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स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Nov 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

गोरखपुर में 474 करोड़ की लागत से गोड़धोइया नाला व रामगढ़ ताल का होगा जीर्णोद्धार

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 474.42 करोड़ रुपए की गोड़धोइया नाले और रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार तथा 561.34 करोड़ रुपए की सीवरेज योजना ज़ोन सी पार्ट-दो, योजनाओं को मंज़ूरी दी।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि गोरखपुर सिटी में गोड़धोइया नाला पहले एक प्राकृतिक नाला था, जिसके आसपास के क्षेत्रों में शहरीकरण के कारण विभिन्न नाले के माध्यम से सीवेज युक्त गंदा पानी गिरने और अतिक्रमण से सिल्ट भर गई है। इसी कारण से यहाँ के आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • इसको ध्यान में रखते हुए गोड़धोइया नाला और रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार व इंटरसेप्शन डयवर्जन एवं ट्रीटमेंट की परियोजना तैयार की गई है। परियोजना के अंतर्गत 44300 घरों से निकलने वाले 38 एमएलडी सीवरेज का ट्रीटमेंट किया जाएगा।
  • इसमें नाले के दोनों तरफ आरसीसी रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी तथा इसके दोनों तरफ सीवरेज लाइन डाली जाएगी। इसके पास में ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा और बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाएगा।
  • इस परियोजना से गोड़धोइया नाले के 9.7 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले करीब 2.2 लाख परिवारों को बाढ़ और जल जनित बीमारियों से राहत मिलेगी। इसके अलावा वर्ष 2025 की जनसंख्या की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुविधा विकसित की जाएगी। इस पर 561.34 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। इसमें सीवरेज लाइन डालते हुए 43963 घरों में कनेक्शन भी दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश Switch to English

कतर्निया घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर के रूप में होगा विकसित

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इसके लिये 10 सदस्यीय शोध और प्रशिक्षुओं का दल कतर्निया पहुँच गया है। यहाँ तीन महीने रहकर यह दल घड़ियाल पर डाक्यूमेंट्री फिल्म तैयार करेगा।
  • जलीय क्षेत्र में घड़ियाल के कुनबों को बढ़ाने व उनके रहन-सहन पर रिसर्च कर शोध-पत्र तैयार किया जाएगा। इसी के आधार पर सरकार पर्यटन स्थल के स्वरूप व घड़ियाल रिसर्च सेंटर तक की योजना को अंतिम रूप देगी।
  • गौरतलब है कि भारत-नेपाल सीमा से कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग लगा हुआ है। 551 वर्ग किलोमीटर में प्रभाग में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गैंडा समेत कई तरह के दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का बसेरा है। कतर्निया के बीच होकर बहने वाली गेरुआ नदी के छह किलोमीटर के दायरे में घड़ियाल के कुनबों का बसेरा रहता है। देश भर में कतर्नियाघाट घड़ियाल कंजर्वेशन के रूप में ही शुरुआत से जाना जाता है।
  • अब इसी पहचान को राष्ट्रीय व विश्व फलक पर चमकाने की तैयारी हो रही है। इसके तहत घड़ियालों के कुनबों को बढ़ाने के साथ ही घड़ियाल सेंटर के आकार को भी बदलने की योजना बन रही है।
  • 10 सदस्यीय टीम में तीन शोधकर्त्ता, छह प्रशिक्षु शोधकर्त्ता व एक मूवी मेकर शामिल हैं। यह टीम तीन माह कतर्निया में रहकर शोध करेगी। शोध रिपोर्ट के आधार पर सेंटर का स्वरूप तैयार किया जाएगा।
  • कतर्नियाघाट पर फिल्म बनाई जा चुकी है, लेकिन विशेषकर घड़ियाल पर पहली बार डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की तैयारी हो रही है। फिल्म में कतर्निया के शोध-पत्रों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि भविष्य में छात्रों को शोधपरक सामग्री आसानी से मिल सके।
  • गेरुआ में 12 पूल बने हुए हैं। इनमें से तीन पूल में कछुआ का बसेरा है, जबकि एक पर मगरमच्छों का कब्ज़ा है। वहीं छह पूलों में घड़ियालों का कुनबा रहता है। जिस तेजी से इनकी संख्या बढ़ रही है, ऐसे में पूल कम और आकार में छोटे पड़ रहे हैं। बड़े घड़ियाल चार से पाँच फूट के होते हैं। एक पूल में छह से ज़्यादा नहीं रह सकते हैं।
  • डीएफओ ने बताया कि वाइल्ड लाइफ से दशकों से जुड़ी मूवी मेकिंग की बंगलूरू की विशेषज्ञ त्रिशाला अशोक भी टीम के साथ आई हुई हैं। रिसर्च में कॉलेज के छात्रों को भी जोड़ा जाएगा। इसमें मूवी मेकिंग में रुचि रखने वाले छात्रों को विशेषज्ञ जानकारी साझा कर उनकी जिज्ञासा बढ़ाएंगी।

