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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 May 2022
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हरियाणा एयरोस्पेस और डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी, 2022

चर्चा में क्यों? 

6 मई, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक मेंहरियाणा एयरोस्पेस और डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी, 2022’ को स्वीकृति प्रदान की गई। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस नीति का उद्देश्य एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र के विकास के लिये पूर्णतया पारिस्थितिक तंत्र सृजित करने पर बल देते हुए आगामी पाँच वर्षों में एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना तथा लगभग 25 हज़ार लोगों के लिये रोज़गार के अवसर सृजित कर हरियाणा को देश के अग्रणी एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।  
  • इस नीति में ऑटो घटकों और ऑटोमोबाइल विनिर्माण क्षेत्र में हरियाणा की अंतर्निहित ताकत का उपयोग करने की परिकल्पना की गई है।  
  • इस नीति के माध्यम से हरियाणा सरकार राज्य में मानव पूँजी विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कदम, जैसे- पाठ्यक्रम विकास, अनुसंधान एवं नवाचार छात्रवृत्ति कार्यक्रम, एयरोस्पेस एवं रक्षा विश्वविद्यालय और फ्लाइंग स्कूल की स्थापना के लिये प्रतिबद्ध है।  
  • यह नीति हरियाणा में एक विश्वस्तरीय एमआरओ बनाने की आवश्यकता को भी पूरा करेगी। साथ ही यह नीति एमएसएमई क्षेत्र के विकास और इसके व्यवसाय के विकास पर विशेष जोर देती है। 
  • राज्य सरकार हरियाणा में मौज़ूदा हवाई अड्डों या नए स्थानों पर नई एमआरओ सुविधाओं की स्थापना के प्रस्तावों को सुविधाजनक और प्रोत्साहित करेगी।  
  • राज्य में एमएसएमई क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये क्लस्टर विकास, बाज़ार संबंधों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, बुनियादी ढाँचे प्रौद्योगिकी तक पहुँच बढ़ाने, नियामक सरलीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर स्पोर्ट तथा वित्तीय प्रोत्साहन की परिकल्पना की गई है।  
  • इस नीति के तहत दिये जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन निम्नलिखित हैं 
  • एफसीआई की 125 प्रतिशत की सीमा तक डी श्रेणी के ब्लॉकों में 10 वर्षों के लिये शुद्ध एसजीएसटी की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।   
  • सी श्रेणी के ब्लॉकों में 8 वर्षों के लिये शुद्ध एसजीएसटी की 75 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।  
  • बी श्रेणी के ब्लॉकों में 7 वर्षों के लिये शुद्ध एसजीएसटी की 50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।  
  • बी, सी और डी ब्लॉकों और हरियाणा में सभी हवाईपट्टियों (हिसार एयपोर्ट को छोड़कर) की 10 किलोमीटर की परिधि में, स्थाई पूँजी निवेश (एफसीआई) का 5 प्रतिशत, अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपए है। 
  • एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर, हिसार और महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट हिसार (एमएएएच) के आस-पास 10 किलोमीटर की परिधि में स्थायी पूँजी निवेश (एफसीआई) का 5 प्रतिशत, अधिकतम सीमा 20 करोड़ रुपए, निवेश किया जाएगा। 
  • बी, सी और डी ब्लॉक में 40,000 रुपए प्रतिमाह से अधिक वेतन वाले सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिये 48,000 रुपए प्रतिवर्ष की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।  
  • बी, सी और डी ब्लॉकों में एयरोस्पेस एवं डिफेंस इकाइयाँ भूमि की खरीद की तारीख से 5 साल के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद बिक्री/पट्टा विलेख पर 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिये पात्र होंगी।  
  • बी, सी और डी ब्लॉक में 10 साल के लिये बिजली शुल्क में 100 प्रतिशत छूट।  
  • उच्च शिक्षा में एविएशन/एयरोस्पेस से संबंधित कोर्स करने वाले छात्रों के लिये एक क्रेडिट गारंटी योजना की पेशकश की जाएगी।  
  • राज्य में अनुसंधान और नवाचार को सुविधाजनक बनाने के लिये वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के साथ पंजीकृत इकाइयों को परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता, अधिकतम 20 करोड़ रुपए तक प्रदान की जाएगी। 

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हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) का नया अध्यक्ष नियुक्त

चर्चा में क्यों? 

6 मई, 2022 को हरियाणा सरकार ने स्वतंत्र कुमार सिंघल को हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • सिंघल ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के महानिदेशक डॉ. हनीफ कुरैशी की उपस्थिति में पदभार ग्रहण किया।  
  • गौरतलब है कि सिंघल रूड़की विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग हैं और उन्होंने सरकारी निजी क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न संगठनों में प्रशासक, योजनाकार और सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं।  
  • नव नियुक्त महानिदेशक सिंघल ने पदभार संभालते ही हरियाणा में अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रमों को गति देने के लिये खेतों में धान की पराली जलाने की समस्या से निपटने हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हरियाणा और आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना को कार्यरूप देने की बात की है।  
  • इसके अलावा उन्होंने कहा कि छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से सौर ऊर्जा का दोहन करने के प्रयास किये जाएंगे। इन प्रयासों से केवल रोज़गार सृजन होगा, बल्कि राज्य की स्वच्छ और हरित अर्थव्यवस्था में भी योगदान होगा। 

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