उत्तर प्रदेश Switch to English
कानपुर में सोलर प्लांट स्थापित करने के लिये एसजेवीएनएल ने उत्तर प्रदेश सरकार से एमओयू किया
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी सतलुज जल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) कंपनी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में 3500 करोड़ रुपए की लागत से एक सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ समझौता ज्ञापन साइन किया है।
प्रमुख बिंदु
- कंपनी ने प्लांट लगाने के लिये प्राधिकरण से घाटमपुर या उसके आसपास के क्षेत्र में करीब 3000 एकड़ ज़मीन मांगी है। इस ज़मीन पर कंपनी करीब 700 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित करेगी।
- इस प्लांट के लगने से करीब 300 लोगों को रोज़गार मिल सकेगा। वहीं, प्रदूषण रहित बिजली की वजह से पर्यावरण को लाभ होगा।
- एसजेवीएनएल के अतिरिक्त महाप्रबंधक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कंपनी जालौन के काल्पी और उरई तहसील में 75-75 मेगावाट के प्लांट स्थापित कर रही है जिनमें काल्पी के परासन गाँव में स्थापित प्रोजेक्ट ऑपरेशन में आ गया है।
- वहीं, कानपुर देहात के अकबरपुर में भी 50 मेगावाट का एक सोलर पॉवर प्लांट निर्माणाधीन है।
- उल्लेखनीय है कि सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली अन्य किसी माध्यम से पैदा होने वाली बिजली से सस्ती होती है।
- कंपनी सीधे तौर पर ओपन मार्केट के अलावा उद्योगों व कानपुर मेट्रो जैसे प्रतिष्ठनों को बिजली बेचने के लिये संपर्क करेगी।
बिहार Switch to English
प्रो. सुधा सिन्हा को मिला कबीर कोहिनूर सम्मान
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के पटना विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की शिक्षिका रही प्रो. सुधा सिन्हा को अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में अखिल भारतीय कबीर मठ, परंपरागत कबीर सदगुरू, कबीर आश्रम और कबीर समाधि स्थल, उत्तर प्रदेश की ओर से कबीर कोहिनूर सम्मान से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ये सम्मान उन्हें उत्कृष्ट सामाजिक और साहित्य कार्यों में योगदान के लिये 5 फरवरी को दिया गया था।
- रिटायर्ड प्रो. सुधा सिन्हा कवयित्री हैं और ये अपनी रचनाओं के माध्यम से देश व समाज के मुद्दों को लगातार उठाती रहती हैं।
- प्रो. सुधा सिहा को इससे पहले देश रत्न सम्मान, दीनानाथ शरण सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, अमृताप्रीतम सम्मान आदि मिल चुके हैं।
बिहार Switch to English
राज्य के पहले वानिकी कॉलेज का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को देश का दूसरा व बिहार का पहला वानिकी कॉलेज (मुंगेर) का मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- यह वानिकी कॉलेज बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) के अधीन है।
- यह कॉलेज मुंगेर में गंगा पुल के पास 96 एकड़ में बन रहा है। तथा इस कॉलेज के निर्माण में लगभग 231 करोड़ 83 लाख 32 हजार की लागत आयी है।
- उल्लेखनीय है कि 25 दिसंबर, 2019 को मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने इस वानिकी कॉलेज का शिलान्यास किया था।
राजस्थान Switch to English
चित्तौड़गढ़ ज़िले के पहले मिशन एकलव्य ज्ञान केंद्र का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को राजस्थान सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने चित्तौड़गढ़ ज़िले के निंबाहेड़ा के फाचर अहिरान ग्राम पंचायत में वंडर सीमेंट लि. के सहयोग से ज़िले के प्रथम मिशन एकलव्य ज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- ग्रामीण छात्र-छात्राओं को लाइब्रेरी एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की सुविधा प्रदान करने के लिये चित्तौड़गढ़ ज़िले में 105 मिशन एकलव्य के तहत ज्ञान केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं। जिसमें से 5 ज्ञान केंद्र वंडर सीमेंट के सहयोग से स्थापित किये जा रहे हैं।
- इन केंद्रों की स्थापना से अब गाँवो में भी शहरों की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये सुविधाएँ विकसित होंगी। इन केंद्रों की स्थापना पर प्रत्येक लाइब्रेरी के लिये 5 लाख रुपए तक की राशि का प्रावधान किया जा रहा है।
- इन केंद्रों के संचालन के लिये संबंधित सरपंच सहित विद्यालय के छात्र-छात्राएँ एवं गणमान्य नागरिकों की एक समिति गठित की जाएगी।
