उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनॉमी बनाने का प्लान तैयार
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रस्ताव को प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये सरकार 2027 तक 40 लाख करोड़ रुपए की धनराशि खर्च करेगी, जिसके अंतर्गत यह धनराशि बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य, न्यायिक प्रणाली, शिक्षा, भारी उद्योग आदि पर खर्च होगी।
- सरकार के अनुसार वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था पाने के लिये सालाना विकास दर 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ानी होगी और प्रदेश में हर वर्ष होने वाली जीएसडीपी के निवेश को बढ़ाकर 43 से 47 प्रतिशत करना होगा। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लक्ष्य को बढ़ाकर वर्तमान का 45 प्रतिशत तक ले जाना होगा, जिससे प्रदेश में अधिक-से-अधिक इकाइयाँ तो लगेंगी ही, साथ में रोज़गार भी बढ़ेगा और प्रदेश की इकॉनमी मज़बूत होगी।
- प्रदेश में निवेशकों को लुभाने के लिये इन्वेस्टमेंट नीति का खाका तैयार किया गया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और नई इकॉनमी को विभिन्न चरणों में बाँटने के साथ इस पर ज़ोर दिया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर को दो भागों में बाँटा गया है, जिसके हार्ड और सॉफ्ट दो हिस्से हैं। हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में लॉजिस्टिक के साथ पावर और एनर्जी शामिल हैं, जबकि सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में नियामक, न्यायिक प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य को शामिल किया गया है। इसके अलावा सर्विस में पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य को शामिल किया गया है।
- सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत पूरे प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था के लिये राज्य सरकार को वर्ष 2022 से 2027 के बीच करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने होंगे, जिनमें 24 लाख बेड के अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। इसके लिये करीब 4.35 लाख डॉक्टर्स और 17 लाख नर्स की भर्ती की जाएगी।
- हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत अधीनस्थ न्यायालय में 1092 जज की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा हाईकोर्ट में 90 नए जज की नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश में 13 लाख करोड़ रुपए बिजली, 25 लाख करोड़ रुपए रोड और 200 करोड़ रुपए न्यायिक प्रणाली पर खर्च किये जाएंगे।
राजस्थान Switch to English
प्रदेश के 60 हज़ार से अधिक सरकारी स्कूलों में शुरू होगा ‘चेस इन स्कूल’ कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बीकानेर में 66वीं ज़िलास्तरीय विद्यालयी खेलकूद के तहत शतरंज प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह के दौरान बताया कि प्रदेश में 60 हज़ार से अधिक सरकारी विद्यालयों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती (19 नवंबर) से ‘चेस इन स्कूल’कार्यक्रम प्रारंभ होगा तथा इसके बाद हर महीने के तीसरे शनिवार को ‘नो बैग डे’के दौरान स्कूलों में शतरंज खेला जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बताया कि देशभर में पहली बार राजस्थान में यह पहल होने जा रही है, जिसके तहत प्रदेश के 60 हज़ार से अधिक स्कूलों में खेल ग्रांट से चेस बोर्ड एवं अन्य आवश्यक सामग्री खरीदी जाएगी और बच्चों को शतरंज में पारंगत किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि पहली बार शतरंज को स्कूली खेलों में शामिल किया गया है। इसके बाद शतरंज की ज़िला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएँ हो रही हैं, जिनमें भागीदारी निभाने वाले बच्चे आने वाले समय में शतरंज की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में राजस्थान का नाम रोशन करेंगे।
- स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष महेश शर्मा ने कहा कि शतरंज खेल को प्रोत्साहित करने में ‘चेस इन स्कूल’देश का सबसे बड़ा माध्यम बनेगा। उन्होंने दस और चौदह वर्ष आयु वर्ग में भी यह प्रतियोगिताएँ आयोजित करने की बात कही।
