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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Apr 2023
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लोक भाषाओं के लेखकों को हर साल मिलेगा ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’

चर्चा में क्यों?

5 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक में घोषणा की कि इस साल राज्य सरकार की ओर से लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाऊँनी, गढ़वाली, राज्य की बोलियों व उपबोलियों, हिन्दी, पंजाबी, उर्दू में महाकाव्य, खंडकाव्य रचना, काव्य रचना और साहित्य व अन्य गद्य विधाओं के लिये ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि सचिवालय में वर्ष 2014 के बाद पहली बार मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में संस्थान की प्रबंध कार्यकारिणी सभा की बैठक हुई, जिसमें बताया गया कि लोक भाषाएँ व बोलियाँ राज्य की पहचान व गौरव हैं तथा आगामी मई में भव्य समारोह आयोजित कर उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि धन अभाव के कारण अपनी पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करा पाने वाले राज्य के रचनाकारों को भाषा संस्थान की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में आंशिक अनुदान दिया जाएगा।
  • यह भाषा संस्थान की एक बहुआयामी योजना होगी, जिसमें शोध पत्रों का वाचन, भाषा संबंधी विचार विनिमय, साहित्यिक शोभा यात्रा, लोक भाषा सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
  • उन्होंने राज्य के प्रत्येक जनपद में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन आयोजन करने के तथा प्रत्येक जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल व ई-पुस्तकालय स्थापित करने के भी निर्देश दिये।
  • बैठक के दौरान राज्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर पुस्तक मेले में साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन की भी स्वीकृति दी गई।
  • बैठक में उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से साहित्यिक व शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन पर भी सहमति बनी। इसके साथ ही लोक भाषाओं के मानकीकरण के लिये कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की स्वीकृति दी गई।
  • राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में गढ़वाली, कुमाऊँनी व जौनसारी बोलियों को बोलने वाले व लिखने वाले अलग-अलग हैं, जिनके लेखन में शब्दों का विभेद है। गढ़वाली एवं कुमाऊँनी बोली भाषा वर्तनी के मानकीकरण की आवश्यकता है। संस्थान की ओर से उत्तराखंड में जनपद व राज्य स्तरीय भाषायी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।


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डिम्मर गाँव आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में चयनित

चर्चा में क्यों?

5 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड के देहरादून में शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि प्रदेश के संस्कृत निदेशालय ने राज्य के 13 ज़िलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके अंतर्गत चमोली ज़िले के डिम्मर गाँव का चयन किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • डिम्मर गाँव में महिलाओं से लेकर बच्चों और बुजुर्गों को संस्कृत भाषा सिखाई जाएगी। इसके लिये गाँव में एक संस्कृत प्रशिक्षित व्यक्ति का चयन किया जाएगा, जो ग्रामीणों को संस्कृत भाषा बोलना सिखाएगा। इसके लिये उसे 12000 रुपए प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा।
  • विदित है कि कर्णप्रयाग-सिमली मोटर मार्ग पर कर्णप्रयाग से 7 किलोमीटर की दूरी पर डिम्मर गाँव स्थित है। 500 परिवारों के इस गाँव में लगभग 250 ब्राह्मण, 150 राजपूत और 100 अनुसूचित जाति के परिवार रहते हैं। डिम्मर गाँव के डिमरी ब्राह्मण बदरीनाथ धाम में पूजा-अर्चना का जिम्मा सँभालते हैं। साथ ही, वह माता मूर्ति से लेकर जोशीमठ नृसिंह मंदिर में भी पूजा का दायित्व सँभालते हैं।
  • बदरीनाथ धाम के गाडू घड़ा का संचालन भी डिम्मर गाँव से होता है। इसके अलावा बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा संपन्न होने के बाद बदरीनाथ के रावल भी डिम्मर गाँव के लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा के लिये पहुँचते हैं। इन सब धार्मिक कार्यक्रमों में अधिकाधिक संस्कृत का प्रयोग होता है। इसलिये इस योजना के तहत डिम्मर गाँव का चयन किया गया है।
  • इसके तहत अब गाँव के सभी वर्गों के लोगों को संस्कृत भाषा बोलना सिखाया जाएगा। साथ ही, गाँव में संस्कृत ग्राम शिक्षा समिति का गठन भी किया जाएगा। समिति की ओर से प्रतिमाह संस्कृत भाषा पर चर्चा की जाएगी। इसकी मानिटरिंग संस्कृत शिक्षा विभाग करेगा।
  • उल्लेखनीय है कि डिम्मर गाँव में वर्ष 1918 से संस्कृत महाविद्यालय का संचालन हो रहा है। पूर्व में डिमरी ब्राह्मणों की ओर से ही महाविद्यालय का संचालन किया जाता था। मौजूदा समय में महाविद्यालय को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से संचालित किया जाता है।
  • यहाँ कक्षा छह से आचार्य तक की कक्षाओं का संचालन होता है। डिमरी परिवारों ने महाविद्यालय के संचालन के लिये अपनी 30 नाली भूमि भी दान में दी थी और यहाँ एक छात्रावास भी है।
  • गौरतलब है कि संस्कृत देश की द्वितीय राजभाषा है। इसके प्रचार-प्रसार के लिये सभी को आगे आने की आवश्यकता है।  