- इस अवसर पर मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों ने डीएमएफटी योजना के अंतर्गत चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा में 20 करोड़ 72 लाख रुपए के विभिन्न सड़क एवं खेल स्टेडियम का शिलान्यास भी किया।
राजस्थान Switch to English
"H5N1" एवियन इन्फ्लूएंजा
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजस्थान में ‘H5N1’ एवियन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि नहीं हुई है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य के पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, भरतपुर एवं जयपुर ज़िले के रोग संभावित क्षेत्रों का दौरा कर सैंपल एकत्रित कर राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल को सेंपल भेजे गए थे।
- ज्ञातव्य है कि है कि सर्दियों के मौसम में राज्य के कई इलाकों में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है, जिसके मद्देनज़र विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रवासी एवं स्थानीय पक्षियों के रोग की जाँच के लिये सैंपल एकत्रित किये जा रहे हैं।
- इस संबंध में संयुक्त निदेशक डॉ. रवि इसरानी ने बताया कि विभाग के अधिकारियों द्वारा विषय विशेषज्ञों के दल के साथ केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान एवं सांभर झील का दौरा कर प्रवासी पक्षियों के सैंपल एकत्रित कर निषाद, भोपाल भिजवाए गए हैं। साथ ही प्रत्येक ज़िले पर विभाग के अधिकारियों को रोग के निदान एवं नियंत्रण के लिये उचित दिशा-निर्देश दिये गए हैं। अभी तक राज्य में एवियन इंफ्लुएजा का किसी भी प्रकार का मामला सामने नहीं आया है।
- विदित है कि एवियन इंफ्लूऐंजा जिसे सामान्यतया ‘बर्ड फ्लू’ के नाम से जाना जाता है, एक विषाणु जनित बीमारी है। यह संक्रामक रोग मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी फाउल, आदि पालतू पक्षियों और जंगली पक्षियों की कई प्रजातियों को प्रभावित करता है। कभी-कभी यह मानव सहित अन्य कई स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है।
- पक्षियों में इसके संक्रमण का पता चलने पर संक्रमित और संपर्क वाले पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश की मंत्रि-परिषद की बैठक के महत्त्वपूर्ण निर्णय
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई जिसमे अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रि-परिषद द्वारा निर्णय लिया गया कि स्वर्गीय आर. एस. राठौर, अपर संचालक, आर्थिक एवं सांख्यिकी की कोरोना संक्रमण के कारण 19 अप्रैल 2021 को मृत्यु हो जाने के फलस्वरूप उनकी विवाहित पुत्री श्रद्धा मालवी को पात्रता न होते हुए भी मानवीय आधार एवं उच्च न्यायालय, खंडपीठ इंदौर के निर्णय के अनुक्रम में विशेष प्रकरण मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।
- इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अनुकंपा संबंधी आदेश 29 सितंबर, 2014 के प्रावधानों में मंत्रि-परिषद द्वारा यह नीतिगत निर्णय भी लिया गया कि अनुकंपा नियुक्ति के लिये पुत्र एवं पुत्री दोनों को समान अधिकार हैं, चाहे पुत्रियाँ विवाहित ही क्यों न हों। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग नीति में आवश्यक संशोधन करेगा।
- मंत्रि-परिषद द्वारा पशुपालन एवं डेयरी विभाग में वर्ष 2022-23 में ‘मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना’में 150 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
- पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अंतर्गत पूर्व में मंत्रि-परिषद से स्वीकृत मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में समाहित विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु स्वीकृत घटक ‘मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम’ में संशोधन किये गए हैं। अब इस योजना में मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम में बैगा जनजाति के साथ सहरिया और भारिया विशेष पिछड़ी जनजातियों को भी शामिल किया गया है।
- इस कार्यक्रम में दुधारू गाय की इकाई के साथ दुधारू भैंस की इकाई को भी शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम में दुधारू गाय के साथ दुधारू भैंस को भी सम्मिलित करने के परिप्रेक्ष्य में योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम’के स्थान पर ‘विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’किया गया।