- प्रतियोगिता समन्वयक सेणुका हर्ष ने बताया कि ज़िलास्तरीय प्रतियोगिता के दौरान 17 और 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे चार वर्गों में भागीदारी निभाएंगे। शतरंज की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता भी 14 से 18 नवंबर से बीकानेर के रमेश इंग्लिश स्कूल में होगी। इसमें प्रदेश के 33 ज़िलों की टीमें भागीदारी निभाएंगी।
राजस्थान Switch to English
डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान का जयपुर के जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में आयोजन
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष श्रेया गुहा द्वारा जयपुर के जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में कला शिविर में ‘म्हारो राजस्थान’ का आयोजन तथा प्रदर्शनी में स्टॉल का उद्घाटन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- श्रेया गुहा ने बताया कि राजस्थान विश्व में पहला प्रांत है, जहाँ क्षेत्रीय काउंसिल का गठन कर पंजीयन किया गया। कोविड के दौरान इसके ऑनलाइन इंवेट किये और अब ऑफलाइन इंवेट के माध्यम से ड्रामा, डांस, थिएटर, आर्ट को प्रमोट कर रहे हैं तथा युवाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। क्षेत्रीय काउंसिल के माध्यम से कलाकारों के लिये खेल का आयोजन किया जाएगा एवं उन्हें वैश्विक मंच प्रदान किया जाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय डेल्फिक काउंसिल के महासचिव रमेश प्रसन्ना ने बताया कि कल्चर वेल्यू को क्षेत्रीय स्तर पर शुरू करने के उद्देश्य से डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की शुरुआत की गई है। गॉड अपोलो की थीम व हारमनी की तर्ज़ पर डेल्फिक काउंसिल की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई है तथा इसका उद्देश्य आपसी भाईचारा, संस्कृति व परंपराओं को कायम रखना एवं विश्व में प्रसार करना है।
- जर्मन आर्ट स्कूल की इन्स लेक्सचुस ने कहा कि कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन कर राजस्थान ने एक प्रेरणा दी है तथा ऐसे प्लेटफॉर्म पर जर्मन कलाकारों को अपनी कला का आदान-प्रदान करने एवं सीखने का एक बेहतर अवसर मिलेगा।
- कार्यक्रम में जर्मन आर्ट स्कूल के विद्यार्थी राजस्थानी कलाकारों से रूबरू हुए तथा राजस्थानी कला एवं संस्कृति को समझा। उन्होंने पेंटिंग्स की विविध कलाओं के कलाकारों से जर्मन कला को साझा किया।
मध्य प्रदेश Switch to English
बीसीएलएल को मिला अर्बन मोबिलिटी अवार्ड 2022
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को नगर निगम, भोपाल द्वारा शहर में सार्वजनिक परिवहन के लिये गठित बीसीएलएल को कोच्चि में अर्बन मोबिलिट अवार्ड 2022 प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- निगम को यह अवार्ड ‘सिटी विथ मोस्ट इनोवेटिव फाइनेंस मैकेनिज्म फॉर ट्रांसपोर्ट’ कैटेगरी के लिये मिला।
- यह अवार्ड समारोह कोच्चि में होटल हयात में हुआ, जहाँ निगमायुक्त केवीएस चौधरी, अपर आयुक्त सीपी गोहिल और एमआईसी सदस्य मनोज राठौर ने अवार्ड प्राप्त किया। यह अवार्ड राज्य के आवासीय एवं शहरी विकास मंत्री कौशल किशोर ने दिया।
- बीसीएलएल ने अगस्त 2021 में निजी जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिये नवाचार किया था, जिसके चलते केंद्रशासित ‘अमृत योजना’ की 150 बसों का संचालन ग्रास कास्ट मॉडल पर शुरू किया। उक्त बस संचालन के लिये राजस्व जुटाने हेतु निविदाएँ आमंत्रित की गईं, जिसके चलते अलग से एजेंसी का चयन किया गया।
- बीसीएलएल के इस सूत्र को देशभर में सराहना मिली है। प्रदेश के अलावा केंद्र सरकार ने भी इस मॉडल को सराहा है।
- वर्तमान में 20 मार्गो पर बीसीएलएल द्वारा 352 बसों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें रोज़ाना डेढ़ लाख से ज़्यादा यात्री सफर करते हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
अखिल भारतीय कालिदास समारोह-2022 का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
4 नवंबर, 2022 को राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने देव प्रबोधिनी एकादशी पर सातदिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह-2022 का शुभारंभ किया। यह समारोह 4 नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2022 तक आयोजित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इस समारोह का शुभारंभ कालिदास संस्कृत अकादमी के पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में विक्रम विश्वविद्यालय और कालिदास संस्कृत अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के तत्वावधान में हुआ।
