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आपदा से बचाव के लिये उत्तराखंड में काम करेगा इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम
चर्चा में क्यों?
5 दिसंबर, 2023 को आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने प्रेस वार्ता में बताया कि आपदा में लोगों को तेजी से बचाने, राहत पहुँचाने के लिये इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (आईआरएस) तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इसकी स्थापना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के नियमों के तहत की जा रही है।
- इसके लिये यूएसडीएमए ने निविदा जारी की है। ब्लॉक से लेकर ज़िला व राज्य स्तर पर इंसिडेंट रिस्पॉन्स टीम (आईआरटी) भी बनाई जाएगी। आपदा के हिसाब से ये टीम भी काम करेंगी।
- आईआरएस की गाइडलाइन तैयार कर ली गई है। इसे लागू करने के लिये सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। इसके बाद आपदा प्रबंधन में और बेहतर तरीके से राहत एवं बचाव के कार्य किये जा सकेंगे।
- विदित हो कि राज्य में हर साल आपदाएँ सरकार के लिये चुनौती साबित होती हैं। हाल में सिलक्यारा सुरंग हादसा हो या उससे पहले जोशीमठ भूधंसाव जैसी आपदा। इनसे पार पाने के लिये एनडीएमए के नियमों के तहत अब आईआरएस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इससे आपदा की तीव्रता या जोखिम के हिसाब से तत्काल बचाव व समाधान किया जा सकेगा।
- आईआरएस के तीन सेक्शन होंगे। एक ऑपरेशन सेक्शन होगा। दूसरा प्लानिंग सेक्शन और तीसरा लॉजिस्टिक सेक्शन होगा। तीनों के समन्वय से आपदा राहत कार्यों को और तेजी से किया जा सकेगा।
- प्रारंभिक चेतावनी मिलने के बाद रिस्पॉन्सिबल ऑफिसर (आरओ) संबंधित क्षेत्र की इंसिडेंट रिस्पांस टीम (आईआरटी) को सक्रिय करेगा। बिना किसी चेतावनी के किसी आपदा की स्थिति में स्थानीय आईआरटी काम करेगा। अगर ज़रूरी होगा तो वह आरओ को सहायता के लिये संपर्क करेगा।
- आईआरटी सभी स्तरों, यानी राज्य, ज़िला, उप-मंडल और तहसील, ब्लॉक पर पूर्व-निर्धारित होगी। अगर आपदा जटिल होगी और स्थानीय आईआरटी के नियंत्रण से बाहर होगी तो उच्चस्तरीय आईआरटी को सूचित किया जाएगा। इसके बाद उच्चस्तरीय आईआरटी इस पूरी आपदा से बचाव का ज़िम्मा संभालेगी।
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एनर्जी कॉन्क्लेव में हुए 40 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू
चर्चा में क्यों?
5 दिसंबर, 2023 को डेस्टिनेशन उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत सचिवालय में हुए एनर्जी कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में 40 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू किये गए।
प्रमुख बिंदु
- डेस्टिनेशन उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत सचिवालय में एनर्जी कॉन्क्लेव में विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि पहुँचे। करीब 33 कंपनियों ने राज्य में सौर ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, गैस आधारित ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिये ये समझौते किये हैं।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में 40,423 करोड़ रुपए के एमओयू किये गए। इनमें से 21,522 करोड़ की ग्राउंडिंग हो चुकी है, जबकि 18901 करोड़ के नए एमओयू किये गए हैं।
- मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने के लिये अपार संभावनाएँ हैं। निवेश बढ़ाने के लिये सरकार लगातार प्रयास कर रही है। औद्योगिक जगत से जुड़े लोगों के सुझावों के आधार पर 27 नई नीतियाँ बनाई गई हैं और अनेक नीतियों को सरल किया गया है।
- इस मौके पर आई कंपनियों ने सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट, हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट, पंप स्टोरेज प्लांट, सीएनजी प्लांट, सोलर पार्क बनाने के प्रस्ताव दिए। टीएचडीसी-यूजेवीएनएल संयुक्त उपक्रम ने सर्वाधिक 16370 करोड़ रुपए के एमओयू किये हैं। वहीं जीएमआर ने 10,800 करोड़ रुपए, यूजेवीएनएल ने 3220 करोड़ रुपए, इवॉल्व एनर्जी ने 1184 करोड़ रुपए तथा कुंदनग्रुप और भिलंगना हाइड्रो पॉवर ने 1000-1000 करोड़ रुपए के एमओयू किये हैं।
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उत्तराखंड देश का पहला राज्य जिसे एक दिन में सबसे अधिक 18 जीआई टैग मिले
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2023 को उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया, जिसे एक दिन में सबसे अधिक 18 उत्पादों पर जीआई प्रमाण-पत्र मिले हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में जीआई प्रमाण-पत्रों का वितरण किया।
प्रमुख बिंदु
- अब तक उत्तराखंड के कुल 27 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।
- राज्य के जिन 18 उत्पादों को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) प्रमाण-पत्र मिले हैं, उनमें उत्तराखंड- चौलाई, झंगोरा, मंडुआ, लाल चावल, अल्मोड़ा लखौरी मिर्च, बेरीनाग चाय, बुरांस शरबत, रामनगर (नैनीताल) लीची, रामगढ़ आडू, माल्टा, पहाड़ी तोर, गहथ, काला भट्ट, बिच्छूबूटी फैब्रिक, नैनीताल मोमबत्ती, कुमाऊँनी रंगवाली पिछोड़ा, चमोली रम्माण मास्क तथा लिखाई वुड कार्विंग शामिल हैं।
- विदित हो कि उत्तराखंड के 9 उत्पादों- तेजपात, बासमती चावल, ऐपण आर्ट, मुनस्यारी का सफेद राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया दन, च्यूरा ऑयल तथा ताम्र उत्पाद को पहले ही जीआई प्रमाण-पत्र प्राप्त हो चुका है।
- वर्ष 2003 में जीआई कानून बनने से लेकर 2023 तक के 20 वर्षों के सफर में पहली बार एक दिन में एक साथ किसी राज्य के 18 उत्पादों को जीआई प्रमाण-पत्र निर्गत किये गए हैं।
- मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि जीआई टैग युक्त उत्तराखंड के उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ेगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी 13 ज़िलों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘एक ज़िला, दो उत्पाद’ योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है।
- सभी ज़िलों में वहाँ के स्थानीय उत्पादों को पहचान कर उनके अनुरूप परंपरागत उद्योगों का विकास करना योजना का मुख्य उद्देश्य है। इससे स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों के लिये स्वरोज़गार के अवसर बढ़ रहे हैं और हर ज़िले के स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान मिल रही है।
- कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने इसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि आगामी 12 से 18 जनवरी, 2024 तक देहरादून में प्रदेश स्तरीय जीआई टैग महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
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