प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Nov 2022
  • 0 min read
  • Switch Date:  
झारखंड Switch to English

तीन आदिवासी रचनाकार को मिला प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार

चर्चा मे क्यों?

6 नवंबर, 2022 को झारखंड के राँची में सह बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में किया गया, जिसके अंतर्गत प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार तीन आदिवासी साहित्यकारों को दिया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • सह बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ का आयोजन यूके स्थित एएचआरसी रिसर्च नेटवर्क लंदन, टाटा स्टील फाउंडेशन और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन के सहयोग से झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखाड़ा द्वारा किया गया।
  • प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार अरुणाचल प्रदेश के तांग्सा आदिवासी रेमोन लोंग्कू (कोंग्कोंग-फांग्फांग), महाराष्ट्र के भील आदिवासी सुनील गायकवाड़ (डकैत देवसिंग भील के बच्चे) और धरती के अनाम योद्धा के लिये दिल्ली की उराँव आदिवासी कवयित्री उज्ज्वला ज्योति तिग्गा (मरणोपरांत) को दिया गया।
  • आयोजन कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ गोजरी आदिवासी साहित्यकार जान मुहम्मद हकीम ने कहा कि अपने पुरखों को याद कर उन्हें तारीख के पन्नों में रखना हमारा फर्ज़ है। गोजरी भाषा जम्मू-कश्मीर में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली बोलियों में तीसरे स्थान पर है। इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
  • अरुणाचल प्रदेश के तांग्सा आदिवासी रेमोन लोंग्कू ने कहा कि उन्हें यहाँ बहुत-कुछ सीखने का अवसर मिला है। उन्होंने कृषि कार्य के समय गाया जाने वाला गीत ‘साइलो साइलाई असाइलाई चाई…’(चलो गाते हैं गीत) सुनाया।
  • महाराष्ट्र के भील आदिवासी सुनील गायकवाड़ ने कहा कि अंग्रेज़ों के जमाने में महाराष्ट्र में आदिवासी क्रांतिकारियों को तब की व्यवस्था डकैत कहती थी। ‘डकैत देवसिंग भील के बच्चे’ उनके दादा की कहानी है।
  • डॉ. अनुज लुगुन ने कहा कि आदिवासी साहित्य जैविक व देशज स्वर के साथ अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को विस्तार दे रहा है। आदिवासी साहित्य की अभिव्यक्ति वैयक्तिक नहीं है, बल्कि यह सामूहिक संवेदनाओं को आलोचनात्मक रूप से अभिव्यक्त कर रही है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow