उत्तराखंड Switch to English
NGT द्वारा उत्तराखंड को वहन क्षमता की ज़िम्मेदारी का खुलासा करने का आदेश
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने उत्तराखंड के पर्यावरण विभाग से दुर्घटना की स्थिति में ज़िम्मेदारी का खुलासा करने को कहा है, क्योंकि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिये तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने के लिये कोई वहन क्षमता नहीं है।
मुख्य बिंदु:
- न्यायाधिकरण के अनुसार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिये कोई वहन क्षमता निर्धारित नहीं है तथा उन मार्गों पर तीर्थयात्रियों की संख्या के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
- राज्य सरकार के वकील के अनुसार, चारों तीर्थ स्थलों की वहन क्षमता के बारे में रिपोर्ट प्राप्त करने में एक वर्ष का समय लगेगा।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के अनुसार, तीर्थयात्रियों की अनियंत्रित संख्या के कारण दुर्घटना हो सकती है और किसी को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी यमुना।
- गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी गंगा।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
- समर्पित: भगवान शिव।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
- समर्पित: भगवान विष्णु।
- वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक
Switch to English