता के अनुसार उक्त सभी योजनाओं के प्रीमियम का भुगतान करने के लिये किया जाएगा।
- केंद्र सरकार की 5 योजनाओं में से किसी भी योजना में शामिल होने के समय लाभार्थी अंशदान की पहली किश्त का भुगतान लाभार्थी द्वारा स्वयं किया जाएगा, जिसकी प्रतिपूर्ति बाद में राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
- योजना को जारी रखने के कारण देय आगामी प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थी के खातों में या बीमा कंपनी को किया जाएगा। तीन मानधन योजनाओं (पीएमकेएमवाई, पीएमएसवाईएमवाई और पीएमएलवीएमवाई) के पात्र लाभार्थियों के लंबित बकाया/प्रीमियम का भुगतान भी पहली अप्रैल, 2020 से एमएमपीएसवाई के तहत किया जाएगा।
अटल पेंशन योजना में झारखंड के 16 ज़िलों का उत्कृष्ट प्रदर्शन | झारखंड | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को केंद्र सरकार की अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में बेहतर कार्य करने वाले झारखंड के 16 ज़िलों के एलडीएम को पेंशन निधि विनियामक, विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) और एसएलबीसी के सहयोग से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित आउटरीच कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- पीएफआरडीए द्वारा झारखंड राज्य को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये 1,95,220 नामांकन का लक्ष्य दिया गया था, जिसके विरुद्ध उपलब्धि 2,18,516 रही, जो कि लक्ष्य का 112 प्रतिशत है।
- इसके अलावा छह बैंकों- एसबीआई (198 प्रतिशत), बीओआई (147 प्रतिशत), झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक (121 प्रतिशत), बैंक ऑफ बड़ौदा (108 प्रतिशत), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (104 प्रतिशत) एवं साउथ इंडियन बैंक (140 प्रतिशत) को भी एपीवाई के तहत नामांकन में उनके अनुकरणीय प्रदर्शन के लिये सम्मानित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि अटल पेंशन योजना मई 2015 में सभी भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
- इसमें 18-40 वर्ष के बीच की आयु वाला भारत का कोई भी नागरिक शामिल हो सकता है। यह योजना 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 1000 रुपए से 5000 रुपए तक की न्यूनतम गारंटीड पेंशन प्रदान करती है।
देश के पहले आईडिया लैब का उद्घाटन | छत्तीसगढ़ | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने छत्तीसगढ़ के श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज, रायपुर में देश के पहले अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) आईडिया लैब का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि पूरे देश से कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने आईडिया लैब स्थापित करने के लिये आवेदन किया था, जिनमें से 49 कॉलेजों का चयन किया गया। इनमें से एआईसीटीई ने रायपुर स्थित शंकराचार्य कॉलेज को चुना है।
- मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के बुनियादी सिद्धांतों को समझाने और प्रयोग करके व्यवहारिक अनुभव प्राप्त करने के उद्देश्य से आईडिया लैब की स्थापना की गई है। इस लैब की स्थापना से छात्रों को रिसर्च एवं इनोवेशन के लिये बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
- तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की कल्पना और सोच को मूर्त रूप देने में इस आईडिया लैब की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। इस लैब का उपयोग छात्र-छात्राओं के साथ-साथ आम लोग भी कर सकेंगे।
- नया उद्यम प्रारंभ करने वाले युवा इसका भरपूर लाभ उठा सकेंगे। किसी भी छात्र के पास कोई तकनीकी आईडिया हो तो वे इस लैब में आकर अपने सपने को साकार कर सकते हैं और अपने आईडिया को पेटेंट करा सकते हैं। उनके द्वारा डिजाईन किये गए प्रोडक्ट यहाँ विकसित हो सकेंगे। यह स्व-रोज़गार के क्षेत्र में बड़ा कदम होगा।
- साधन संपन्न प्रयोगशाला एवं विकसित सुविधाओं का उपयोग दूरस्थ अंचल के छात्र-छात्राएँ भी कर सकेंगे, ताकि वे सर्वांगीण विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभा सकें।
- उल्लेखनीय है कि आईडिया लैब योजना के अंतर्गत देश के चुनिंदा संस्थानों में अनुदान दिया जाता है, जिससे संस्थान अत्याधुनिक उपकरणों की खरीदी करते हैं। इससे छात्रों के प्रशिक्षण में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं होती। आईडिया लैब से छात्रों के इनोवेशन एवं स्टार्टअप आईडिया को विकसित करने में सहायता मिलती है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत आईडिया विकास, मूल्यांकन और अनुप्रयोगों को केंद्र में रखकर इस योजना को डिजाईन किया गया है। इससे छात्रों में इमेजिनेशन, क्रिएटिविटी, क्रिटिकल थिंकिंग, डिजाईन थिंकिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग एवं कोलैबोरेशन जैसे स्किल्स का विकास होगा। यह लैब सातों दिन एवं 24 घंटे खुली रहेंगी।
छत्तीसगढ़ के उर्वरक मांग में केंद्र ने की 45 फीसद की कटौती | छत्तीसगढ़ | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