उत्तर प्रदेश Switch to English

गोरखपुर के उमा सिंह ने माउंट फ्रेंडशिप पर साइकिल से की चढ़ाई

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के उमा सिंह ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए हिमाचल प्रदेश में मनाली स्थित माउंट फ्रेंडशिप की चोटी साइकिल से फतह कर नया रिकॉर्ड बनाया है और इस तरह वे साइकिल से इस पर्वत की चोटी पर पहुँचने वाले पहले पर्वतारोही बन गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि गोरखपुर में बांसगांव तहसील क्षेत्र के गोड़सैरा गाँव के रहने वाले उमा सिंह ने 25 अक्टूबर को साइकिल से इस यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने साइकिल से ही 2 नवंबर को मनाली तक करीब 1400 किमी. का सफर पूरा किया। वहाँ से 2 नवंबर को ही इस अभियान की शुरुआत कर दी। पूरी यात्रा में उन्हें कुल 12 दिन लगे थे।
  • 17,346 फीट ऊँचे माउंट फ्रेंडशिप का शीर्ष करीब दो सौ मीटर तक दीवार की तरह खड़ा है। इसलिये वहाँ तक पहुँचना संभव नहीं था। गाइड के निर्देशानुसार टॉप से 200 मीटर नीचे से ही उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद वापसी की।
  • इससे पहले भी उमा सिंह 15 से 17 जुलाई के बीच कश्मीर से कन्याकुमारी (3629 किमी.) का सफर किराए की स्पोर्ट्स बाइक से रिकॉर्ड 63 घंटे 35 मिनट 20 सेकेंड में तय किया था और 12 से 15 अगस्त के बीच हिमालय पर्वत की चार चोटियों पर साइकिल से चढ़ाई कर पहले भारतीय और दुनिया के तीसरे पर्वतारोही बने थे।
  • इसके अलावा उन्होंने 15 अगस्त, 2021 को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो (19340 फीट) पर साइकिल से चढ़ाई कर तिरंगा फहराया था।
  • विदित है कि 30 नवंबर, 2020 से 10 फरवरी, 2021 के बीच 73 दिनों में 12,271 किमी. का सफर साइकिल से पूरा करने का रिकॉर्ड उमा के नाम है। इस दौरान उन्होंने देश के सभी राज्यों और उनकी राजधानी तक अपनी दस्तक दी।

राजस्थान Switch to English

‘जयपुर आर्किटेक्चर फेस्टिवल’

