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छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद के महत्त्वपूर्ण निर्णय
चर्चा में क्यों?
6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कल्याण और विकास के लिये पृथक्-पृथक् विभागों के गठन के निर्णय के साथ ही अन्य कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कल्याण और विकास के लिये पृथक्-पृथक् विभागों के गठन का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इससे इन वर्गों के लिये संचालित कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का अधिक सुव्यवस्थित तरीके से क्रियान्वयन हो सकेगा।
- राज्य शासन द्वारा अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्रों बस्तर और सरगुजा संभाग के ज़िलों तथा बिलासपुर संभाग के कोरबा और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के ज़िला स्तरीय एवं संभाग स्तरीय पदों पर नियुक्त व्यक्तियों का स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति, संविलियन, संलग्नीकरण ज़िले और संभाग के बाहर नहीं किया जाएगा।
- किसानों के सहकारी ऋणों पर ब्याज अनुदान नियम 2021 में संशोधन प्रारूप का अनुमोदन किया गया, जिसके अनुसार उद्यानिकी कार्यों, मत्स्य पालन एवं गोपालन के लिये लघु और सीमांत किसानों को 3 लाख रुपए तक का अल्पकालीन ऋण बिना ब्याज के मिलेगा।
- राज्य में किसानों के हित में कृषि और उससे संबंधित उद्यानिकी, मछलीपालन, पशुपालन आदि संबद्ध विभागों की गतिविधियों को एक ही जगह से क्रियान्वित करने के लिये अन्य विभागों की भाँति नवा रायपुर अटल नगर के सेक्टर 19 में कृषि भवन के निर्माण का निर्णय लिया गया। इसके लिये एक रुपए टोकन में भूमि आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
- राज्य में पंप स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु निवेश को प्रोत्साहन देने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 का अनुमोदन किया गया।
- लघु जल विद्युत परियोजना की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिये विभागीय नीति-2012 में वृद्धि के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। वर्तमान में 25 मेगावाट क्षमता की लघु जल विद्युत परियोजना की स्थापना हेतु जारी अधिसूचना, जिसकी अवधि फरवरी 2022 में समाप्त हो चुकी है, में 10 वर्ष की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया।
- जल संसाधन विभाग की सिंचाई नहरों के सर्विस बैंक में पक्की सड़कों का निर्माण जल संसाधन विभाग की मद से कराए जाने की बजाय अन्य निर्माण विभागों की मद से कराए जाने का निर्णय लिया गया, ताकि सिंचाई विभाग की राशि का उपयोग राज्य में सिंचाई क्षमता को बढ़ाने में किया जा सके।
- आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर केंद्रित लघु फिल्म और स्वतंत्रता के 75 वर्ष और आगामी 25 वर्ष में नए भारत के निर्माण संबंधी डाक्यूमेंट्री निर्माण की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की गई।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत राज्यांश राशि की पूर्ति हेतु ऋण प्राप्त करने के लिये विभाग को स्वीकृत प्रत्याभूति की अवधि मार्च 2022 को दिसंबर 2024 (मिशन अवधि) तक बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया।
- मिशन अमृत 0 योजना के क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तरीय हाई पावर स्टेयरिंग कमेटी द्वारा अनुमोदित वित्तीय संरचना की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई। मिशन अमृत 2.0 योजना में प्रदेश के 169 नगरीय निकायों को सम्मिलित किया गया है, जिसके तहत नगरीय निकायों में जल प्रदाय और आवर्धन योजना के कार्य को प्राथमिकता से कराया जाना है।
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (पीएम कुसुम) योजना के कंपोनेंट-सी के अंतर्गत कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जीकृत किये जाने हेतु 810 मेगावाट (डी.सी.)/675 मेगावाट (ए.सी.) क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाने के विभागीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- कृषि पंपों का सोलराईजेशन किये जाने से कृषकों को कृषि पंपों के संचालन हेतु वर्तमान में प्राप्त हो रही बिजली के अतिरिक्त सौर ऊर्जा भी प्राप्त होगी। अत: सौर ऊर्जा उपलब्धता के समय कृषि पंपों का संचालन सोलर ऊर्जा से होगा तथा सोलर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होने पर वर्तमान में मिल रही बिजली मिलती रहेगी।
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प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का होगा आयोजन
चर्चा में क्यों?
6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में नई पहल करते हुए इस वर्ष से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन किये जाने का निर्णय लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में जहाँ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कबड्डी, खो-खो से लेकर टेनिस बॉल क्रिकेट जैसी- खेल प्रतियोगिताएँ होंगी, वहीं बच्चों से लेकर सौ साल के बुजुर्ग भी बतौर प्रतिभागी हिस्सा ले सकेंगे। खास बात यह है कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल में शामिल होने के लिये खिलाड़ी को छत्तीसगढ़ का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल-2022 में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी, पिट्ठुल, वॉलीबाल, हॉकी और टेनिस बॉल क्रिकेट को शामिल किया गया।
- इन खेलों के मुकाबले पुरुष और महिला, दोनों श्रेणियों में होंगे। यह ओलंपिक खेल चार स्तरों- ग्राम पंचायत, ब्लॉक, ज़िला एवं राज्य स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन राजधानी रायपुर में होगा।
- इन खेलों के आयोजन में तकनीकी सहायता हेतु छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण के खेल प्रशिक्षक, राज्य और ज़िला खेल संघ के प्रतिनिधि एवं शिक्षा विभाग के शारीरिक प्रशिक्षण शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल-2022 के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल प्रशिक्षक (कोच) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिये तैयार करेंगे। एथलीटों के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बतौर खिलाड़ी करियर को बढ़ाने का यह सुनहरा मौका होगा।
- प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों एवं 146 ब्लॉक स्तर पर होने वाले खेल आयोजन के लिये अलग-अलग कमेटियाँ गठित की जाएंगी। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक सरपंच होंगे और ब्लॉक स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक विकासखंड अधिकारी होंगे। खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के भोजन, आवागमन एवं अन्य सुविधाओं के लिये ग्राम पंचायतों और विकासखंडों के लिये बजट उपलब्ध कराया जाएगा।
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छत्तीसगढ़ में लघु जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना को मिलेगा बढ़ावा
चर्चा में क्यों?
