राजस्थान Switch to English
मुख्यमंत्री ने किया 472 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास
चर्चा में क्यों?
6 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 472 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास कर प्रदेशवासियों को सौगात दी।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने 250 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित एल.आई.सी. भवन से सोडाला तक एलीवेटेड रोड का लोकार्पण किया, जिससे जयपुरवासियों को आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने एलीवेटेड रोड का नाम ‘भारत जोड़ो सेतु’रखने की घोषणा भी की।
- इसके अलावा उन्होंने 222 करोड़ रुपए की लागत की 6 अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया-
- संकल्प नगर-सांझरिया में 43 एम.एल.डी. क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का शिलान्यास
- राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर परिसर में गेस्ट हाउस का शिलान्यास
- पृथ्वीराज नगर (उत्तर) में 1200 एम.एम. व्यास की मुख्य ट्रंक लाइन का शिलान्यास
- पृथ्वीराज नगर (उत्तर) में 600-900 एम.एम. व्यास की मुख्य ट्रंक लाइन का शिलान्यास
- लुनियावास-गोनेर रोड पर ड्रेनेज कार्य का शिलान्यास
- वंदेमातरम् रोड-मुहाना मंडी रोड पर मुख्य ड्रेनेज कार्य का शिलान्यास
हरियाणा Switch to English
नीदरलैंड्स की तकनीक पर गुरुग्राम में बनाई जाएगी फूल की निर्यात मंडी
चर्चा में क्यों?
6 अक्टूबर, 2022 को गुरुग्राम ज़िला प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि हरियाणा के कृषि तथा पशुपालन मंत्री जेपी दलाल द्वारा एक आधुनिक वैश्विक फूल मंडी गुरुग्राम ज़िले में बनाए जाने की घोषणा की गई है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि कृषि तथा पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ नीदरलैंड्स स्थित अलसमीर फ्लोरा मार्केट का दौरा किया था।
- उन्होंने कहा कि नीदरलैंड्स स्थित फूल मार्केट की तकनीक पर आधारित गुरुग्राम में भी फूल मंडी बनाई जाएगी तथा इस मंडी से फूल विदेश निर्यात किये जाएंगे। इससे हरियाणा सहित एनसीआर के फूल उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- उल्लेखनीय है कि नीदरलैंड्स की फूल मंडी में रोज़ाना 440 लाख फूल आते हैं। इनमें 30 प्रतिशत फूल स्थानीय तथा 70 प्रतिशत फूल अन्य देशों से बिक्री के लिये आते हैं। इनकी सुबह छह से नौ बजे तक ऑनलाइन बोली लगती है।
- किसानों के लिये रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर भी बनाया जाएगा। ज़िले में बनाई जाने वाली मंडी का अधिकतर हिस्सा वातानुकूलित होगा। मंडी में फूलों के स्टोरेज के लिये सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। फर्रुखनगर और पटौदी क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान फूल उत्पादन का काम करते हैं। शहर में फूल मंडी न होने के कारण इनको अपने फूल गुरुग्राम या दिल्ली जाकर सस्ते दामों में बेचने पड़ते हैं।
झारखंड Switch to English
अंडर-17 फीफा विश्व कप फुटबॉल में झारखंड की अष्टम उरांव करेगी कप्तानी
चर्चा में क्यों?
5 अक्टूबर, 2022 को फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 के लिये घोषित भारतीय महिला फुटबॉल टीम में झारखंड के गुमला ज़िले की रहने वाली अष्टम उरांव को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व कप के लिये घोषित भारत की 21 सदस्यीय टीम में अष्टम उरांव सहित झारखंड की 6 खिलाड़ियों को जगह मिली है। इनमें नीतू लिंडा, अंजलि मुंडा, अनिता कुमारी, पूर्णिमा कुमारी और सुधा अंकिता टिर्की शामिल हैं।
- गौरतलब है कि भुवनेश्वर, मडगांव (गोवा) और नवी मुंबई में आगामी 11 अक्टूबर से फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 (FIFA U-17 Women's World Cup 2022) का आयोजन किया जाएगा।
- अष्टम उरांव झारखंड के गुमला ज़िला अंतर्गत एक छोटे से गाँव बनारी गोराटोली की रहने वाली है। बीते मार्च महीने में अष्टम उरांव का चयन भारत की सीनियर महिला फुटबॉल टीम में हुआ था, फिर उसे अंडर-17 के नेशनल कैंप में चुना गया था। बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत चयनकर्त्ताओं ने उसे टीम कैप्टन की भूमिका सौंपी है।
- विदित है कि यह पहली बार है जब अंडर-17 महिला फुटबॉल की भारतीय टीम में झारखंड की 6 खिलाड़ियों को एक साथ चुना गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शरुआत
चर्चा में क्यों?
