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स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Sep 2022
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राजस्थान Switch to English

नशा मुक्त राजस्थान के लिये मुख्यमंत्री के तीन अहम निर्णय

चर्चा में क्यों?

7 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान को नशा मुक्त बनाने के लिये अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग रोकने, नशा पीड़ितों के पुनर्वास एवं जनजागरूकता फैलाने सहित विभिन्न कार्यों के लिये ‘नशा मुक्त राजस्थान निदेशालय/आयुक्तालय’, ‘एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ)’ तथा ‘एंटी नारकोटिक्स यूनिट (एएनयू)’ के गठन हेतु प्रस्तावों को मंज़ूरी प्रदान की।

प्रमुख बिंदु

  • ‘नशा मुक्त राजस्थान निदेशालय/आयुक्तालय’में आयुक्त पदेन शासन सचिव, गृह को नियुक्त किया गया है। इस क्षेत्र में कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व मनोचिकित्सक, मनोविज्ञानी आदि को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
  • साथ ही चिकित्सा एवं परिवार कल्याण, आबकारी, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, पुलिस विभाग, राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला, सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के अधिकारी/कर्मचारी शामिल किये जाएंगे।
  • ‘एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स’का गठन अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह की अध्यक्षता में किया गया है। इसमें अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, एएनयू को सदस्य सचिव बनाया गया है।
  • इस फोर्स में 10 सदस्य होंगे। इनमें स्कूल शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, कृषि विभाग, आबकारी विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग के शासन सचिव और राजस्व आसूचना निदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक, राज्य औषधि नियंत्रक, राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला तथा सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक शामिल हैं।
  • टास्क फोर्स, नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीओआरडी) सचिवालय के रूप में कार्य करेगी। यह एनसीओआरडी की विभिन्न बैठकों के निर्णयों की क्रियान्विति सुनिश्चित करेगी।
  • नशीली दवाओं की तस्करी के खिलाफ कानून लागू करने के लिये रणनीति, उपाय एवं विभिन्न तरीकों को विकसित करना, दुरुपयोग को रोकना, पीड़ितों का पुनर्वास एवं जागरूकता फैलाने जैसे उद्देश्यों के लिये विभिन्न विभाग, सरकारी एजेंसियों एवं पुलिस ईकाईयों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा।
  • यह फोर्स पुलिस, स्वास्थ्य व अन्य विभागीय अधिकारियों द्वारा दवाओं की तस्करी में लिप्त पाए जाने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना सुनिश्चित करेगी। साथ ही विभिन्न विभागों द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग से संबंधित आँकड़ों का आकलन कर आवश्यक नीतिगत परिवर्तन के लिये राज्य सरकार को सिफारिश करेगी।
  • निदेशालय/आयुक्तालय द्वारा नशा नियंत्रण के लिये केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत प्रदत्त वित्तीय सहायता हेतु विभिन्न विभागों की आवश्यकता अनुसार प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे।
  • मादक पदार्थों और नशीली दवाओं की रोकथाम के लिये एसओजी में महानिरीक्षक पुलिस की अध्यक्षता में ‘एंटी नारकोटिक्स यूनिट (एएनयू)’ का गठन किया जा रहा है। यह मुख्यत: एंटी नारकोटिक्स एनफोर्समेंट का कार्य करेगी।

राजस्थान Switch to English

‘राजीव गांधी जल संचय योजना’ के द्वितीय चरण को प्रारंभ करने का निर्णय

चर्चा में क्यों?

7 सितंबर, 2022 को राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की प्रमुख शासन सचिव अपर्णा अरोरा ने बताया कि राज्य सरकार ने ‘राजीव गांधी जल संचय योजना’के द्वितीय चरण को प्रारंभ करने का निर्णय लिया है, जिसके संबंध में आदेश जारी किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • सचिव अपर्णा अरोरा की ओर से जारी आदेशानुसार योजना के द्वितीय चरण के प्रमुख उद्देश्य आम जनता से चर्चा कर प्राथमिकता से पक्के एनीकट, एमआईटी, डब्ल्यूएचएस एवं एमएसटी का निर्माण कराना, विभिन्न वित्तीय संसाधनों का कन्वर्जेन्स कर परंपरागत पेयजल एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवित कराना है।
  • इसी प्रकार गाँवों में पेयजल की कमी को दूर करने हेतु पीने के पानी को गाँव या गाँवों के नज़दीक उपलब्ध कराना, भू-जल स्तर में वृद्धि करना, वर्षा जल संग्रहण एवं संरक्षण कर सिंचित एवं कृषि योग्य क्षेत्रफल को बढ़ाना, जल एवं मृदा संरक्षण कर सिंचित एवं कृषि योग्य क्षेत्रफल को बढ़ाना इत्यादि इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं।
  • द्वितीय चरण में राजस्थान की 352 पंचायत समितियों के लगभग 4500 गाँवों को इस अभियान में शामिल किया गया है।
  • द्वितीय चरण की कार्य अवधि 2 वर्ष रहेगी। इसके प्रभावी क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग के लिये राज्य, ज़िला व ब्लॉक स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। इसके साथ ही कार्य योजना के प्रचार-प्रसार हेतु ग्राम पंचायत स्तरीय कार्यकारी समिति का गठन भी किया गया है।
  • द्वितीय चरण के क्रियान्वयन हेतु ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग प्रशासनिक विभाग एवं जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग नोडल विभाग रहेगा। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ज़िला कलक्टर नोडल अधिकारी रहेंगे।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य में वर्षा जल का अधिकतम संग्रहण, संरक्षण एवं उपलब्ध जल का न्यायोचित उपयोग करने हेतु 20 अगस्त, 2019 को राजीव गांधी जल संचय योजना की शुरुआत हुई थी। प्रथम चरण में 1450 ग्राम पंचायतों में 4029 गाँव शामिल किये गए थे। 