6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा लघु जलविद्युत नीति की अवधि में 10 वर्ष की वृद्धि का निर्णय लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- कैबिनेट की बैठक में प्रदेश में लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिये विभागीय नीति-2012 की अवधि में वृद्धि के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- वर्तमान में 25 मेगावाट क्षमता की लघु जल विद्युत परियोजना की स्थापना हेतु जारी अधिसूचना, जिसकी अवधि फरवरी 2022 में समाप्त हो चुकी है, में 10 वर्ष की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया।
- गौरतलब है कि ऊर्जा विभाग द्वारा लघु जल विद्युत परियोजनाओं के अंतर्गत 25 मेगावाट क्षमता तक की जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहन देने हेतु वर्ष 2012 में लघु जल विद्युत नीति प्रारंभ की गई, जिसकी समय-सीमा 10 वर्ष पश्चात् फरवरी, 2022 को समाप्त हो गई है।
- विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार राज्य में उपलब्ध जल स्रोतों के उचित दोहन एवं निवेश को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से लघु जल विद्युत नीति की अवधि में वृद्धि किया जाना राज्यहित में है।
- उल्लेखनीय है कि पीक घंटों में पावर मैनेजमेंट राज्य की वितरण कंपनी के लिये एक बड़ी समस्या है। अत: पंप आधारित जल विद्युत परियोजनाओं के अंतर्गत जल का उचित भंडारण एवं प्रबंधन कर पीक घंटों में अतिरिक्त विद्युत उत्पादन किया जा सकता है, जो कि राज्य की वितरण कंपनी के पावर मैनेजमेंट तथा ऊर्जा क्रय बाध्यता पूरी करने में सहायक होगी।
- वर्तमान में राज्य में 65 मेगावाट क्षमता की लघु जलविद्युत परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त लगभग 83 मेगावाट क्षमता की लघु जलविद्युत परियोजनाओं हेतु निवेशकों द्वारा पीपीए निष्पादन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है तथा 171 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं का अंतर्राज्यीय स्वीकृत प्रक्रियागत है।
- प्रारंभिक सर्वे के उपरांत 385 मेगावट क्षमता की लघु जलविद्युत परियोजना की स्थापना हेतु लगभग 25 स्थलों का चिह्नांकन किया जा चुका है। राज्य में लघु जलविद्युत परियोजनाओं में निवेश को आकर्षित करने हेतु लघु जलविद्युत नीति की अवधि में 10 वर्ष की और वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है।
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छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति सलाहकार परिषद का होगा गठन
चर्चा में क्यों?
6 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनुसूचित जाति वर्ग के हित में तत्परता से कार्यवाही एवं उनसे संबंधित नीति विषयक मामलों में अनुशंसा के लिये अनुसूचित जाति सलाहकार परिषद के गठन का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- इस परिषद के गठन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग की बेहतरी और उनके जीवन स्तर में तेजी से सकारात्मक बदलाव लाना है तथा उन्हें शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।
- इस परिषद के गठन से राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग के हित में संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये सार्थक सलाह-मशविरा मिलने के साथ ही बेहतर मॉनिटरिंग हो सकेगी।
- परिषद की अनुशंसा के आधार पर शासन-प्रशासन को अनुसूचित जाति वर्ग की बेहतरी के लिये आवश्यक सुधार के फैसले लेने में मदद मिलेगी।
- परिषद में इस वर्ग के चुने हुए प्रतिनिधि सदस्य समाज की स्थिति एवं समस्याओं के निराकरण में सहभागी बनेंगे। इससे अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याणकारी कार्यक्रमों के संचालन में आसानी होगी।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति से संबंधित विषयक पर अनुशंसा के लिये छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद का गठन पूर्व में ही हो चुका है। इसी तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति सलाहकार परिषद का गठन किया जाएगा।
- इस परिषद में वर्ग विशेष की समस्या, आवश्यकता पर विचार किया जाएगा। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण संबंधी निर्णय लिये जाएंगे।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे तथा भारसाधक मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। परिषद में कुल 20 सदस्य होंगे, जिसमें राज्य विधानसभा में अनुसूचित जाति के कम-से-कम 5 निर्वाचित सदस्य होंगे तथा शेष सदस्य राज्य शासन द्वारा मनोनीत होंगे। भारसाधक सचिव छत्तीसगढ़ शासन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग इस परिषद के सचिव के रूप में कार्य करेंगे।
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