छत्तीसगढ़ Switch to English
बस्तर पण्डुम महोत्सव
चर्चा में क्यों?
- केंद्रीय गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बस्तर पंडुम महोत्सव को संबोधित किया, जिसमें जनजातीय विरासत का उत्सव मनाया गया तथा नक्सलवाद के उन्मूलन और क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिये चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- सांस्कृतिक पहचान और बस्तर पंडुम:
- छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र अपनी आदिवासी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाजों और विविध आदिवासी व्यंजनों के लिये जाना जाता है।
- बस्तर की इस समृद्ध आदिवासी कला और संस्कृति को पुनर्जीवित करने और इसे देश-विदेश के सामने लाने के लिये बस्तर पण्डुम का आयोजन किया गया।
- इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत आदिवासी नृत्य, लोकगीत, आदिवासी नाटक, वाद्य यंत्र, वेशभूषा, आभूषण, शिल्प और व्यंजन सहित सात विधाओं में प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं।
- अगले वर्ष इसे बारह श्रेणियों में मनाया जाएगा और देश भर से आदिवासी लोग इसमें भाग लेंगे।
- छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र अपनी आदिवासी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाजों और विविध आदिवासी व्यंजनों के लिये जाना जाता है।
- नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई:
- सरकार का लक्ष्य: मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त भारत।
- ग्राम प्रोत्साहन योजना: नक्सल मुक्त घोषित गाँवों को विकास निधि के रूप में 1 करोड़ रुपए मिलेंगे।
- शासन एवं विकास पहल:
- जनजातीय पहचान और इतिहास को बढ़ावा देना: जनजातीय उत्पादों के लिये जीआई टैगिंग और "वोकल फॉर लोकल" पहल।
- जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की राष्ट्रीय मान्यता:
- बस्तर के वीर गुण्डाधुर का सम्मान।
- बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय गौरव दिवस घोषित किया गया।
- 15 नवंबर 2024 को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में 150वीं वर्षगाँठ मनाई गई।

