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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Oct 2022
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मुख्यमंत्री ने कांकेर में देश के सबसे बड़े मिलेट प्रसंस्करण उद्योग का किया लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

7 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांकेर ज़िले के नाथिया नवागांव में स्थापित देश के सबसे बड़े मिलेट प्रसंस्करण उद्योग का लोकार्पण किया। इससे कोदो-कुटकी-रागी की खेती करने वाले किसानों के साथ-साथ महिला स्व-सहायता समूहों को भी फायदा मिलेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि मिलेट मिशन के अंतर्गत स्थापित यह इकाई भारत की सबसे ज़्यादा क्षमता वाली इकाई है। इस इकाई की वार्षिक प्रसंस्करण क्षमता 10 से 12 हज़ार टन है, जिसके लिये प्रतिदिन लगभग 34 से 40 टन कोदो-कुटकी-रागी की आवश्यकता होगी।
  • इस प्रसंस्करण इकाई में 7 प्रकार की मशीनों द्वारा कोदो-कुटकी-रागी को प्रसंस्कृत कर कोदो-कुटकी-रागी से चावल तथा इनका दलिया, सूजी, आटा सेंवई, पास्ता, सूप मिक्स, बिस्किट, कुकीज, लड्डू इत्यादि बनाए जाएंगे। साथ-साथ इनकी पैकेजिंग भी की जाएगी। इन उत्पादों की मार्केटिंग राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाएगी।
  • उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बस्तर के बकावंड में काजू प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की गई है, जिससे वहां के किसान लाभान्वित हो रहे हैं। लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम धुरागाँव में इमली प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की गई है, जिससे इमली संग्राहकों को लाभ मिलेगा।
  • छत्तीसगढ़ शासन के मिलेट मिशन के अंतर्गत स्थापित इस इकाई को प्रोत्साहन हेतु सीएसआईडीसी द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इस इकाई की स्थापना के लिये आई.आई.एम.आर. हैदराबाद के साथ अवनी आयुर्वेदा प्राइवेट लिमिटेड एवं ज़िला प्रशासन उत्तर बस्तर कांकेर के बीच तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज, सीड बैंक की स्थापना और प्रशिक्षण के लिये एमओयू किया गया है।
  • अवनी आयुर्वेदा प्राइवेट लिमिटेड की प्रसंस्करण इकाई से 100 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्राप्त होगा तथा ज़िले के लगभग 4 हज़ार एवं राज्य के लगभग 25 हज़ार किसान भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे, जो कोदो-कुटकी-रागी फसल की खेती करते हैं। साथ-ही-साथ उन महिला समूहों को भी लाभ मिलेगा, जो इनकी खरीदी करते हैं। इस इकाई की स्थापना से ज़िले के किसान कोदो-कुटकी-रागी की खेती के लिये प्रोत्साहित होंगे।
  • गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में मिलेट के उत्पाद, प्रसंस्करण एवं उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2021 से ‘मिलेट मिशन’प्रारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ के 20 से अधिक ज़िलों में मिलेट्स का उत्पादन होता है।
  • राज्य शासन द्वारा वर्ष 2020-21 से कोदो, कुटकी एवं रागी का प्रथम बार समर्थन मूल्य निर्धारित करते हुए प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से क्रय की व्यवस्था की गई। कोदो एवं कुटकी हेतु 30 रुपए प्रति किलो एवं रागी के लिये 77 रुपए प्रति किलो का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा धान के बदले अन्य लाभकारी फसलों की खेती के लिये राज्य शासन द्वारा ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है।
  • मिलेट्स जैसे कि कोदो-कुटकी-रागी उच्च पौष्टिक धान्य हैं। मिलेट्स ग्लूटेन मुक्त होते हैं तथा इनमें प्रोटीन, डायट्री फाइबर, विटामिन्स और मिनरलस भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। मिलेट्स मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग व कई अन्य बीमारियों के लिये लाभकारी होते है तथा इनसे इम्युनिटी भी बढ़ती है।

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मुख्यमंत्री ने नंदनवन जंगल सफारी में 10 नए बाड़ों का किया लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