- मंत्रि-परिषद ने राज्य में गत वर्ष से लागू नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 में स्टोरेज आधारित परियोजनाओं के विकास को मान्य किया। इसी कड़ी में मंत्रि-परिषद द्वारा पंप हाईड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन तथा निविदा प्रक्रिया संपादित करने का निर्णय लिया।
- इस निर्णय से नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से प्राप्त ऊर्जा की निरंतरता और अधिक सुनिश्चित होगी तथा ग्रिड स्थायित्व में भी लाभ होगा। राज्य में पंप हाइड्रो परियोजनाओं के विकास के लिये नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा प्रस्तावित योजना को अनुमोदन प्रदान करते हुए विस्तृत दिशा-निर्देशिका बनाने/संशोधन/ स्पष्टीकरण दिये जाने के लिये विभाग को अधिकृत किया गया।
- मंत्रि-परिषद द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति की अनुशंसा अनुसार स्टेट डाटा सेंटर के विस्तार, संचालन एवं नवीन डिजास्टर रिकवरी साइट की नेशनल डाटा सेंटर भुवनेश्वर में स्थापना तथा वर्तमान में स्थापित हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के लिये कुल परियोजना व्यय 161 करोड़ 95 लाख रुपए का अनुमोदन किया गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
सुराज नीति-2023
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी, 2023 को मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणा अनुसार ‘शासकीय भूमियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के बाद उपलब्ध भूमि पर आवासहीन, आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ई.डब्ल्यू.एस.) के लिये आवास निर्माण के लिये सुराज नीति-2023 का मंत्रि-परिषद द्वारा अनुमोदन कर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- ज़िला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण से मुक्त कराई गई शासकीय भूमि का स्वयं संसाधन के रूप में समुचित उपयोग करते हुए आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ई.डब्ल्यू.एस.) के लिये सुराज कॉलोनी में आवास निर्माण मय आवश्यक अधो-संरचना कार्यों, सामुदायिक सुविधाओं के निर्माण किये जाने तथा सुराज कालोनी के निर्माण के लिये उचित वित्तीय संसाधन जुटाने तथा शहरी क्षेत्र के उक्त भू-खंडों का सुसंगत योग्य घनत्व से विकास सुनिश्चित करने के लिये यह नीति तैयार की गई है।
- इस नीति का उद्देश्य बिना शासकीय बजटीय सहायता के पुनर्घनत्वीकरण नीति के अनुरूप सुराज कॉलोनी के तहत ई.डब्ल्यू.एस. श्रेणी के आवासहीनों को किफायती आवास प्रदान करना और अतिक्रमण से मुक्त की गई भूमि का शहर के विकास के लिये सर्वोत्तम उपयोग करना है।
- इस नीति के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- एक अप्रैल 2020 के बाद अतिक्रमण से मुक्त कराई गई शासकीय भूमि पर आवासहीन तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये आवास निर्माण की योजना।
- अतिक्रमण से मुक्त कराई गई भूमि का एक टुकड़ा निजी डेवलपर को सौंपा जाएगा, जिसके बदले और शेष भूमि में ईडब्ल्यूएस आवास के लिये सुराज टावर बनेगा।
- निजी डेवलपर को दिये जाने वाले भू-खंड के आरक्षित मूल्य की गणना लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की स्थापित नीति के अनुसार खुली निविदाओं के आधार पर की जाएगी।
- छोटे शहरों में मल्टी स्टोरी के स्थान पर 450 वर्ग फीट तक के आवासीय पट्टे पर कॉलोनी विकसित किये जा सकेंगे।
- परियोजना में सुराज कॉलोनी के लिये समस्त आवश्यक अधो-संरचना जैसे सड़क, जल-प्रदाय, बिजली, बगीचा, सामुदायिक भवन और आवश्यकता होने पर स्कूल एवं डिस्पेंसरी भी बना कर दी जाएगी।
- निर्माण होने के बाद इकाइयों का आवंटन कमज़ोर आय वर्ग के आवासहीन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता एवं फार्मूले के आधार पर ज़िला स्तर पर किया जाएगा।
- विशेष परिस्थितियों में झुग्गी बस्तियों का पुनर्वास तथा शासकीय परियोजनाओं जैसे सड़क इत्यादि में आवश्यकता होने पर पुनर्वास भी किया जा सकता है।
- योजना के क्रियान्वयन के लिये अन्य सभी प्रक्रियाएँ राज्य में स्थापित रिडेंसीफिकेशन नीति 2022 के अनुसार रहेंगी।
- सुराज टावर कॉलोनी निर्माण के बाद अगले 5 सालों तक डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड के अंतर्गत विकास और 3 वर्ष तक कॉलोनी का रख-रखाव संचालन एवं मरम्मत का दायित्व निजी डेवलपर का रहेगा।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में ‘पॉलिसी फॉर सर्टिफिकेशन एंड स्टैंडर्डाइजेशन आफ आयुष फैसीलिटिज’ लागू
चर्चा में क्यों?