हरियाणा Switch to English

‘ई-रूपी वाउचर’ के माध्यम से कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का वितरण

चर्चा में क्यों?

7 सितंबर, 2022 को हरियाणा कृषि तथा किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि विभाग द्वारा पहली बार ‘ई-रूपी वाउचर’के माध्यम से कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का वितरण किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में उन्होंने  बताया कि इस नई पहल के लागू होने के बाद जहाँ एक तरफ किसानों को अपनी सब्सिडी पाने के लिये दर-दर नहीं भटकना होगा, वहीं दूसरी तरफ इस डिजिटल मोड के माध्यम से योजना के कार्यान्वयन में और अधिक पारदर्शिता आएगी।
  • उन्होंने बताया कि ज़िलास्तरीय कार्यकारिणी समिति द्वारा चयनित होने के बाद किसान संबंधित उपकरणों की लागत के संबंध में विभाग द्वारा अनुमोदित निर्माताओं के साथ बातचीत कर सकते हैं और खरीद के समय ही उनको अनुदान राशि उपलब्ध करा दी जाएगी।
  • डॉ. मिश्रा ने बताया कि अब किसानों को अपनी जेब से पूरी राशि का भुगतान नहीं करना होगा, क्योंकि ई-रूपी पहल के बाद किसानों को लागत का केवल अपना हिस्सा ही देना होगा। इस प्रकार किसानों को जो पहले कुल लागत की व्यवस्था के लिये ब्याज का वहन करना पड़ता था, उस अतिरिक्त बोझ से राहत मिलेगी। 

हरियाणा Switch to English

कृषि एवं उद्यान विभाग बीएससी, एमएससी व पीएचडी छात्रों को देगा इंटर्नशिप

चर्चा में क्यों?

7 सितंबर, 2022 को हरियाणा कृषि तथा किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि राज्य का कृषि एवं उद्यान विभाग अब बीएससी, एमएससी और पीएचडी छात्रों को इंटर्नशिप देगा। इस इंटर्नशिप के लिये छात्रों को विभाग द्वारा स्टाइपेंड भी दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • मेरिट के आधार पर प्रत्येक विभाग में बीएससी के लिये 10, एमएससी एवं पीएचडी के लिये 5-5 छात्रों का इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिये चयन किया जाएगा और विभिन्न डिविजनों में कार्य दिया जाएगा। इंटर्नशिप पूरी होने पर छात्रों को प्रमाण-पत्र भी दिये जाएंगे।
  • डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस योजना के तहत हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, करनाल के महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय एवं हरियाणा में स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट, हरियाणा के सभी छात्रों को हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग एवं बागवानी विभाग में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा।
  • इसके तहत कृषि एवं बागवानी विभाग के क्षेत्र में बीएससी, एमएससी और पीएचडी डिग्री के छात्रों को पारस्परिक लाभ के लिये शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा प्रशिक्षुओं को इंटर्नशिप के दौरान विभागीय कार्यक्रमों, कार्यप्रणाली, तकनीक केंद्रों, किसानों से मिलने का अवसर एवं उनसे बातचीत और कृषि एवं बागवानी फसलों के तकनीकी ज्ञान की जानकारी जानने का अवसर प्राप्त होगा।
  • डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि विभाग से प्राप्त इंटर्नशिप का यह अनुभव छात्रों के भविष्य में काफी मददगार साबित होगा। यह इंटर्नशिप न तो कोई नौकरी है और न ही विभागों में नौकरी के लिये ऐसा कोई आश्वासन है।
  • इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत बीएससी छात्रों की इंटर्नशिप 4 सप्ताह की रहेगी, जबकि कृषि एवं बागवानी क्षेत्र में एमएससी और पीएचडी के छात्रों के लिये इंटर्नशिप कार्यक्रम 8 से 12 सप्ताह का होगा।
  • बीएससी के वे छात्र, जिनको विश्वविद्यालय द्वारा पहले ही 13,000 रुपए प्रतिमाह का स्टाईपेंड दिया जा रहा है, उनको केवल विभागों में काम के लिये इंटर्नशिप प्रोग्राम की सुविधा दी जाएगी। जबकि एमएससी छात्रों को 9,000 रुपए एवं पीएचडी छात्रों को स्टाइपेंड के रूप में 12,000 रुपए कृषि व बागवानी विभाग द्वारा दिये जाएंगे।             