7 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वन्यप्राणि संरक्षण सप्ताह के अवसर पर राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नवा रायपुर के नंदनवन जंगल सफारी में लोगों को वन्य प्राणियों को करीब से जानने का मौका देने और उन्हें जागरूक करने के लिये 10 नए बाड़ों का लोकार्पण किया। इन्हें मिलाकर जंगल सफारी में अब कुल 28 बाड़े हो गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में नंदनवन जंगल सफारी की शेरनी ‘कृति’द्वारा माह मई 2021 में जन्मे तीन शावकों का नामकरण अरपा, पैरी तथा शबरी के नाम से किया।
  • मुख्यमंत्री ने इस मौके पर बारनवापारा अभयारण्य में पाए जाने वाली रंग-बिरंगी तितलियों की जानकारी पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन किया।
  • मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम में कहा कि अभी प्रदेश में वन्यप्राणि सप्ताह मनाया जा रहा है। वन्यप्राणियों की रक्षा करने और उनके साथ अपना साहचर्य बढ़ाने के संकल्प के साथ हर साल 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यप्राणि सप्ताह का आयोजन किया जाता है।
  • छत्तीसगढ़ वन एवं वन्यप्राणियों से समृद्ध राज्य है। प्रदेश में 44 प्रतिशत से अधिक हिस्से वनों से आच्छादित हैं, यहाँ विभिन्न प्रकार के वन्यप्राणि विचरण करते हैं। राज्य सरकार द्वारा इसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में वन तथा वन्यप्राणि, दोनों की ही सुरक्षा को प्राथमिकता में रखा गया है।
  • मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि यहाँ स्थित राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य जैव विविधता की दृष्टि से भी समृद्ध हैं। राज्य में वन्यप्राणि संरक्षण के तहत हो रहे कार्यों के फलस्वरूप वन्यप्राणियों के भोजन तथा रहवास की सुविधा की उपलब्धता बढ़ी है। इसके अंतर्गत हाथी-मानव द्वंद्व को रोकने में भी नरवा विकास कार्यक्रम एक कारगर माध्यम बना है।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में वन तथा वन्य प्राणि की सुरक्षा के लिये सरकार द्वारा हरसंभव पहल की जा रही है। इसके तहत राज्य में वर्तमान में संरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत 3 राष्ट्रीय उद्यान, 11 अभयारण्य, 3 टाईगर रिज़र्व, एक हाथी रिज़र्व और एक बायोस्फियर रिज़र्व के माध्यम से वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं संवर्धन के विविध कार्य किये जा रहे हैं।
  • कार्यक्रम में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि नंदनवन जंगल सफारी नवा रायपुर, एशिया का मानव निर्मित सबसे बड़ा जंगल सफारी है। यहाँ अनेक प्रकार के वन्य प्राणियों की संख्या बहुतायत में है।
  • प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणि) पी.वी. नरसिंग राव ने बताया कि राज्य में वन तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिये विभाग द्वारा लगातार कार्य किये जा रहे हैं। जंगल सफारी में 10 नए बाड़ों का लोकार्पण किया गया है। इनमें जंगली कुत्ते, भेड़िये, बायसन, चीतल, सांभर, चिंकारा, साही, नेवला, मसक बिलाव तथा सर्पों के बाड़े शामिल हैं।  

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मुख्यमंत्री ने धुरागाँव में स्थापित इमली प्रसंस्करण संयंत्र का किया शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

7 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने एकदिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान लोहंडीगुड़ा विकासखंड के धुरागाँव में इमली प्रसंस्करण संयंत्र का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इससे क्षेत्र में औद्योगिक निवेश की संभावना बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यहाँ रोज़गार सृजन के लिये स्थानीय वनोपज और कृषि उपज का यहीं प्रसंस्करण आवश्यक है तथा यह संयंत्र इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
  • संयंत्र के संचालक कार्तिक कपूर ने बताया कि इस संयंत्र में प्रतिदिन 10 मीट्रिक टन इमली गूदा, 5 मीट्रिक टन इमली चपाती और 3 मीट्रिक टन इमली बीज का पाउडर बनाने की क्षमता है।
  • यह संयंत्र सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ पीईबी और पफ पैनल में कुल निर्माण के 35000 वर्ग फीट के साथ 2 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ खाद्य प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही, उपकरणों के तौर पर प्रीमियम गुणवत्ता वाली स्टील का उपयोग किया गया है।
  • यहाँ एफएसएसएआई के सभी मानदंडों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। यह संयंत्र पूरी तरह से स्वचालित है, पावर बैकअप, निर्बाध निर्माण के लिये मैनुअल मोड में काम करने का प्रावधान है।

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