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गोरखपुर में 474 करोड़ की लागत से गोड़धोइया नाला व रामगढ़ ताल का होगा जीर्णोद्धार
चर्चा में क्यों?
7 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 474.42 करोड़ रुपए की गोड़धोइया नाले और रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार तथा 561.34 करोड़ रुपए की सीवरेज योजना ज़ोन सी पार्ट-दो, योजनाओं को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि गोरखपुर सिटी में गोड़धोइया नाला पहले एक प्राकृतिक नाला था, जिसके आसपास के क्षेत्रों में शहरीकरण के कारण विभिन्न नाले के माध्यम से सीवेज युक्त गंदा पानी गिरने और अतिक्रमण से सिल्ट भर गई है। इसी कारण से यहाँ के आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- इसको ध्यान में रखते हुए गोड़धोइया नाला और रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार व इंटरसेप्शन डयवर्जन एवं ट्रीटमेंट की परियोजना तैयार की गई है। परियोजना के अंतर्गत 44300 घरों से निकलने वाले 38 एमएलडी सीवरेज का ट्रीटमेंट किया जाएगा।
- इसमें नाले के दोनों तरफ आरसीसी रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी तथा इसके दोनों तरफ सीवरेज लाइन डाली जाएगी। इसके पास में ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा और बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाएगा।
- इस परियोजना से गोड़धोइया नाले के 9.7 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले करीब 2.2 लाख परिवारों को बाढ़ और जल जनित बीमारियों से राहत मिलेगी। इसके अलावा वर्ष 2025 की जनसंख्या की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुविधा विकसित की जाएगी। इस पर 561.34 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। इसमें सीवरेज लाइन डालते हुए 43963 घरों में कनेक्शन भी दिया जाएगा।
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कतर्निया घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर के रूप में होगा विकसित
चर्चा में क्यों?
7 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इसके लिये 10 सदस्यीय शोध और प्रशिक्षुओं का दल कतर्निया पहुँच गया है। यहाँ तीन महीने रहकर यह दल घड़ियाल पर डाक्यूमेंट्री फिल्म तैयार करेगा।
- जलीय क्षेत्र में घड़ियाल के कुनबों को बढ़ाने व उनके रहन-सहन पर रिसर्च कर शोध-पत्र तैयार किया जाएगा। इसी के आधार पर सरकार पर्यटन स्थल के स्वरूप व घड़ियाल रिसर्च सेंटर तक की योजना को अंतिम रूप देगी।
- गौरतलब है कि भारत-नेपाल सीमा से कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग लगा हुआ है। 551 वर्ग किलोमीटर में प्रभाग में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गैंडा समेत कई तरह के दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का बसेरा है। कतर्निया के बीच होकर बहने वाली गेरुआ नदी के छह किलोमीटर के दायरे में घड़ियाल के कुनबों का बसेरा रहता है। देश भर में कतर्नियाघाट घड़ियाल कंजर्वेशन के रूप में ही शुरुआत से जाना जाता है।
- अब इसी पहचान को राष्ट्रीय व विश्व फलक पर चमकाने की तैयारी हो रही है। इसके तहत घड़ियालों के कुनबों को बढ़ाने के साथ ही घड़ियाल सेंटर के आकार को भी बदलने की योजना बन रही है।
- 10 सदस्यीय टीम में तीन शोधकर्त्ता, छह प्रशिक्षु शोधकर्त्ता व एक मूवी मेकर शामिल हैं। यह टीम तीन माह कतर्निया में रहकर शोध करेगी। शोध रिपोर्ट के आधार पर सेंटर का स्वरूप तैयार किया जाएगा।
- कतर्नियाघाट पर फिल्म बनाई जा चुकी है, लेकिन विशेषकर घड़ियाल पर पहली बार डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की तैयारी हो रही है। फिल्म में कतर्निया के शोध-पत्रों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि भविष्य में छात्रों को शोधपरक सामग्री आसानी से मिल सके।
- गेरुआ में 12 पूल बने हुए हैं। इनमें से तीन पूल में कछुआ का बसेरा है, जबकि एक पर मगरमच्छों का कब्ज़ा है। वहीं छह पूलों में घड़ियालों का कुनबा रहता है। जिस तेजी से इनकी संख्या बढ़ रही है, ऐसे में पूल कम और आकार में छोटे पड़ रहे हैं। बड़े घड़ियाल चार से पाँच फूट के होते हैं। एक पूल में छह से ज़्यादा नहीं रह सकते हैं।
- डीएफओ ने बताया कि वाइल्ड लाइफ से दशकों से जुड़ी मूवी मेकिंग की बंगलूरू की विशेषज्ञ त्रिशाला अशोक भी टीम के साथ आई हुई हैं। रिसर्च में कॉलेज के छात्रों को भी जोड़ा जाएगा। इसमें मूवी मेकिंग में रुचि रखने वाले छात्रों को विशेषज्ञ जानकारी साझा कर उनकी जिज्ञासा बढ़ाएंगी।
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गोरखपुर के उमा सिंह ने माउंट फ्रेंडशिप पर साइकिल से की चढ़ाई
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के उमा सिंह ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए हिमाचल प्रदेश में मनाली स्थित माउंट फ्रेंडशिप की चोटी साइकिल से फतह कर नया रिकॉर्ड बनाया है और इस तरह वे साइकिल से इस पर्वत की चोटी पर पहुँचने वाले पहले पर्वतारोही बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि गोरखपुर में बांसगांव तहसील क्षेत्र के गोड़सैरा गाँव के रहने वाले उमा सिंह ने 25 अक्टूबर को साइकिल से इस यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने साइकिल से ही 2 नवंबर को मनाली तक करीब 1400 किमी. का सफर पूरा किया। वहाँ से 2 नवंबर को ही इस अभियान की शुरुआत कर दी। पूरी यात्रा में उन्हें कुल 12 दिन लगे थे।
- 17,346 फीट ऊँचे माउंट फ्रेंडशिप का शीर्ष करीब दो सौ मीटर तक दीवार की तरह खड़ा है। इसलिये वहाँ तक पहुँचना संभव नहीं था। गाइड के निर्देशानुसार टॉप से 200 मीटर नीचे से ही उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद वापसी की।
- इससे पहले भी उमा सिंह 15 से 17 जुलाई के बीच कश्मीर से कन्याकुमारी (3629 किमी.) का सफर किराए की स्पोर्ट्स बाइक से रिकॉर्ड 63 घंटे 35 मिनट 20 सेकेंड में तय किया था और 12 से 15 अगस्त के बीच हिमालय पर्वत की चार चोटियों पर साइकिल से चढ़ाई कर पहले भारतीय और दुनिया के तीसरे पर्वतारोही बने थे।
- इसके अलावा उन्होंने 15 अगस्त, 2021 को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो (19340 फीट) पर साइकिल से चढ़ाई कर तिरंगा फहराया था।
- विदित है कि 30 नवंबर, 2020 से 10 फरवरी, 2021 के बीच 73 दिनों में 12,271 किमी. का सफर साइकिल से पूरा करने का रिकॉर्ड उमा के नाम है। इस दौरान उन्होंने देश के सभी राज्यों और उनकी राजधानी तक अपनी दस्तक दी।
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