छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर सांस्कृतिक कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रायपुर के महंत घासीदास संग्रहालय के मुक्ता काशी मंच पर राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह आयोजन दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ एक सक्रिय पहल थी, जो आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में विशेषकर अविकसित राज्यों में प्रचलित है।
मुख्य बिंदु:
- यह कार्यक्रम संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग तथा छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
- इंद्रधनुषी और छत्तीसगढ़ी थीम पर रैंप पर थिरकते ट्रांस-मॉडल्स के साथ-साथ ट्रांसजेंडर कलाकारों ने राजस्थानी, कथक, ओडिसी तथा लावणी का मिश्रण नृत्य भी प्रस्तुत किया।
- वरिष्ठ समुदाय के सदस्यों ने सभी कलाकारों को नारियल, शॉल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
ट्रांसजेंडर
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जिसकी लिंग पहचान उसके जैविक लिंग से मेल नहीं खाती।
- इसमें अंतर-लिंगीय भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, लिंग-विषम लैंगिक और किन्नर, हिजड़ा, अरावनी तथा जोगता जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले लोग शामिल हैं।
- भारत की 2011 की जनगणना देश की ‘ट्रांस’ आबादी की संख्या को शामिल करने वाली पहली जनगणना थी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 4.8 मिलियन भारतीय ट्रांसजेंडर के रूप में पहचाने जाते हैं।
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