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड (रीको) के प्रबंध निदेशक शिवप्रसाद नकाते ने बताया कि राज्य में आयोजित होने वाले ‘इंडिया स्टोनमार्ट 2022’ में 11 और 12 नवंबर को ‘जयपुर आर्किटेक्चर फेस्टिवल’(जेएएफ) का आयोजन किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • शिवप्रसाद नकाते ने बताया कि जेएएफ विशेषरूप से ‘आर्किटेक्चरल प्रैक्टिस और एजुकेशन एवं इंडिया के स्टोन ट्रेडिशन’पर केंद्रित रहेगा।
  • ‘जयपुर आर्किटेक्चर फेस्टिवल’का उदेश्य आर्किटेक्चर के रचनात्मक क्षेत्र में नए विचारों के आदान-प्रदान, संवाद और नेटवर्किंग के लिये एक उपयुक्त मंच प्रदान करना है तथा जेएएफ में भविष्य के शहरों, पर्यावरण, आर्किटेक्चर के साथ-साथ समृद्ध स्टोन ट्रेडिशंस के अभ्यास और शिक्षा के बारे में कई तरह के विचारों पर ज़ोर दिया जाएगा।
  • उन्होंने बताया कि ‘आर्किटेक्चर फेस्टिवल’का आयोजन सीडीओएस, रीको और फिक्की द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (IIA) और राजस्थान चैप्टर नॉलेज पार्टनर हैं।
  • इस फेस्टिवल में देशभर से और विदेशों के प्रख्यात आर्किटेक्ट्स भाग लेंगे तथा प्रतिभागियों में शिक्षण संकाय और महत्त्वपूर्ण आर्किटेक्चरल कॉलेजों एवं संस्थानों के छात्र भी शामिल होंगे।
  • यह फेस्टिवल विभिन्न पत्थरों की उपलब्धता और गुणों के बारे में ज्ञान एवं जागरूकता को अद्यतन करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • विदित है कि सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ स्टोन्स (सीडीओएस) ने पत्थर उद्योग में प्रतिभागियों को परेशानीमुक्त चयन और सोर्सिंग के साथ-साथ सीधे संपर्क स्थापित करने के लिये कई पहल की हैं।
  • यह आयोजन नए विचारों और प्रतिभाओं के उद्भव के लिसे डिज़ाइन फ्रेटरनिटी के 300 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ प्रमुख आर्किटेक्ट्स के साथ सीखने और संवाद के अवसर प्रदान करेगा।
  • इस फेस्टिवल में राजस्थान राज्य की समृद्ध संस्कृति, विरासत और स्टोन आर्किटेक्चर के स्रोत्र के रूप में डिस्प्ले एरिना में आर्किटेक्ट्स और डिज़ाइनरों के 15 प्रेरक प्रोजेक्ट्स को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि इंडिया स्टोनमार्ट 22 का 11वाँ संस्करण 10 से 13 नवंबर तक जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र के जयपुर एग्जीबिशन और कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ स्टोंस (सीडीओएस) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) सह-आयोजक हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम श्रृंखला में 8,693 ज़िलास्तरीय पुरस्कार वितरित

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम श्रृंखला में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और राज्य के मंत्रीगण, सांसद और विधायकों द्वारा सभी 52 ज़िलों में ज़िलास्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 8,693 लोगों को पुरस्कृत किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • भोपाल में राज्यस्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में 100 व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किये गए। मुरैना ज़िले में 227 और श्योपुर ज़िले में 151 लोगों को उत्कृष्ट कार्य के लिये पुरस्कृत किया गया।
  • मंडला में 51 लोगों को, हरदा में 50 और छिंदवाड़ा में 210 लोगों को पुरस्कृत किया गया। बड़वानी में 300, इंदौर में 150, अलीराजपुर में 345, भिंड में 295 और रायसेन ज़िले में 75 लोगों को उत्कृष्ट कार्यों के लिये पुरस्कृत किया गया।
  • जबलपुर में 238, कटनी में 186, देवास में 70, सागर में 50, अनूपपुर में 100, पन्ना में 258, ग्वालियर में 22 और अशोकनगर में 312, राजगढ़ में 50, डिंडोरी में 65, नीमच में 72 और बालाघाट ज़िले में 230 लोगों को ज़िलास्तरीय समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • छतरपुर ज़िले में 75, धार में 220, झाबुआ में 295, खरगौन में 100, बुरहानपुर में 613, सतना में 115, सिंगरौली में 397, दतिया में 111, बैतूल में 25 और नरसिंहपुर में 65 लोगों को पुरस्कृत किया गया।
  • नर्मदापुरम में 300, शहडोल में 102, उज्जैन में 160, रतलाम में 350, मंदसौर में 25, उमरिया में 75, दमोह में 20, टीकमगढ़ में 160, निवाड़ी में 315, रीवा में 400, सीधी में 105, गुना में 147, नीमच में 72, विदिशा में 100, सीहोर में 60 लोगों को पुरस्कृत किया गया।
  • सिवनी में 120 लोगों को ज़िलास्तरीय समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खंडवा में 140, शाजापुर में 73, आगर-मालवा में 243 और शिवपुरी ज़िले में 173 लोगों को उत्कृष्ट कार्य के लिये ज़िलास्तरीय पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में पुरस्कार दिये गए।

