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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Jun 2023
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देहरादून में डाक विभाग की नई शुरुआत

चर्चा में क्यों?

6 जून, 2023 को उत्तराखंड के डाक सेवा निदेशक अनुसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डाक विभाग अब स्पीड पोस्ट व पार्सल को हवाई सेवा के माध्यम से दिल्ली पहुँचा रहा है। इसके लिये डाक विभाग ने एक हवाई कंपनी के साथ करार किया है। अभी तक यह काम ट्रेन के जरिये किया जाता था।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि डाक विभाग ने रेलवे के साथ मिलकर एक विशेष रेल मेल सर्विस (आरएमएस) शुरू की थी। इसके तहत देहरादून समेत पर्वतीय ज़िलों से दून स्थित मुख्य डाकघर में आने वाले स्पीड पोस्ट व पार्सल को दो ट्रेनों (मसूरी एक्सप्रेस/योगा एक्सप्रेस) के जरिये देहरादून से दिल्ली पहुँचाया जाता था। लेकिन, मसूरी एक्सप्रेस को दिल्ली पहुँचने में लंबा समय लगता है।
  • इसे देखते हुए आरएमएस से मसूरी एक्सप्रेस को हटा दिया गया है। इसके बदले अब डाक विभाग एक हवाई कंपनी की फ्लाइट से स्पीड पोस्ट व पार्सल भेज रहा है। हालाँकि हरिद्वार से चलने वाली योगा एक्सप्रेस ट्रेन से स्पीड पोस्ट व पार्सल भेजे जा रहे हैं, लेकिन विभाग इस ट्रेन के स्थान पर भी दूसरी हवाई कंपनी का विकल्प तलाश रहा है।
  • विदित है कि अभी फिलहाल उन पार्सल और डाक को हवाई सेवा के जरिये दिल्ली पहुँचाया जा रहा है जो महत्त्वपूर्ण हैं। जिसके चलते सप्ताह भर में पहुँचने वाली स्पीड पोस्ट व पार्सल कुछ ही दिन में लोगों तक पहुँच जा रही है। जबकि अन्य स्पीड पोस्ट व पार्सल को विभागीय वाहन से हरिद्वार पहुँचाने के बाद ट्रेन से अहमदाबाद पहुँचाया जा रहा है।
  • जीपीओ में दिनभर में सौ से ज्यादा पार्सल बुक किये जा रहे हैं। इनमें वे भी पार्सल शामिल हैं जो विदेश जाने वाले होते हैं। जबकि दून समेत पर्वतीय इलाकों के अन्य डाक घरों में देशभर के लिये बुक होने वाले पार्सल भी देर शाम को जीपीओ ही आते हैं।

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प्रदेश में पाँच महीने में 12 बाघ-बाघिनों की मौत

चर्चा में क्यों?

5 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में बाघों के संरक्षण के तहत किये जा रहे प्रयासों के बीच उत्तराखंड में लगातार बाघों की मौत हो रही है। यहाँ बीते पाँच महीनों में 12 बाघ-बाघिनों की मौत हो चुकी है।

प्रमुख बिंदु 

  • उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में इस साल अभी तक 12 बाघों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा मौतें सेंट्रल तराई क्षेत्र में हुई हैं। ज्यादातर मौतें आपसी संघर्ष या किसी दुर्घटना में हुई हैं। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊँ को विस्तृत जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
  • विदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष अप्रैल में देश में बाघ गणना-2022 के आँकड़े जारी किये थे। उसमें पिछले चार वर्षों मेंबाघों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई है। देशभर में बाघों की संख्या करीब 3167 बताई गई है।
  • वर्ष 2018 की गणना के अनुसार उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 है। अभी राज्यवार आँकड़े जारी नहीं किये गए हैं, लेकिन उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी इन्हीं आँकड़ों के आधार पर प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना जता रहे हैं। इसके उलट जिस तेजी से बाघों की मौत हो रही है, उससे तस्वीर का रंग धुंधला भी हो सकता है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार, देशभर में इस साल बीते पाँच महीनों में कुल 76 बाघों की मौत हुई है। इनमें 12 बाघ केवल उत्तराखंड में मारे गए। उत्तराखंड में इस साल बाघ की पहली मौत का मामला जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सामने आया था। उसके बाद फरवरी में तीन बाघ नैनीताल और रामनगर में मृत पाए गए। फिर मार्च में दो बाघ चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिविजन में मारे गए।
  • अप्रैल में कॉर्बेट की ढेला रेंज में एक बाघ मृत पाया गया। मई में दो बाघ कालागढ़ डिविजन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मारे गए, जबकि तीन बाघों की मौत का आँकड़ा अभी तक वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया है। बाघों की मौत के कारण अलग-अलग हैं। वर्ष 2022 में 12 महीने में नौ बाघों की मौत दर्ज की गई थी।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2001 से मई 2023 तक उत्तराखंड में मृत बाघों की संख्या 181 है।


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