उत्तर प्रदेश Switch to English
पॉवर ऑफ अटॉर्नी को लेकर योगी कैबिनेट का फैसला
चर्चा में क्यों?
6 जून, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि राज्य में स्टांप चोरी रोकने के लिये खून के रिश्ते वाले ही मुख्तारनामे यानी पावर ऑफ अटॉर्नी को मान्य किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि पहले पॉवर ऑफ अटॉर्नी देने में महज 50 रुपए खर्च होते थे, लेकिन अब उसे रजिस्ट्री की तरह स्टांप ड्यूटी देना होगा। यानी जैसे प्रॉपर्टी होगी, वैसी ही रजिस्ट्री की फीस चुकानी होगी।
- वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि मुख्तारनामे के माध्यम से कोई व्यक्ति किसी को अपनी तरफ से या अपने काम करने के लिये अधिकृत कर सकता है।
- रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 में दी गई व्यवस्था के आधार पर मुख्तारनामे का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य नहीं है। इसके बाद भी सामान्य जन में इसे पंजीकृत कराने की प्रवृत्ति है और हर साल इसके आधार पर पंजीकरण की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
- ज्ञातव्य है कि पिछले पाँच सालों में प्रदेश के रजिस्ट्री कार्यालयों में पंजीकृत मुख्तारनामे के आधार पर रजिस्ट्री कराने की संख्या 102486 है।
- इसीलिये ही राज्य सरकार ने स्टांप चोरी रोकने के लिये खून के रिश्ते वाले मुख्तारनामे को ही मान्य करने का फैसला किया है। इसके अलावा मुख्तारनामे पर रजिस्ट्री कराने वालों को पूरा स्टांप शुल्क देना होगा।
- खून के रिश्तेवालों का 5000 रुपए के स्टांप पर पंजीकरण कराया जा सकेगा। खून के रिश्तेवालों में पिता, माता, पति, पुत्र, पुत्रवधू, पुत्री, दामाद, भाई, बहन, पौत्र, पौत्री, नाती व नातिन आएंगे।
Switch to English