मध्य प्रदेश Switch to English

राष्ट्रीय मींस कम मेरिट छात्रवृति परीक्षा में प्रदेश से ढाई लाख से अधिक विद्यार्थी हुए शामिल

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस. ने बताया कि राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप परीक्षा में इस वर्ष मध्य प्रदेश से रिकॉर्ड 2 लाख 52 हज़ार से अधिक विद्यार्थियों ने सहभागिता की है।

प्रमुख बिंदु

  • संचालक धनराजू एस. ने बताया कि गत वर्षों में इस छात्रवृति परीक्षा में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थियों की संख्या वर्ष 2019 में अधिकतम एक लाख ही रही है।
  • इस वर्ष इस परीक्षा के सुचारु आयोजन के लिये संपूर्ण प्रदेश में कुल 811 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। छात्रवृत्ति के लिये कुल 2 लाख 52 हज़ार 410 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है।
  • संचालक ने बताया कि पूर्व वर्ष तक इस परीक्षा के लिये आवेदन प्रक्रिया एमपी ऑनलाइन कियोस्क से होती थी, जिसके स्थान पर इस वर्ष राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा मोबाइल ऐप प्रणाली विकसित कर शालाओं के प्रधानाध्यापकों के माध्यम से विद्यार्थियों के पंजीयन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
  • राष्ट्रीय मींस कम मेरिट परीक्षा का उददेश्य आर्थिक रूप से कमज़ोर किंतु प्रतिभाशाली छात्रों का चयन कर छात्रवृत्ति प्रदान करना है। इस परीक्षा के लिये राज्य में स्थित केवल शासकीय एवं शासकीय अनुदान प्राप्त अथवा स्थानीय निकायों द्वारा संचालित विद्यालयों में कक्षा 8वीं में नियमित रूप से अध्ययनरत् ऐसे विद्यार्थी ही पात्र होते हैं, जिन्होंने कक्षा 7वीं में कम-से-कम सी ग्रेड प्राप्त किया है।
  • छात्र-छात्राओं के अभिभावक की वार्षिक आय 3.50 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिये। छात्रवृत्ति के लिये मध्य प्रदेश राज्य हेतु केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 6,446 छात्रों का कोटा निर्धारित है। इसमें चयनित छात्रों को कक्षा 9वीं से 12वीं तक 12 हज़ार रुपए प्रतिवर्ष के मान से छात्रवृत्ति प्राप्त होती है।

