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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Aug 2023
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जल संसाधन मंत्री ने ‘कटाव निरोधक योजना’ का किया लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

7 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने राज्य के कटिहार ज़िले में संगम धाम त्रिमुहानी व दरभंगा ज़िले के लवानी में छह करोड़ रुपए की लागत से जीबछ-कमला नदी में बनाई गई ‘कटाव निरोधक योजना’ का लोकार्पण किया।  

प्रमुख बिंदु  

  • इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इस कटाव निरोधक कार्य से क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ होगा। इस योजना को पूरा नहीं किया गया होता तो बाढ़ के समय में इस गाँव के कई घर नदी में समाहित हो सकते थे।  
  • उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बाढ़ व सुखाड़ से लोगों को निजात दिलाने के लिये कई योजनाएँ चला रही है। इसके तहत पहली बार पश्चिमी कोसी नहर योजना के माध्यम से मनीगाछी व बेनीपुर के लोगों को नहर के पानी से सिंचाई की सुविधा प्रारंभ हुई है। 
  • जलस्तर नीचे खिसकने जैसी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में भी जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। नदी में पानी आने व मृत कमला नदी को जीवित करने का काम चल रहा है। इससे वाटर लेवल बना रहेगा। 
  • विदित है कि बिहार में नेपाल से बाढ़ आती है। नेपाल में यदि डैम का निर्माण हो जाता तो बिहार को स्थायी रूप से बाढ़ से निजात मिल जाती साथ ही बिजली का उत्पादन होता, इसके लिये दोनों देशों के बीच संधि भी हो चुकी है।


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इंडो-जापान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का हुआ उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

6 अगस्त, 2023 को बिहार के आईआईटी पटना के 15वें स्थापना दिवस के मौके पर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह और जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जेट्रो) के चीफ डायरेक्टर जनरल ताकाशी सुज़ुकी ने इंडो-जापान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का उद्घाटन किया।  

प्रमुख बिंदु 

  • इंडो-जापान सीओई (निहोन नो हाको) संस्थागत एवं एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिये मदद करेगा। यह केंद्र बिहार और जापान के बीच इनोवेशन, तकनीक, व्यापार-कारोबार, कृषि उद्यम, शिक्षा के बीच दूरी को कम करेगा। 
  • आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि यह सेंटर बिहार के मानव बल व जापान की तकनीक का मिलन स्थल बनेगा। जापान तकनीक और इनोवेशन का विश्व लीडर है। अकादमिक क्षेत्र में विकास के लिये बिहार के संस्थान जापान से एमओयू करेंगे। 
  • शिक्षण संस्थानों से सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिये हब का निर्माण होगा। बिहार में एमएसएमई की असीम संभावना है। यहाँ के उद्यमी एमएसएमई स्थापित करना चाहेंगे। उन्हें तकनीकी सहयोग सेंटर के माध्यम जापान की सरकार व उद्यमी उपलब्ध कराएंगे।  
  • बिहार में कृषि, शिक्षा, छोटे उद्योग, डेयरी आदि में असीम संभावनाएँ हैं। जापान के लिये बिहार को एक निवेश के हब के रूप में विकसित किया जाएगा। 
  • इंडो-जापान सीओई (निहोन नो हाको) संस्थागत एवं एसएमई के स्तर पर संस्थागत सहयोग को बढ़ाने में मदद करेगा। इससे भारत और जापान की सरकार, संस्थानों, व्यापार में सहयोग मिलेगा।  
  • इस अवसर पर जापान से पहुँचे प्रतिनिधियों ने कहा कि दोनों देशों की जनता में ऐतिहासिक मैत्री संबंध हैं तथा ये एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, लेकिन भाषा दोनों देशों के बीच दीवार बन गई है। इसे दूर करने के लिये आईआईटी पटना और मासायुमे इंडिया द्वारा जापानी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।  
  • जापानी भाषा के कौशल की जाँच के जेएलपीटी नियमों के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय (मोम्बुशो), जापान के अंतर्गत कार्य करेगा। 17 अगस्त को पहला बैच आरंभ हो जाएगा। सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त जापानी भाषा प्रशिक्षक छात्रों को प्रशिक्षण देंगे। आईआईटी पटना की वेबसाइट (https://wwwAiitp.ac.in/) पर इससे संबंधित विस्तृत जानकारी जल्द ही अपलोड कर दी जाएगी। 
  • सीओई स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य: 
    • अकादमिक क्षेत्र में सहयोग के लिये शिक्षण संस्थान और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने हेतु हब का निर्माण। 
    • जापान के लिये बिहार को एक निवेश के हब के रूप में विकसित करना। 
    • बिहार से नौकरी के लिये पलायन कर रहे युवाओं हेतु जापान को एक अच्छे विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना। 
    • नए स्टार्टअप, इन्क्युबेशन, नए शोध, सहकारिता, जॉइंट वेंचर इत्यादि को बढ़ावा देना। 
  • सीओई की शुरुआत को लेकर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. (डॉ.) टीएन सिंह ने कहा कि दो देशों के बीच ऐसे संबंधों से तकनीक और ज्ञान के आदान-प्रदान के नए अवसर बनते हैं। सीओई की स्थापना रोज़गार के नए अवसरों को भी जन्म देती है, जो कि भारत के विकास के लिये अत्यंत आवश्यक है। 
  • विदित है कि सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से बिहार और जापान के संबंध काफी सुदृढ़ रहे हैं। तकनीक और अकादमिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाकर पुराने संबंधों को ही और प्रगाढ़ कर रहे हैं। बोधगया की माटी का स्पर्श जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हमारी संस्कृति में मानी जाती है।


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