07 फरवरी,2023 को हरियाणा सरकार ने आयुष प्रणाली व सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिये एक नई नीति ‘पॉलिसी फॉर सर्टिफिकेशन एंड स्टैंडर्डाइजेशन ऑफ आयुष फैसीलिटिज’ (आयुष सुविधाओं के प्रमाणन और मानकीकरण के लिये नीति) लागू की है।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में जानकारी देते हुए हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य और आयुष मंत्री अनिल विज ने बताया कि यह नीति आगामी 31 अक्तूबर, 2027 तक लागू रहेगी और इस नीति की एक अधिसूचना आज जारी कर दी गई है।
- इस नीति का उदेश्य समग्र कल्याण मॉडल के आधार पर सेवाएँ प्रदान करने के लिये निजी क्षेत्र में आयुष औषधालयों/क्लीनिकों, पंचकर्म केंद्रों, आयुष अस्पतालों के नेटवर्क की पहचान और संचालन के माध्यम से आयुष के मुख्य योग्यता क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके लागत प्रभावी आयुष चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के कवरेज को बढ़ाना है।
- इससे बीमारी के बोझ और जेब खर्च को कम करने के साथ-साथ जनता को ‘स्वयं की देखभाल’के लिये सशक्त बनाया जा सकेगा।
- इस नीति के तहत आयुष चिकित्सा पद्धति के तहत लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से संचारी/गैर-संचारी रोगों में कमी लाने की भी परिकल्पना की गई है।
- सरकार इस नीति के तहत अन्य सेवा क्षेत्रों के बीच आयुष को प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने का प्रयास करेगी, जिसके तहत आयुष वेलबीइंग डेस्टिनेशन में आयुष अस्पतालों, कॉलेजों, वेलनेस सेंटरों से लेकर निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास उपचार/सुविधाएँ, गेस्ट हाउस और होम-स्टे, ऑर्गेनिक रिटेल सुविधाएँ, योग और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, स्पा और अरोमाथेरेपी केंद्र, बॉडी रैप्स, मसाज वेलनेस सेंटर, सौंदर्य उपचार, विशेष त्वचा देखभाल क्लिनिक, सांस्कृतिक और विरासत प्रदर्शन के लिये बाहरी सत्र इत्यादि शामिल हैं।
- इसी प्रकार, स्टैंडअलोन या मल्टी-स्पेशियलिटी आयुष अस्पताल जिसमें आयुष के तहत चिकित्सा की सभी या 5 प्रणालियों में से कुछ शामिल हैं और नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम 2011, एनएबीएच या आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानकों का अनुपालन करते हैं, जो भी लागू हो।
- इसी तरह, आयुष वेलनेस सेंटर में जैसे आयुष क्लीनिक/डे केयर सेंटर/डिस्पेंसरी/पंचकर्मा क्लिनिक/योग, नेचुरोपैथी और मेडिटेशन सेंटर/कन्वलेसेंस सेंटर आदि बिना आईपीडी सुविधा के हैं।
- आयुष अस्पतालों, वेलनेस सेंटरों आदि को पर्याप्त मान्यता प्रदान की जाएगी। आयुष विभाग, हरियाणा सरकार के तहत मान्यता प्राप्त/प्रमाणित आयुष सुविधाओं/संस्थानों की तीन श्रेणियाँ होंगी जिसमें आयुष हीरक, आयुष स्वर्ण और आयुष रजत शामिल हैं।
- अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) द्वारा पूर्ण मान्यता प्राप्त करने वाले अस्पतालों, वेलनेस केंद्रों आदि को राज्य सरकार द्वारा 5 स्टार रेटिंग के साथ आयुष स्वर्ण के रूप में मान्यता दी जाएगी।
- जिन आयुष संस्थाओं ने अपनी संबंधित श्रेणी में एनएबीएच द्वारा पूर्व-प्रत्यायन प्रवेश स्तर के मानक प्राप्त किये हैं, उन्हें राज्य सरकार द्वारा 3 स्टार रेटिंग के साथ आयुष रजत के रूप में मान्यता दी जाएगी।
- अपनी श्रेणी में आयुष स्वर्ण मान्यता/प्रमाणन प्राप्त करने के बाद लगातार 5 वर्षों तक एनएबीएच मान्यता बनाए रखने वाली आयुष संस्थाओं को राज्य सरकार द्वारा 7 स्टार रेटिंग को आयुष हीरक के रूप में मान्यता दी जाएगी। मान्यता/प्रमाणन एनएबीएच मान्यता की वैधता तक वैध रहेगा।
झारखंड Switch to English
सिमडेगा में मिले आदिमानव के साक्ष्य
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार प्राकृतिक सुंदरता, हॉकी तथा आदिवासी बाहुल्य ज़िले के रूप में जाना जानेवाला सिमडेगा में आदिमानव के साक्ष्य मिले हैं।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. अंशुमाला तिर्की व बालेश्वर कुमार बेसरा ने ज़िले के कई स्थलों का भ्रमण कर आदिमानव द्वारा बनाए गए शैलचित्र ढूंढ निकाले हैं। ये शैलचित्र बिरू, बंगरू घोसरा, छूरिया, पूरनापानी, कोलेबिरा के भँवर पहाड़ तथा जलडेगा के परबा जैसे स्थानों से मिले हैं।
- ये शैलचित्र मुख्यत: लाल व सफेद रंगों से बनाई गई है। इन चित्रों में आखेट, जंगली जानवर, डॉमेस्टिकेशन व ज्यामितीय आकृतियाँ हैं।
- केरसई प्रखंड के ढोडीजोर गाँव में नवपाषाण कालीन ग्रुभस प्रमुख रूप से मिले हैं। ये पाँच सौ से भी ज्यादा संख्या में मिले हैं। चित्रों को देखने से प्रतीत होता है कि यह चित्र मध्यपाषाण काल से लेकर नवपाषाण काल तक के हैं।
- आदिमानव के ये साक्ष्य झारखंड के क्रमबद्ध इतिहास को लिखने में सहायक होगा। ये साक्ष्य इतिहास, पुरातत्व, नृविज्ञान तथा कला के शोधार्थियों को भी आकर्षित करेगा।
- उल्लेखनीय है कि इन आदिमानव द्वरा बनाये गए शैलचित्रों को खोजने वाले डॉ अंशु माला तिर्की स्वतंत्र पुरातत्वविद, इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के प्रोजेक्ट में रिसर्च एसोसिएट हैं वहीं बालेश्वर कुमार बेसरा स्वतंत्र पुरातत्वविद, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली) की परियोजना में अनुसंधान सहायक है।
उत्तराखंड Switch to English
हल्द्वानी में प्रदेश के सबसे बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
7 फरवरी 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के हल्द्वानी -काठगोदाम नगर निगम में सबसे बड़े 28 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और लेगेसी अपशिष्ट उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इन दोनों प्लांट की लागत क्रमश: 58 करोड़ रुपए और 3 करोड़ रुपए है।
- हल्द्वानी और आसपास के शहरों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार के लिये हल्द्वानी के गौलापार में इन दोनों संयंत्रों का निर्माण किया गया है।
- इन संयंत्रों का निर्माण अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) योजना के तहत किया जा रहा है।
- हल्द्वानी में एसटीपी के संचालन से गौला नदी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा और किसान संयंत्र से प्राप्त अपशिष्ट का उपयोग जैविक खाद के रूप में कर सकेंगे।
- राज्य सरकार ने गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषित करने वाले 132 नालों में सीवेज प्लांट लगाए हैं। वर्तमान में 11 सीवरेज प्लांट का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कई अन्य घोषणाएँ भी कीं। उन्होंने वन्य जीव एवं पर्यटन के लिये हल्द्वानी में अंतर्राष्ट्रीय चिड़ियाघर के निर्माण हेतु आवश्यकता अनुसार धनराशि उपलब्ध कराने की घोषणा की। साथ ही उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के लिये हल्द्वानी में नशामुक्ति केंद्र खोलने की योजना की भी घोषणा की।
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