हरियाणा Switch to English

कैशलेस योजना में कवर होंगे हरियाणा के 6.51 लाख कर्मी

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि सरकार राज्य में कैशलेस योजना स्वास्थ्य बीमा योजना का दायरा बढ़ाने जा रही है जिसके तहत छह लाख 51 हज़ार से अधिक कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रितों समेत अन्य श्रेणियों के लोग कवर होंगे।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना के अंतर्गत श्रेणी-1 के तहत हरियाणा के सरकारी व निगम कर्मचारियों के तीन लाख 43 हज़ार 746 परिवार, पेंशनर्स के तीन लाख पाँच हज़ार परिवारों को यह लाभ मिलेगा।
  • श्रेणी-2 में मान्यताप्राप्त पत्रकारों के 1200 परिवार, आज़ाद हिंद फौज के सैनिकों के 424 परिवार, आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे व्यक्तियों के 555 परिवार, हिन्दी आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों के 186 परिवार तथा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जेल में बंद व्यक्तियों के 614 परिवार शामिल किये जाएंगे।
  • मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि सूची में शामिल निजी अस्पतालों की भौगोलिक दृष्टि से मैपिंग की जाए तथा योजना के लिये अधिकारियों व कर्मचारी संघों से भी सुझाव लेकर मसौदा तैयार किया जाए।
  • उन्होंने बताया कि इस योजना के लिये गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों में आपातकालीन स्थितियों में उपचार की अनुमति वर्तमान अभ्यास के अनुसार ही दी जाएगी। ‘प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ के तहत राज्य की राजधानियों, मेट्रो शहरों के पैनल में शामिल अस्पतालों को भी हरियाणा सरकार की बीमा कंपनी द्वारा सूचीबद्ध किया जा सकता है।
  • विदित है कि पैन इंडिया के पैनल पर वर्तमान में हरियाणा, ट्राईसिटी, एनसीआर में सूचीबद्ध सभी पैनल अस्पतालों में सेवाएँ उपलब्ध हैं।
  • मुख्य सचिव ने कैशलेस योजना के इस संबंध में अधिकारियों को बीमा योजना का आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) भी जल्द तैयार करने का निर्देश दिया है।
  • उल्लेखनीय है कि रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) एक खरीद प्रक्रिया में एक प्रारंभिक चरण में जारी किया जाता है, जहाँ आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये एक विशिष्ट वस्तु या सेवा पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु अक्सर बोली प्रक्रिया के माध्यम से एक निमंत्रण प्रस्तुत किया जाता है।

झारखंड Switch to English

राँची की रचिता की ‘मेडीसेवा’टॉप 75 वीमेनप्रेन्योर में

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को झारखंड के राँची की रचिता कासलीवाल का स्टार्टअप ‘मेडीसेवा-अच्छी सेहत का वादा’को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जय विज्ञान और जय अनुसंधान की श्रेणी में बेहतर पहल बताते हुए इसे देश भर के टॉप 75 वीमेनप्रेन्योर में चुना है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘इनोवेशन फॉर यू’की पहल की थी, जिसमें खासकर महिलाओं के स्टार्टअप को शामिल किया गया।
  • रचिता के ‘मेडीसेवा’ की पहल से वर्तमान में पाँच राज्यों को लाभ मिल रहा है तथा इसके अलावा इससे 400 से अधिक लोग सीधे रोज़गार से जुड़े है।
  • रचिता ने बताया कि मेडीसेवा का आइडिया उन्हें कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा के अभाव को देख कर आया, जो समय के साथ फल-फूल रहा है। यह स्टार्टअप दिसंबर, 2020 से शुरू हुआ था तथा अब दिसंबर, 2022 से अंतर्राष्ट्रीय रुख करते हुए अपनी सेवा नेपाल में भी उपलब्ध कराएगा।
  • रचिता ने बताया कि उनका स्टार्टअप ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा सेवा की उपलब्धता पूरी कर रही है, जिसके तहत सुदूर ग्रामीण इलाकों में मेडिकल सेंटर तैयार किये जा रहे हैं, जहाँ लोगों को चिकित्सा परामर्श से लेकर स्पेशलिस्ट डॉक्टर से जोड़ा जा रहा है। मेडिकल सेंटर में जनरल फिजिशियन मेडिकल वाइटल मशीन के ज़रिये लोगों का प्राथमिक उपचार में मदद करते हैं और ज़रूरत पढ़ने पर सेंटर के डॉक्टर तकनीकी सुविधा से लेकर स्पेशलिस्ट डॉक्टर से ग्रामीणों को जोड़ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को बेहतर इलाज की सुविधा मिल रही है।
  • ज्ञातव्य है कि मेडीसेवा वर्तमान में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और असम के ग्रामीण इलाकों में विस्तार कर चुकी है। इन राज्यों में 50 मेडिकल सेंटर ग्रामीण इलाके के लोगों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करा रहे हैं।
  • रचिता कहती हैं कि मेडीटेक के इस आइडिया को 12वीं पास व्यक्ति अपने रोज़गार के लिये अपना सकता है। इसके लिये व्यक्ति के पास 10×10 का जगह, कंप्यूटर, इंटरनेट व अन्य संसाधन होने चाहिये। इसके बाद संस्था से संपर्क कर प्रेंचाइजी की औपचारिकता 5000 रुपए के साथ पूरी कर सकेंगे।
  • इस रकम से 2500 रुपए और 18% टैक्स को प्रेंचाइजी शुल्क के तौर पर लिया जाएगा। वहीं, शेष 1500 रुपए सेंटर के संचालक के वॉलेट में उपलब्ध करा दिये जाएंगे, जिससे व्यक्ति प्रारंभिक कंसल्टेंसी शुल्क को पूरा करा सके। इसके अलावा मेडिकल सेंटर की अन्य सुविधाएँ मेडीसेवा की तर्ज़ पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • रचिता के सबसे कम लागत से रोज़गार सृजन के आइडिया की वजह से इसे देश के वीमेनप्रेन्योर में जगह मिली है।
  • गौरतलब है कि रचिता मेडीसेवा - ग्लोबल इंटरप्रेन्योर समिट 2022, ग्लोबल हैकथॉन 2022, हार्ट पिच कंपीटिशन 2022, टाइकॉन बिजनेस पिच कंपीटिशन 2022 की विजेता रही है। इसके अलावा वह स्टार्टअप इंडिया स्कीम के तहत 35 लाख रुपए व हॉर्सटेबल शो से 1.15 करोड़ रुपए की सीड फंडिंग हासिल कर चुकी हैं।

छत्तीसगढ़ Switch to English

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार होगा पक्षी सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान निदेशक धम्मशील गणविर ने बताया कि बर्ड कॉउंट इंडिया एवं बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ ऑफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से बस्तर अंचल स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार पक्षियों का सर्वेक्षण किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • निदेशक धम्मशील गणविर ने बताया कि कांगेर घाटी पक्षी सर्वेक्षण का कार्य 25 नवंबर से 27 नवंबर, 2022 तक किया जाएगा। इस पक्षी सर्वेक्षण में देश के 11 राज्यों के 56 पक्षी विशेषज्ञों का चयन किया गया है।
  • छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान से प्रतिभागी इस पक्षी सर्वेक्षण में शामिल होंगे।
  • तीन दिनों तक पक्षी विशेषज्ञ कांगेर घाटी के अलग-अलग पक्षी रहवासों का निरीक्षण कर यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों का सर्वेक्षण करेंगे। देश के विभिन्न परिदृश्यों में पाए जाने वाले पक्षियों का कांगेर घाटी से संबंध एवं उनके रहवास को समझने का प्रयास समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा किया गया है।
  • इस सर्वेक्षण से राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन में सहायता होगी तथा ईको-टूरिज्म में बर्ड वॉचिंग के नए आयाम सम्मिलित होंगे।
  • उल्लेखनीय है कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जगदलपुर मध्य भारत के जैव-विविधता का एक अनोखा खजाना है। कांगेर घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैव-विविधता, रोमांचक गुफाओं के लिये देश-विदेश में विख्यात है। यहाँ भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वी हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को भी देखा गया है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ में किसानों को लाख की खेती के लिये प्रोत्साहित करने की विशेष पहल

