उत्तर प्रदेश Switch to English
गोरखपुर में परियोजनाओं का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
7 दिसंबर, 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनपद गोरखपुर में लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से स्थापित परियोजनाओं- हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लि. गोरखपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर तथा आई.सी.एम.आर.- रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- 8603 करोड़ से तैयार हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के गोरखपुर खाद कारखाने में सालाना लगभग 12.7 लाख टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा।
- इस कारखाने से राज्य के किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया की उपलब्धता होगी। पूर्वांचल में रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे। खाद कारखाने से जुड़े सहायक उद्योगों के साथ ही ट्रांसपोर्टेशन सर्विस सेंटर को बढ़ावा मिलेगा।
- उल्लेखनीय है कि नेप्था आधारित पुराना गोरखपुर यूरिया प्लांट 1969 में लगा था। यह खाद कारखाना 10 जून, 1990 को बंद हो गया था। एफसीआई के बंद पड़े यूरिया प्लांट की जगह हिन्दुस्तान उवर्रक रसायन लिमिटेड द्वारा चार गुना बड़ा ग्रीन फील्ड यूरिया प्लांट लगाया गया है।
- वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री ने गोरखपुर के इसी खाद कारखाने का शिलान्यास किया। पहले गोरखपुर में स्थापित उर्वरक कारखाने के स्थान पर बना यह नया कारखाना पहले की तुलना में 4 गुना अधिक क्षमता का है।
- गोरखपुर खाद कारखाने के प्रिलिंग टावर की ऊँचाई कुतुब मीनार से दोगुने से भी अधिक है। कुतुब मीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है, जबकि प्रिलिंग टावर की ऊंचाई 149.5 मीटर है। विश्व में दूसरे नंबर का सबसे ऊंचा मीटर एग्रो फर्टिलाइजर्स लिमिटेड ने पाकिस्तान के दहरकी में बनया है। उसकी ऊँचाई 125 मीटर है, जबकि गोरखपुर खाद कारखाने की ऊँचाई इससे करीब 25 मीटर अधिक है।
- लगभग 1011 करोड़ रुपए से बन रहे गोरखपुर एम्स की क्षमता 100 बेड की है। इस केंद्रीय संस्थान का शिलान्यास जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री ने किया था।
- एम्स गोरखपुर तथा रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर की स्थापना से दिमागी बुखार सहित अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव में मदद मिलेगी। बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर की अत्यधुनिक लैब 36 करोड़ की लागत से तैयार की गई हैं।
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