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राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के नए निदेशक की नियुक्ति की आलोचना
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक के रूप में एक वन अधिकारी (IFS) की नियुक्ति के लिये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की आलोचना की।
- मुख्य बिंदु
- नियुक्ति विवाद: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी को राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का निदेशक नियुक्त करने के फैसले से विवाद उत्पन्न हो गया है, क्योंकि कथित अवैध गतिविधियों के लिये केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement- ED) द्वारा उनके खिलाफ जाँच चल रही है।
- अधिकारियों की अनदेखी: आरोपों से पता चलता है कि मुख्यमंत्री ने वन मंत्री और मुख्य सचिव की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिन्होंने पिछले कानूनी मुद्दों में अधिकारी की संलिप्तता के कारण नियुक्ति पर पुनर्विचार की सिफारिश की थी।
- सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियां: इस बात पर ज़ोर दिया गया कि ऐसे निर्णय एकतरफा नहीं लिये जाने चाहिये।
- न्यायालय ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के महत्त्व पर प्रकाश डाला तथा इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार की भूमिका प्राकृतिक संसाधनों की ज़िम्मेदारीपूर्वक सुरक्षा करना है, जिससे इस मामले के अंतर्गत समझौता किया गया।
राजाजी राष्ट्रीय
- अवस्थिति: हरिद्वार (उत्तराखंड), शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में 820 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- पृष्ठभूमि: उत्तराखंड के तीन अभयारण्यों अर्थात् राजाजी, मोतीचूर और चीला को एक बड़े संरक्षित क्षेत्र में मिला दिया गया तथा वर्ष 1983 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर इसका नाम राजाजी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया; जिन्हें लोकप्रिय रूप से “राजाजी” के नाम से जाना जाता था।
- विशेषताएँ:
- यह क्षेत्र एशियाई हाथियों के निवास स्थान की उत्तर पश्चिमी सीमा है।
- वन प्रकारों में साल वन, नदी किनारे वन, चौड़ी पत्ती वाले मिश्रित वन, झाड़ीदार भूमि और घास वाले वन शामिल हैं।
- इसमें स्तनधारियों की 23 प्रजातियाँ और पक्षियों की 315 प्रजातियाँ जैसे- हाथी, बाघ, तेंदुएँ, हिरण एवं घोरल आदि पाई जाती हैं।
- इसे वर्ष 2015 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था
- सर्दियों में यह वन गुज्जरों का आवास बन जाता है।
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