- इस समारोह में पद्मभूषण बुधादित्य मुखर्जी (सितारवादन), पद्मश्री डॉ.पुरू दाधीच (कथक नृत्य), वासुदेव कामथ (चित्रकला) और रंगकर्मी एवं प्रसिद्ध अभिनेता राजीव वर्मा को राज्य शासन के प्रतिष्ठित अलंकरण ‘राष्ट्रीय कालिदास सम्मान’से विभूषित किया गया। पहली बार यह चारों सम्मान कालिदास समारोह में दिये गए।
- राज्यपाल ने इस अवसर पर रघुवंशम् में लगी प्रदर्शनी तथा अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर द्वारा लगाई गई सिक्कों की प्रदर्शनी का शुभारंभ कर अवलोकन किया। राज्यपाल ने परिसर में हथकरघा एवं हस्त शिल्प मेले का शुभारंभ किया।
- इस समारोह में उपस्थित अतिथियों द्वारा पुस्तक ‘दुर्वा’और ‘मेघदूत’के भोजपुरी अनुवाद एवं कालिदास राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी के ब्रॉशर का विमोचन किया गया।
- उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह उज्जैन शहर में प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाने वाला एक सात दिवसीय समारोह है, जो कालिदास, वात्स्यायन, भर्तृहरि जैसे संस्कृत के साहित्यकारों से परिचित हैं और शिवमंगल सिंह सुमन, प्रभाकर माछवे, गजानन माधव मुक्तिबोध और पंडित सूर्य नारायण व्यास जैसे हिन्दी लेखकों की सराहना करते हैं।
- अखिल भारतीय कालिदास समारोह के दौरान कई नाटकों का मंचन किया जाता है, जो सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाते हैं। भारतीय शास्त्रीय कार्यक्रमों में कुछ कलाकारों के अलावा कई दिग्गज भी प्रदर्शन करते हैं, जिनकी संगीत क्षेत्र में यात्रा अभी शुरू हुई है।
- विदित है कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1958 में पहली बार इस समारोह का उद्घाटन किया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उज्जैन में द्वितीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह का उद्घाटन करने का गौरव प्राप्त किया था।
झारखंड Switch to English
तीन आदिवासी रचनाकार को मिला प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार
चर्चा मे क्यों?
6 नवंबर, 2022 को झारखंड के राँची में सह बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में किया गया, जिसके अंतर्गत प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार तीन आदिवासी साहित्यकारों को दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- सह बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ का आयोजन यूके स्थित एएचआरसी रिसर्च नेटवर्क लंदन, टाटा स्टील फाउंडेशन और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन के सहयोग से झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखाड़ा द्वारा किया गया।
- प्रथम जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार अरुणाचल प्रदेश के तांग्सा आदिवासी रेमोन लोंग्कू (कोंग्कोंग-फांग्फांग), महाराष्ट्र के भील आदिवासी सुनील गायकवाड़ (डकैत देवसिंग भील के बच्चे) और धरती के अनाम योद्धा के लिये दिल्ली की उराँव आदिवासी कवयित्री उज्ज्वला ज्योति तिग्गा (मरणोपरांत) को दिया गया।
- आयोजन कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ गोजरी आदिवासी साहित्यकार जान मुहम्मद हकीम ने कहा कि अपने पुरखों को याद कर उन्हें तारीख के पन्नों में रखना हमारा फर्ज़ है। गोजरी भाषा जम्मू-कश्मीर में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली बोलियों में तीसरे स्थान पर है। इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
- अरुणाचल प्रदेश के तांग्सा आदिवासी रेमोन लोंग्कू ने कहा कि उन्हें यहाँ बहुत-कुछ सीखने का अवसर मिला है। उन्होंने कृषि कार्य के समय गाया जाने वाला गीत ‘साइलो साइलाई असाइलाई चाई…’(चलो गाते हैं गीत) सुनाया।
- महाराष्ट्र के भील आदिवासी सुनील गायकवाड़ ने कहा कि अंग्रेज़ों के जमाने में महाराष्ट्र में आदिवासी क्रांतिकारियों को तब की व्यवस्था डकैत कहती थी। ‘डकैत देवसिंग भील के बच्चे’ उनके दादा की कहानी है।
- डॉ. अनुज लुगुन ने कहा कि आदिवासी साहित्य जैविक व देशज स्वर के साथ अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को विस्तार दे रहा है। आदिवासी साहित्य की अभिव्यक्ति वैयक्तिक नहीं है, बल्कि यह सामूहिक संवेदनाओं को आलोचनात्मक रूप से अभिव्यक्त कर रही है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
राज्यस्तरीय रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता के विजेता खिलाड़ी हुए पुरस्कृत