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के अनुरूप छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिये प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि हेतु विशेष पहल की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिये मदद सहित आवश्यक व्यवस्था की गई है।
  • राज्य में योजना के सफल क्रियान्वयन और लाख उत्पादन में वृद्धि करने के लिये 20 ज़िला यूनियनों में 3 से 5 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर का गठन भी किया गया है।
  • इसके तहत प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में सर्वेक्षण कर कृषकवार बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जाएगी। इनमें कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने हेतु आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से ज़िला यूनियन खाते में जमा कराना होगा।
  • इसके तहत रंगीनी बीहन लाख के लिये कृषकों से मांग प्राप्त करने हेतु समय-सीमा 10 नवंबर के पूर्व निर्धारित है। इसमें कृषकों से राशि जमा किये जाने हेतु समय-सीमा 15 नवंबर तक निर्धारित है। इनमें कुसुमी बीहन लाख के लिये कृषकों से मांग प्राप्त करने हेतु 30 नवंबर के पूर्व तथा राशि जमा किये जाने हेतु 15 दिसंबर तक समय-सीमा निर्धारित है।
  • राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने हेतु कृषकों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिये क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय क्रय दर 550 रुपए प्रति किलोग्राम तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय क्रय दर 275 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
  • इसी तरह कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने हेतु विक्रय दर का भी निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय विक्रय दर 640 रुपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय विक्रय दर 375 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
  • राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिये प्रोत्साहित करने हेतु ज़िला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल ऋण नि:शुल्क ब्याज के साथ प्रदाय करने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत लाख पालन करने हेतु पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हज़ार रुपए, बेर पर 900 रुपए तथा पलाश पर 500 रुपए प्रति वृक्ष ऋण सीमा निर्धारित है।
  • लाख पालन को वैज्ञानिक पद्धति से करने हेतु राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कांकेर में प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है। इस केंद्र में 3 दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण के साथ लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
  • लाख पालन की अच्छी खेती के लिये कुसुम वृक्ष गर्मी के मौसम में अत्यंत उपयुक्त है, परंतु वर्षा ऋतु में बेर वृक्ष कुसुमी लाख पालन हेतु उपयुक्त है। अतएव कुसुम वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों में मीठा बेर रोपण कर वर्ष में 2 फसल लेते हुए अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। इसके मद्देनज़र राज्य में कुसुम समृद्ध क्षेत्रों में कृषकों की मेड़ तथा निजि भूमि पर बृहद स्तर पर मीठा बेर रोपण हेतु वन विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है।
  • राज्य में लाख पालन में वृद्धि हेतु तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के युवा सदस्य, जो 12वीं उत्तीर्ण हैं, उन्हें ‘वनधन मित्र’ के रूप में चयन कर लाख कृषक सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, बीहन लाख व्यवस्था तथा फसल ऋण प्रदायगी आदि में उचित मानदेय पर उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 200 वनधन मित्र (लाख) द्वारा विभिन्न ज़िला यूनियनों में अपनी सेवाएँ लाख कृषकों को प्रदान की जा रही है।
  • गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न ज़िलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है और लगभग 50 हज़ार कृषकों द्वारा कुसुम एवं बेर वृक्षों पर कुसुमी लाख, पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
  • राज्य में वर्तमान में 4 हज़ार टन लाख का उत्पादन होता है, जिसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड़ रुपए है। राज्य में लाख उत्पादन को 10 हज़ार टन तक बढ़ाते हुए 250 करोड़ रुपए की आय कृषकों को देने का लक्ष्य है। इसके लिये लाख पालन करने वाले कृषकों को नि:शुल्क ब्याज के साथ लाख फसल ऋण देने का अहम निर्णय लिया गया है।
  • संपूर्ण देश में लाख उत्पादन में गिरावट के कारण वर्तमान में कुसुमी लाख का बाज़ार दर 300 रुपए से 900 रुपए प्रति किलोग्राम तक वृद्धि हुई है। इससे लाख खेती बढ़ाने हेतु किसानों का रुझान बढ़ रहा है।

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वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ की धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में किया बदलाव

चर्चा में क्यों?

