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खाद्य सुरक्षा सूचकांक, 2021-22 में उत्तराखंड 7वें स्थान पर
चर्चा में क्यों?
7 जून, 2022 को विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का चौथा राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) जारी किया, जिसमें उत्तराखंड को 7वाँ स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
- मंडाविया ने एफएसएसएआई द्वारा ईट राइट रिसर्च अवार्ड्स और ग्रांट्स फेज-II, ईट राइट क्रिएटिविटी चैलेंज फेज-III, स्कूल स्तर पर एक प्रतियोगिता सहित विभिन्न नवीन पहलों की शुरुआत की।
- खाद्य सुरक्षा सूचकांक, 2021-22 में 17 बड़े राज्यों के बीच तमिलनाडु 82 अंकों के साथ शीर्ष पर है, जबकि गुजरात 77.5 अंकों के साथ दूसरे और महाराष्ट्र 70 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है।
- बड़े राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड 55 अंकों के साथ 7वें स्थान पर है।
- छोटे राज्यों में गोवा ने अपनी शीर्ष रैंकिंग बरकरार रखी, जबकि मणिपुर और सिक्किम ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ ने शीर्ष तीन रैंक हासिल की।
- गौरतलब है कि राज्यों को खाद्य सुरक्षा के पाँच मानकों- मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण सुविधा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण व उपभोक्ता सशक्तीकरण पर आँका गया है।
- खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2018-19 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रतिस्पर्धी और सकारात्मक बदलाव लाना था। नागरिकों के लिये सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रेरित करने के लिये भी यह कदम उठाया गया था।
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देवभूमि में एक एकड़ से कम भूमि में भी बनेंगे अमृत सरोवर
चर्चा में क्यों?
7 जून, 2022 को मिशन अमृत सरोवर के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम ने बताया कि केंद्र सरकार ने महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम मिशन अमृत सरोवर के अंतर्गत उत्तराखंड में सरोवर निर्माण के लिए निर्धारित क्षेत्रफल के मानक में छूट दे दी। अब उत्तराखंड में एक एकड़ से कम भूमि में भी सरोवर बन सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र ने यह छूट दी है।
- सरोवरों के नवनिर्माण एवं पुनर्जीवीकरण में 132.91 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य के लिये जल संरक्षण की दृष्टि से इस वर्ष 24 अप्रैल को मिशन अमृत सरोवर की घोषणा की थी।
- स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के साथ इसे जोड़ते हुए प्रत्येक ज़िले में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अगले वर्ष 15 अगस्त से पूर्व इन जलाशयों का निर्माण होना है।
- तय मानक के अनुसार एक सरोवर (जलाशय) का क्षेत्रफल एक एकड़ या इससे अधिक होना चाहिये।
- विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में तो जलाशय निर्माण के लिये एक एकड़ या इससे अधिक भूमि की उपलब्धता है, लेकिन पहाड़ में ऐसा नहीं हो पा रहा था। इस पर राज्य सरकार ने क्षेत्रफल के मानक में छूट देने का आग्रह किया, जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया।
- मिशन के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम ने बताया कि सभी 13 ज़िलों के लिये निर्धारित 975 सरोवर के लक्ष्य के सापेक्ष 1017 सरोवर चयनित किये गए हैं। अब तक 530 सरोवर स्वीकृत किये जा चुके हैं, जिनमें से 333 पर कार्य प्रारंभ हो गया है।
- अन्य सरोवरों के निर्माण एवं पुनर्जीवीकरण का कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा। अधिकांश सरोवर मनरेगा के अंतर्गत बनाए जाएंगे।
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