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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 May 2023
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प्रदेश में हुई ई-फर्द प्रणाली लागू

चर्चा में क्यों?

6 मई, 2023 को ई गवर्नेंस से सुशासन की दिशा में बढ़ते हुए हरियाणा राज्य सरकार ने लोगों को बड़ी राहत प्रदान करने के लिये प्रदेश में डिजिटल हस्ताक्षर युक्त जमाबंदी की फर्द यानी ई-फर्द प्रणाली की शुरुआत की है।  

प्रमुख बिंदु  

  • ई-फर्द प्रणाली लागू होने से अब लोगों को अपनी जमाबंदी की हस्ताक्षर युक्त फर्द निकालने के लिये पटवारियों के कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्किwww.jamabandi.nic.in पोर्टल के माध्यम से लोग डिजिटल हस्ताक्षर युक्त फर्द अर्थात् नकल प्राप्त कर सकेंगे।
  • विदित है कि पहले फर्द प्राप्त करने के लिये पटवारियों के चक्कर काटने पड़ते थे, यहाँ तक कि इसमें महीनों का समय लगता था लेकिन अब यह काम घर बैठे मिनटों में ही हो जाता है। 
  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने 25 दिसंबर, 2022 कोwww.jamabandi.nic.in पोर्टल शुरू किया था। एक फर्द के लिये सर्विस चार्ज मात्र 100 रुपए है और पहले खेवट के लिये 10 रुपए तथा इसके बाद के प्रत्येक खेवट के लिये 5 रुपए फीस देनी होती है। 
  • जमाबंदी पोर्टल लैंड रिकॉर्ड संबंधी जानकारी के लिये सिंगल विंडो का काम करता है। इस पोर्टल पर ही ई-फर्द के अलावा भूमि डेटा से संबंधित सभी जानकारियां जैसे कि खसरा, खतौनी ज़मीन का नक्शा, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, स्टाम्प शुल्क कैलकुलेटर आदि सेवाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं। 
  • प्रदेश की सभी 143 तहसीलों/उप तहसीलों में वैब- हैलरिस प्रणाली का उपयोग करते हुए भूमि अभिलेख प्रबंधन कार्यों का कंप्यूटरीकरण किया है तथा सभी राजस्व रिकॉर्ड रूम का भी कंप्यूटरीकरण कर दिया है।  
  • प्रदेश के सभी ज़िला मुख्यालयों तथा राज्य मुख्यालय पर डिजिटल राजस्व रिकॉर्ड रूम स्थापित किये गए थे। इस नई पहल के तहत महत्त्वपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों को स्कैन व सूचीबद्ध करके आधुनिक रिकॉर्ड रूम में डिजिटल बॉक्स में रखा गया है। इसके लिये 18 करोड़ 50 लाख दस्तावेज़ों को स्कैन किया गया है। आई.टी. की सहायता से अब रिकॉर्ड को मेंटेन करना और ज़रूरत पड़ने पर इसे ढूंढ़ना आसान हो गया है।

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‘मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना’का स्कॉच गोल्ड अवार्ड के लिये हुआ चयन

चर्चा में क्यों?

5 मई, 2023 को हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने बताया कि राज्य में 6 माह से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं के पोषण व स्वास्थ्य स्तर में सुधार लाने के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना’को स्कॉच गोल्ड अवार्ड के लिये चुना गया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में कोरोना काल में 5 अगस्त, 2020 को ‘मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना’शुरू की गई थी।  
  • ‘मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना’के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर चिह्नित बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं में विटामिन ए व डी 3 की कमी को दूर करने के मकसद से स्किम्ड दूध को साल में 300 दिन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया था। 
  • विभाग के मुख्यालय व ज़िला स्तर के अधिकारियों की निगरानी व आंगनवाडी केंद्र पर कार्यरत कार्यकर्ता, सहायिकाओं के सहयोग से निरंतर लाभार्थियों के स्वास्थ्य, विशेषकर उनकी पोषण स्थिति में सकारात्मक सुधार देखने को मिला। 
  • प्रदेश में 6 माह से 6 साल तक के 9 लाख 23 हज़ार बच्चों, 2 लाख 88 हज़ार गर्भवती महिलाओं व दूध पिलाने वाली माताओं को सप्ताह में छह दिन गुलाब, इलायची, चॉकलेट, वनीला, बटरस्काच व सादा दूध स्वाद में दूध उपलब्ध करवाया गया है।  
  • इस दूध के माध्यम से लाभार्थियों को प्रोटीन, कैलोरी, कैल्सियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी12, विटामिन ए व डी3 की प्रचुर मात्रा मिली है, जिसके कारण प्रदेश में पोषण के नजरिये से सामान्य श्रेणी के बच्चों की संख्या में 3.67 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि मध्यम रूप से कम वज़न वाले बच्चों में 3.66 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है।  
  • विदित है कि स्कॉच संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-प्रशासनिक दृष्टि से नवोन्मेषी प्रयासों के माध्यम से बदलाव लाने के प्रयासों को प्रोत्साहन देता है और पूर्व में भी हरियाणा प्रदेश के विभिन्न विभागों को नवोन्मेषी प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया था। 

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