भारत ने अपना पहला लिक्विड मिरर टेलीस्कोप चालू किया | उत्तराखंड | 07 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित देवस्थल वेधशाला परिसर में भारत ने अपना पहला ‘लिक्विड मिरर टेलीस्कोप’ इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) है, जिसे समुद्र तल से 2,450 मीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया गया है।
- इस टेलीस्कोप को नैनीताल के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (ARIES) के स्वामित्व वाले देवस्थल वेधशाला परिसर में स्थापित किया गया है।
- खगोल विज्ञान अनुसंधान के लिये विकसित किया गया यह दुनिया का पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप है। यह दुनिया में कहीं भी चालू होने वाला अपनी तरह का अकेला टेलीस्कोप है।
- इस टेलीस्कोप का उपयोग दुनिया के किनारे पर मौज़ूद आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय तत्त्वों का निरीक्षण करने के लिये किया जाएगा।
- इस टेलीस्कोप को बेल्जियम, कनाडा, पोलैंड और उज्बेकिस्तान के सहयोग से भारत द्वारा स्थापित किया गया है। इसे बेल्जियम में एडवांस्ड मेकैनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स कॉर्पोरेशन और सेंटर स्पैटियल डी लीज में डिजाइन किया गया और बनाया गया था।
- पारंपरिक दूरबीनों में एकल या घुमावदार सतहों के संयोजन के साथ पॉलिश किये गए काँच के दर्पण होते हैं और विशिष्ट रातों में विशेष खगोलीय पिंडों का निरीक्षण करने के लिये उपयोग किये जाते हैं, जबकि तरल दर्पण दूरबीन (लिक्विड मिरर टेलीस्कोप) परावर्तक तरल पदार्थों, जैसे- मरकरी से बनी होती हैं और सितारों, आकाशगंगाओं, सुपरनोवा विस्फोटों, क्षुद्रग्रहों से लेकर अंतरिक्ष मलबे तक सभी संभावित खगोलीय पिंडों को कैप्चर करते हुए आकाश की एक पट्टी का अवलोकन करता है।