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने 15वीं राज्यस्तरीय रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता कार्यक्रम में प्रतियोगिता के विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि राजधानी रायपुर के सरोना स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल में 4 से 6 नवंबर तक 15वीं राज्यस्तरीय स्केटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
- राज्यस्तरीय प्रतियोगिता इनलाइन तथा क्वाड कैटेगरी में 5 वर्ष से 17 वर्ष से अधिक लड़के एवं लड़कियों के लिये विभिन्न 6 आयु समूहों में रिंग तथा रोड में 120 पदकों के लिये आयोजित की गई।
- यह प्रतियोगिता भारतीय रोलर स्केटिंग खेल महासंघ द्वारा मान्यताप्राप्त है। इस प्रतियोगिता के विजेताओं में से छत्तीसगढ़ की टीम का चयन किया जाएगा। चयनित टीम 11 से 12 दिसंबर, 2022 तक बंगलूरू में आयोजित होने वाली 60वीं राष्ट्रीय रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप 2022 में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेगी।
- इस वर्ष रोलर स्केटिंग खेलों का प्रचार-प्रसार करने हेतु टेनासिटी और टॉय स्केट्स में कुछ प्रतियोगिताएँ रखी गई थीं, जिससे नए उदीयमान खिलाड़ियों को 75 पदकों का वितरण किया गया। इसके लिये 3 से 5 वर्ष के इनलाइन तथा क्वाड खिलाड़ियों एवं टेनासिटी और टॉय स्केट्स में 4 आयु वर्ग बनाए गए थे।
- स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लिये यह गौरव की बात है कि देश के सीबीएसई स्कूलों में केवल कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना में 200 मीटर का बैंड ट्रैक स्केटिंग के लिये उपलब्ध है और लगातार 5 वर्षों से सीबीएसई बोर्ड की राष्ट्रीय प्रतियोगिता भी कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना के ग्राउंड में आयोजित की जा रही है।
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूलों में स्केटिंग को बढ़ावा देने के लिये इसे विगत वर्ष से स्कूली खेलों में शामिल किया गया है। प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में स्केटिंग का उचित वातावरण बनाने के लिये छत्तीसगढ़ शासन का प्रयास जारी है, जिसमें- दुर्ग, भिलाई, रायपुर और बिलासपुर में नए स्केटिंग ग्राउंड का निर्माण प्रस्तावित है।
- शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसी वर्ष स्केटिंग की राष्ट्रीय स्तर की ओपन चैलेंज स्पीड रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता आयोजित की जा चुकी है, जिसमें देश के 1500 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
- डॉ. टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने इस वर्ष अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय खेल की रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल प्राप्त कर प्रथम स्थान हासिल किया। इस प्रतियोगिता में रायपुर के खिलाड़ी अमितेश मिश्रा को स्केटिंग में देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष का ‘गुंडाधूर सम्मान’ प्रदान किया गया है। स्केटिंग प्रतियोगिता में एन.एच. गोयल वर्ल्ड स्कूल की कक्षा 8वीं की छात्रा कुमारी लावण्या जिंदल ने इनलाइन स्केटिंग में तीन गोल्ड मेडल जीते।
- इसी प्रकार इंदौर में 7 से 9 अक्टूबर के बीच आयोजित राष्ट्रीय पिकलबॉल प्रतियोगिता के 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में एनएच गोयल स्कूल कक्षा 10वीं की छात्रा कुमारी हेमिका जिंदल ने सिंगल्स और डबल्स दोनों कैटेगरी में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
उत्तराखंड Switch to English
प्रदेश में खनन की ‘वन स्टेट वन रॉयल्टी’ नीति होगी लागू
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु ने बताया कि प्रदेश की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक, खनन की रॉयल्टी दरों में एकरूपता लाने के लिये प्रदेश में ‘वन स्टेट, वन रॉयल्टी’नीति लागू की जाएगी। वन विकास निगम ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सौंप दिया है। इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।
प्रमुख बिंदु
- खनन की रॉयल्टी की दरें एक समान लागू होने से जहाँ अवैध खनन के मामलों में कमी आएगी, वहीं निर्माण सामग्री सस्ती होने से लोगों को घर इत्यादि बनाने में राहत मिलेगी।