छत्तीसगढ़ Switch to English

राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) (संशोधन) विधेयक का किया अनुमोदन

चर्चा में क्यों?

7 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम, 2005 (क्रमांक 13 सन् 2005) को और संशोधित करने हेतु प्रस्तुत विधेयक का अनुमोदन कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • संशोधन के बाद यह अधिनियम छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) (संशोधन) अधिनियम, 2022 कहलाएगा। इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा तथा राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से यह प्रवृत्त होगा।
  • उक्त विधेयक में संशोधन कर छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम, 2005 (क्र. 13 सन् 2005) की धारा 9 की उप-धारा (1) के अंतर्गत निर्मित अनुसूची में, सरल क्रमांक 15 एवं उससे संबंधित प्रविष्टियों के पश्चात् सरल क्रमांक 16 जोड़ा गया है।
  • इसके अनुसार छत्तीसगढ़ में 16वें निजी विश्वविद्यालय ‘आंजनेय विश्वविद्यालय’के संचालन की स्वीकृति दी गई है। आंजनेय विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर ग्राम- नरदहा, तहसील- मंदिर हसौद, ज़िला-रायपुर में है।
  • इस विश्वविद्यालय में पत्रकारिता/जनसंचार/मीडिया, कला/मानविकी/समाज विज्ञान, विधि, व्यवसाय प्रशासन/वाणिज्य/प्रबंधन/वित्त, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान, ललित कला/प्रदर्शन कला/दृश्य कला/अनुप्रयुक्त कला, होटल प्रबंधन/अतिथि सत्कार/पर्यटन/यात्रा, विज्ञान/अनुप्रयुक्त विज्ञान, अभियांत्रिकी/प्रौद्योगिकी/वास्तुशिल्प/डिज़ाइन, व्यावसायिक शिक्षा/कौशल विकास में स्नातक, स्वास्थ्य एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान, पैरामेडिकल/नर्सिंग, पुनर्वास विज्ञान, संस्कृत ध्वन्यात्मक उपाधि (संस्कृत साउंडिंग डिग्री) एवं शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम संचालित होंगे।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद का होगा गठन

चर्चा में क्यों?

6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों के संरक्षण के लिये छत्तीसगढ़ अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद के गठन का निर्णय लिया।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद के गठन से इस वर्ग के लोगों के लिये कार्यक्रम के संचालन हेतु अनुशंसा एवं क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिये इस वर्ग के लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी।
  • इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की समस्याओं के निदान में तेज़ी आएगी और जीवन स्तर में तेज़ी से सकारात्मक बदलाव आएगा। इस परिषद में वर्ग विशेष की समस्या, आवश्यकता पर विचार किया जाएगा। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी निर्णय लिये जाएंगे।
  • इस परिषद के गठन से राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के हित में संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये बेहतर मॉनिटरिंग हो सकेगी। अन्य पिछड़ा वर्ग की बेहतरी के लिये नवीन योजनाओं एवं कार्यक्रमों के निर्माण में भी मदद मिलेगी।
  • परिषद में इस वर्ग के चुने हुए प्रतिनिधि सदस्य समाज की स्थिति एवं समस्याओं के निराकरण में सहभागी बनेंगे। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याणकारी कार्यक्रमों के संचालन में आसानी होगी।
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति से संबंधित विषयक पर अनुशंसा के लिये छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद का गठन पूर्व में ही हो चुका है। इसी तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद का गठन किया जा रहा है।
  • छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होंगे तथा भारसाधक मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। परिषद में कुल 40 सदस्य होंगे, जिसमें राज्य विधानसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग के निर्वाचित कम-से-कम 10 निर्वाचित सदस्य होंगे तथा शेष सदस्य राज्य शासन द्वारा मनोनीत होंगे।

छत्तीसगढ़ Switch to English

810 मेगावाट डीसी./675 मेगावाट एसी क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाने के प्रस्ताव का अनुमोदन

चर्चा में क्यों?

6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (पीएम कुसुम) योजना के कंपोनेंट-सी के अंतर्गत कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जीकृत किये जाने हेतु 810 मेगावाट (डी.सी)/675 मेगावाट (ए.सी.) क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाने के विभागीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • कृषि पंपों का सोलराईजेशन किये जाने से कृषकों को कृषि पंपों के संचालन हेतु वर्तमान में प्राप्त हो रही बिजली के अतिरिक्त सौर ऊर्जा भी प्राप्त होगी। अत: सौर ऊर्जा की उपलब्धता के समय कृषि पंपों का संचालन सोलर ऊर्जा से होगा तथा सोलर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होने पर वर्तमान में मिल रही बिजली मिलती रहेगी, जिससे कृषि पंप का संचालन होगा।
  • वर्तमान में प्रदेश में 577 कृषि फीडर हैं, जिस पर 1,75,028 कृषि पंप स्थापित हैं। योजनांतर्गत उक्त 577 फीडरों को सोलराईज किये जाने हेतु 810 मेगावाट डी. सी. (675 मेगावाट एसी) क्षमता के सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना शासकीय भूमि एवं कृषि भूमि पर की जाएगी।
  • इसके लिये कृषकों की कृषि भूमि को कृषकों की सहमति से 25 वर्षों की लीज पर लिया जाएगा। इसके लिये कृषकों को प्रतिवर्ष 30,000 रुपए प्रति एकड़ के मान से भुगतान किया जाएगा, साथ ही उक्त लीज की राशि में प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

कैबिनेट में राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 का अनुमोदन

चर्चा में क्यों?

6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य में पंप स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु निवेश को प्रोत्साहन देने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 का अनुमोदन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • प्रारंभिक स्तर पर छत्तीसगढ़ में पंप स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु जनरेशन कंपनी द्वारा 7 स्थलों पर लगभग 10 हज़ार मेगावाट क्षमता की परियोजना का चिह्नांकन किया गया है।
  • इन चयनित स्थलों में कोरबा, जशपुर, सरगुजा, गरियाबंद, धमतरी एवं बलरामपुर ज़िले में परियोजना की स्थापना का अध्ययन किया जा रहा है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 के अंतर्गत पंप स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना की स्थापना हेतु छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड को नोडल एजेंसी नामित किया गया है। नोडल एजेंसी द्वारा चिह्नांकित परियोजना हेतु फिजीबिलिटी रिपोर्ट तथा विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि राज्य में कोयले की प्रचुर उपलब्धता के कारण बड़ी संख्या में कोयला आधारित विद्युत उत्पादन परियोजना स्थापित हो रही हैं। किसी भी विद्युत प्रणाली के स्थायित्व एवं सुचारु संचालन के लिये ताप विद्युत क्षमता एवं जल विद्युत क्षमता उत्पादन क्षमता का समुचित अनुपात होना चाहिये। वर्तमान में राज्य की विद्युत प्रणाली में जल विद्युत उत्पादन का अंश आदर्श स्थिति के अनुरूप नहीं है।    

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड को 594.75 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा अनुदान जारी

चर्चा में क्यों?

6 सितंबर, 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार उत्तराखंड को75 करोड़ रुपए के अंतरण पश्चात् राजस्व घाटा (पीडीआरडी) अनुदान की छठी मासिक किस्त जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि पंद्रहवें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये 14 राज्यों को कुल 86,201 करोड़ रुपए के अंतरण पश्चात् राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश की है।
  • पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा 2022-23 के दौरान जिन राज्यों को अंतरण पश्चात् राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश की गई है, उनमें आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
  • सिफारिश की गई अनुदान राशि व्यय विभाग द्वारा सिफारिश किये गए राज्यों को 12 समान मासिक किश्तों में जारी की जाएगी।
  • इस छठी किस्त के जारी होने के साथ वर्ष 2022-23 में राज्यों को जारी की गई राजस्व घाटा अनुदान की कुल राशि बढ़कर  43,100.50 करोड़ रुपए हो गई है।
  • उत्तराखंड को सितंबर 2022 के लिये जारी की गई छठी किस्त 75 करोड़ रुपए है तथा वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य को जारी कुल अंतरण पश्चात् राजस्व घाटा अनुदान (पीडीआरडीजी) 3568.50 करोड़ रुपए है।
  • उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत राज्यों को अंतरण पश्चात् राजस्व घाटा अनुदान प्रदान किया जाता है। यह अनुदान राशि राज्यों के अंतरण पश्चात् राजस्व खातों में अंतर को पूरा करने के लिये वित्त आयोगों की क्रमिक सिफारिशों के अनुसार राज्यों को जारी की जाती है।
  • इस अनुदान को प्राप्त करने के लिये राज्यों की पात्रता और 2020-21 से 2025-26 तक की अवधि के लिये अनुदान की मात्रा का निर्धारण पंद्रहवें आयोग द्वारा राज्य के राजस्व और व्यय के आकलन के बीच के अंतर को ध्यान में रखते हुए किया गया था।

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