6 नवंबर, 2022 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के पब्लिक अवेयरनेस डिवीजन के अध्यक्ष डॉक्टर आरके वत्स ने बताया कि सेंटर के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव कर पौधों की ऊँचाई कम कर दी है। ऐसे में बरसात, ओलावृष्टि और आंधी का फसलों पर खास असर नहीं पड़ेगा।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि देहरादून के उत्तरांचल विवि में आयोजित आकाश तत्त्व सम्मेलन में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों की ओर से धान की नई प्रजातियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। पहले चरण में संस्थान के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव किया है।
  • इसी प्रकार वैज्ञानिकों ने मूंग की आठ प्रजातियों के म्यूटेंट में भी बदलाव कर नई प्रजातियाँ बनाई हैं।
  • छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर जिन प्रजातियों का म्यूटेंट बदलकर नई प्रजातियाँ विकसित की गई हैं, उनमें सीजी जवाफूल, टीकेआर कोलम, ट्रॉम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाक्षी म्यूटेंट (टीसीबीएम), ट्रांबे छत्तीसगढ़ दूबराज म्यूटेंट (टीसीडीएम) विक्रम टीसीआर, ट्रांबे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट (टीसीवीएम) शामिल हैं।
  • सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. आरके वत्स के मुताबिक, गामा रेडिएशन के ज़रिये धान की प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव किया गया है। इसके बाद नई प्रजाति के धान को विकसित किया गया, जो पहले वाले की तुलना में अलग है।
  • गौरतलब है कि देश में धान की करीब 40 हज़ार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें सबसे अधिक 23230 प्रजातियाँ धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं।

उत्तराखंड Switch to English

चार ज़िलों के 12 निकायों में गरीबों के लिये बनेंगे 2187 आशियाने

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को निदेशक, शहरी विकास नवीन पांडेय की अध्यक्षता में हुई प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की तकनीकी समिति की बैठक में उत्तराखंड में चार ज़िलों के 12 निकायों में गरीबों के लिये 2187 आशियाने बनाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। अब यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में विभिन्न ज़िलों के अलग-अलग निकायों में गरीबों के आवास बनाने के प्रस्ताव रखे गए। इसमें देहरादून के एक, हरिद्वार के तीन, ऊधमसिंह नगर के पाँच और पिथौरागढ़ के तीन निकायों के 2187 आवासों पर मुहर लग गई।
  • बैठक के बाद शहरी विकास निदेशक नवीन पांडेय ने बताया कि बैठक में 12 निकायों की डीपीआर पर मुहर लग गई है। अब प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा रहा है।

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कुमाऊँ की दो नर्सों को मिला ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल अवार्ड’

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के कुमाऊँ की दो नर्सों शशिकला पांडे और गंगा जोशी को ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल अवार्ड 2021’ से सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु

  • नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में तैनात शशिकला पांडे को यह सम्मान उनकी ओर से मरीज़ों के प्रति समर्पण और नि:स्वार्थ सेवा के लिये दिया गया है। नर्सिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड पाने वाली शशिकला पांडे बीडी पांडे अस्पताल की मेट्रन हैं।
  • वहीं, गंगा जोशी खटीमा के उप ज़िला चिकित्सालय में एएनएम के पद पर तैनात हैं। गंगा जोशी को जागरूकता प्रोग्राम, कोविड-19 में विशेष योगदान, आशा कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षण, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की कई ट्रेनिंग में प्रतिभाग करने पर यह पुरस्कार दिया गया है।
  • पिछले दिनों नैनीताल पहुँचे राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने मेट्रन के परिवार की स्थिति, कार्यों व लगन से प्रभावित होकर उनको 10001 रुपए का इनाम दिया था। 15 जून को राज्यपाल ने बीडी पांडे अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस दौरान शशिकला पांडे ने राज्यपाल को अस्पताल का निरीक्षण कराया था।
  • विदित है कि राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कारों की स्थापना वर्ष 1973 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समाज में नर्सों और नर्सिंग पेशेवरों द्वारा प्रदान की गई मेधावी सेवाओं के लिये मान्यता के रूप में की गई थी।

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