- प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का चुगान (खनन) वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है तथा इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में तीनों तरह के खनन में रॉयल्टी की दरें भिन्न-भिन्न हैं। वन विकास निगम की ओर से आरक्षित वन क्षेत्रों की विभिन्न नदियों में आरबीएम की दरें 20 से 25 रुपए प्रति क्विंटल तय हैं। जबकि राजस्व और निजी खनन पट्टों में यह दरें 15 से 18 रुपए तय हैं।
- ज्ञातव्य है कि प्रदेश में निकलने वाले 65 से 70 प्रतिशत उप खनिज का चुगान आरक्षित वन क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों से किया जाता है तथा आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।
- गाइडलाइन के अनुसार, रॉयल्टी की दरों के साथ सीमांकन एवं सुरक्षा क्षतिपूर्ति पौधरोपण, स्टांप शुल्क, वन्य जीव शमन, श्रमिक कल्याण कोष, धर्मकांटा, कंप्यूटरीकृत तौलाई, सीसीटीवी कैमरा, परिचालन व्यय जैसी तमाम औपचारिकताएँ पूरी करनी पड़ती हैं,जिससे वन विकास निगम की रॉयल्टी दरें राजस्व और निजी खनन पट्टों से अधिक हैं तथा अब इन व्ययों के खर्च को कम करने पर मंथन किया जा रहा है, ताकि खनन रॉयल्टी में एकरूपता लाई जा सके।
- वन विकास निगम की ओर से दिये गए सुझाव-
- पूरे राज्य में सभी स्थलों से निकलने वाले खनिजों की मूल रॉयल्टी को प्रति क्विंटल सात रुपए तक किया जा सकता है।
- ज़िला खनिज न्यास में अंशदान रॉयल्टी को 15 प्रतिशत किया जा सकता है।
- क्षतिपूरक पौधरोपण में अंशदान रॉयल्टी को 10 प्रतिशत किया जा सकता है।
- सीमांकन एवं सुरक्षा में वन विभाग का अंशदान 25 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है।
- वन विकास निगम परिचालन व्यय में 25 रुपए प्रति क्विंटल कम करने पर सहमत है।
- वन विभाग की ओर से रोड फीस 25 प्रतिशत कम करने पर विचार किया जा सकता है।
- प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु ने बताया कि उप खनिजों की विक्रय दरें राजस्व की मदें, वन विभाग की मदें, वन विकास निगम की मदें, जीएसटी और आयकर को जोड़कर निर्धारित की जाती हैं। वन अधिनियम की शर्तों को पूरा करने के साथ इस तरह से वन विकास निगम की दरें बढ़ जाती हैं। इन दरों को कैसे कम कर सकते हैं, इसके तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। शीघ्र ही इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।
- खनन सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि खनन की रॉयल्टी में एकरूपता लाने के लिये शासन स्तर पर वन विभाग के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं, जिनमें वन विभाग से वन विकास निगम की दरों में संशोधन पर चर्चा की जा रही है। रॉयल्टी में एकरूपता आने से आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा और राजस्व में भी वृद्धि होने का अनुमान है।
उत्तराखंड Switch to English
पाँच विभूतियों को मिलेगा उत्तराखंड गौरव पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को प्रभारी सचिव सचिवालय प्रशासन, उत्तराखंड विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार 2022 की घोषणा कर दी है। इसमें पाँच अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिये पाँच विभूतियों को पुरस्कार हेतु चुना गया है। इनमें से तीन को मरणोपरांत पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- विनोद कुमार सुमन ने बताया कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल, भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को यह पुरस्कार दिया जाएगा।
- पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रहे स्व. जनरल बिपिन रावत, कवि, लेखक और गीतकार रहे स्व.गिरीश चंद्र तिवारी और साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में स्व. वीरेन डंगवाल को मरणोपरांत इस पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है।
- प्रभारी सचिव के मुताबिक, उत्तराखंड गौरव सम्मान दिये जाने की तिथि, स्थान और समय बाद में अलग से जारी किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड गौरव सम्मान के लिये पिछले साल पर्यावरण के क्षेत्र में डॉ.अनिल जोशी, साहसिक खेल के लिये बछेंद्री पाल, संस्कृति के लिये लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, साहित्य के क्षेत्र में रस्किन बांड के नाम की घोषणा हुई थी। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को मरणोपरांत इस पुरस्कार के लिये चयनित किया गया था, लेकिन पिछले साल कार्यक्रम आयोजित न होने के चलते इन विभूतियों को भी इस साल सम्मानित किया जाएगा।
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