6 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिये सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- इस मौके पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की जानकारी देने वाले ब्रॉशर का भी विमोचन किया।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति से लोगों को जोड़ कर रखने तथा स्थानीय खेलकूद को बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की गई है। इससे स्थानीय लोगों को एक तरफ खेल का मंच मिलेगा, वहीं उनमें खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और खेल भावना का भी विकास होगा।
- 6 अक्टूबर से 6 जनवरी, 2023 तक चलने वाले इस ओलंपिक में दलीय एवं एकल श्रेणी में 18 वर्ष से कम, 18 से 40 वर्ष एवं 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं।
- इस ओलंपिक में दलीय एवं एकल श्रेणी में 14 तरह के पारंपरिक खेलों को शामिल किया गया है। इसमें दलीय श्रेणी में गिल्ली-डंडा, पिट्ठुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसे खेल शामिल किये गए हैं। वहीं एकल श्रेणी की खेल विधा में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ और लंबी कूद शामिल हैं।
- इसके अलावा इसमें वालीबॉल, हॉकी और टेनिस बॉल तथा क्रिकेट को भी शामिल किया गया है।
- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति व सभ्यता एवं विशिष्ट पहचान यहाँ की ग्रामीण परंपराओं और रीति-रीवाजों से है। इसमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्त्व है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिये छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शुरुआत की गई है।
- छत्तीसगढ़ के ये खेल मनोरंजक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिये भी लाभदायक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन खेलों से बच्चे, बुजुर्ग व युवा सभी व्यायाम आदि शारीरिक गतिविधियों से जुड़ते हैं।
- उल्लेखनीय है कि 6 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में नई पहल करते हुए इस वर्ष से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन किये जाने का निर्णय लिया गया था।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ट्रैकरों की सुरक्षा के लिये बनेगी ट्रैकिंग नीति
चर्चा में क्यों?
6 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश में ऊँची चोटियों की चढ़ाई करने वाले ट्रैकरों और ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिये पर्यटन विभाग के माध्यम से ट्रैकिंग नीति तैयार की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि ट्रैकिंग नीति में प्रदेश में पर्वतारोहण करने वाले ट्रैकरों व ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
- नीति के तहत सरकार की ओर से पर्वतारोहण दल के लीडर को सैटेलाइट फोन सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे पर्वतारोहण दल के किसी मुश्किल में फँसने या लापता होने की स्थिति में आसानी से लोकेशन का पता लग सकेगा।
- इसके अलावा पोर्टरों को प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर लाइसेंस देने के लिये नीति में प्रावधान किया जा रहा है।
- ट्रैकिंग के लिये प्रदेश में अभी कोई नीति नहीं है। ट्रैकिंग करने वाले पर्यटक बिना किसी सूचना के ही ट्रैक रूट पर निकल जाते हैं। कोई हादसा होने पर सरकार व प्रशासन के पास भी ट्रैकिंग दल का कोई ब्योरा नहीं रहता है।
- वर्ष 2003-04 में पर्वतारोहण के लिये गाइडलाइन बनाई गई थी, जो पेशेवर ट्रैकरों के लिये ही लागू थी। वर्तमान में सरकार का विशेष ध्यान साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर है, जिससे बाहरी क्षेत्रों के पर्यटक ट्रैकिंग के लिये उत्तराखंड आ रहे हैं।
- गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल देश दुनिया के पेशेवर ट्रैकरों के अलावा साहसिक पर्यटन में रुचि रखने वाले पर्यटक ट्रैकिंग के लिये आते हैं। कई बार पर्वतारोहण दल के साथ घटनाएँ हुई हैं। अब सरकार ट्रैकिंग के लिये आने वाले पर्यटकों और ट्रैकरों की सुरक्षा के लिये नीति बना रही है।
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