8 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के रासायनिक उर्वरकों के डिमांड कोटे में केंद्र सरकार ने 45 फीसद की कटौती कर दी है। 7 लाख 50 हज़ार मीट्रिक टन के विरूद्ध केंद्र ने मात्र 4 लाख 11 हज़ार मीट्रिक टन उर्वरक प्रदाय किये जाने की स्वीकृति दी है, जिसके चलते राज्य में रासायनिक उर्वरकों की कमी की स्थिति निर्मित हो गई है।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ राज्य को चालू रबी सीजन के लिये केंद्र सरकार द्वारा मांग के अनुसार रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति न करने के कारण प्रदेश में किसानों को रासायनिक खादों को लेकर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद राज्य के किसानों को रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता के आधार पर सोसायटियों से खाद उपलब्ध कराई जा रही है।
- चालू रबी सीजन के लिये विभिन्न प्रकार के कुल 7 लाख 50 हज़ार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की डिमांड भारत सरकार से की गई है, परंतु आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य को मात्र 3 लाख 20 हज़ार मीट्रिक टन उर्वरक ही मिला है।
- छत्तीसगढ़ राज्य को अब तक यूरिया 1,17,522 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो राज्य की मांग का मात्र 34 प्रतिशत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य को मांग का डीएपी मात्र 28 प्रतिशत, पोटाश 53 प्रतिशत, एनपीके काम्प्लेक्स 43 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस साल रबी सीजन में 18 लाख 50 हज़ार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 15 लाख 76 हज़ार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है।
- छत्तीसगढ़ शासन द्वारा केंद्र सरकार को 7.50 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की मांग भेजी गई थी, जिसमें यूरिया 3.50 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 2 लाख मीट्रिक टन, पोटाश 50 हज़ार मीट्रिक टन, एनपीके काम्प्लेक्स 75 हज़ार मीट्रिक टन एवं सुपर फास्फेट (राखड़) 75 हज़ार मीट्रिक टन है, जिसके विरूद्ध केंद्र सरकार द्वारा 4,11,000 मेट्रिक टन की स्वीकृति दी गई, जो छत्तीसगढ़ राज्य की मांग का 55 प्रतिशत है। यह राज्य की मांग के अपेक्षा काफी कम है।
- राज्य को चालू रबी सीजन के लिये सहकारिता क्षेत्र में 93,214 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक प्राप्त हुआ है, जो गत वर्ष की इसी अवधि में प्राप्त मात्रा 1,52,027 मीट्रिक टन से 39 प्रतिशत कम है। यूरिया 31,500 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत कम है। डीएपी 19,434 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में 68 प्रतिशत कम है। पोटाश 4,191 मीट्रिक टन मिला है, जो गत वर्ष की 15,847 मीट्रिक टन की तुलना में 74 प्रतिशत कम है। इसी तरह एनपीके की भी गत वर्ष की तुलना में कम आपूर्ति हुई है।
राज्य में शुरू हुआ ‘सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0’ | छत्तीसगढ़ | 09 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2022 को नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में ‘सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0’ की शुरुआत की गई। फिलहाल इसकी शुरुआत राज्य के पाँच ज़िलों- बस्तर, धमतरी, दुर्ग, कांकेर एवं राजनांदगाँव से की गई है।
प्रमुख बिंदु
- स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तहत उक्त पाँचों ज़िलों में स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं एवं मितानिनों द्वारा गृह भ्रमण कर नियमित टीकाकरण से छूटे बच्चों का चिन्हांकन कर सूची बनाई गई है।
- अभियान के अंतर्गत जन्म से 2 वर्ष तक के 5 हज़ार 435 बच्चे एवं 2 हज़ार 604 गर्भवती माताओं को टीकाकृत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान के जरिये नियमित टीकाकरण से वंचित बच्चों को टीका लगाया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ के मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि यह अभियान राज्य में 3 चरणों में संचालित किया जाएगा, जिसमें प्रथम चरण 7 फरवरी से 13 फरवरी द्वितीय चरण 07 मार्च से 13 मार्च एवं तृतीय चरण 4 अप्रैल से 10 अप्रेल तक संचालित किये जाएंगे। प्रत्येक चरण सात दिवस के होंगे।
- अभियान में उन गर्भवती माताओं को शामिल किया गया है, जो किन्ही कारणों से टीडी 1, टीडी 2 और बूस्टर टीडी के टीके नहीं लगवा पाई हैं। अभियान के तहत नियमित टीकाकरण से छूटे जन्म से 2 वर्ष तक के बच्चों को बीसीजी, पोलियो, डिप्थेरिया, टिटनेस, कुकुर खॉसी, हेपेटाइटिस-बी, हिमोफिलियस, इन्फ्लुएंजा-बी, रोटावायरस, निमोनिया, दिमागी बुखार, खसरा, रूबेला, एवं जैपजीन, इन्सेफेलाइटिस के टीके लगाए जा रहे हैं।
- राज्य में चिह्नित ज़िलों में प्रथम चरण में 2199 सत्र आयोजित किये जाएंगे, जिससे 5400 से अधिक 02 वर्ष तक के बच्चे एवं 2600 से अधिक गर्भवती माताएँ टीकाकृत होंगी। सभी टीकाकरण सत्र ज़िलों के चिन्हाकित ग्रामों के आंगनबाड़ी केंद्रों में आयोजित किये जाएंगे।