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हरिद्वार-ऋषिकेश के लिये री-डेवलपमेंट प्लान, दून में बनेगी कैपिटल सिटी

चर्चा में क्यों?

5 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धर्मनगरी हरिद्वार और योग नगरी ऋषिकेश की ऐतिहासिक विरासतों का संरक्षण करते हुए राज्य सरकार री-डेवलपमेंट प्लान ला रही है। वहीं, रायपुर में कैपिटल सिटी और जौलीग्रांट में एयरोसिटी निर्माण की प्रक्रिया भी आगे बढ़ने लगी है।

प्रमुख बिंदु 

  • मैकेंजी ग्लोबल ने हाल ही में इस बदलाव का प्रस्तुतिकरण भी दिया है। इसके तहत कृषि भूमि का अधिग्रहण कर उस पर ग्रीन फील्ड टाउनशिप विकसित करने की भी योजना है।
  • हरिद्वार में चार क्षेत्रों देवपुरा से भूपतवाला (दूधा धारी चौक), हर की पौड़ी और आसपास के 1.5 किमी. क्षेत्र, कनखल क्षेत्र में दक्ष मंदिर व सन्यास रोड और भूपतवाला से सप्तऋषि आश्रम में भारत माता मंदिर तक हेरिटेज मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है।
  • इसके तहत भारत माता मंदिर, हर की पौड़ी, मनसा देवी, माया मंदिर, नारायणी शिला मंदिर, सती कुंड, दक्ष मंदिर, हनुमान मंदिर और चंडी देवी मंदिर को शामिल किया जाएगा। जबकि ऋषिकेश में तीन क्षेत्रों को इसके लिये चिन्ह्ति किया गया है।
  • जानकारी के अनुसार राज्य सरकार रायपुर में 85 हेक्टेयर भूमि पर कैपिटल सिटी बनाने जा रही है। इसके लिये वन विभाग ने 60 हेक्टेयर ज़मीन भी दे दी है।
  • रायपुर में कैपिटल सिटी बनाने से सरकार की करीब 200 एकड़ भूमि पर बनी सरकारी इमारतें खाली हो जाएंगी। मैकेंजी ग्लोबल का आकलन है कि यह संपत्ति 5000 से 6000 करोड़ कीमत की होगी। इसस शहरों में बड़े पैमाने पर विकास का खाका तैयार हो सकेगा। वहीं, इन क्षेत्रों में निर्माण पर एक्सट्रनल डेवलपमेंट चार्ज देना होगा।
  • यह कैपिटल सिटी उत्तर में रायपुर से थानो रोड तक, दक्षिण में हरिद्वार रोड तक, पश्चिम में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सीमा को छोड़कर नाले के पूरब तक और पूरब में भोपालपानी, बडासी ग्रांट व कालीमाटी ग्राम की सीमा तक बनेगी।
  • 60 हेक्टेयर भूमि पर सचिवालय, विधानसभा, निदेशालय, प्रोजेक्ट ऑफिस बनेंगे। जबकि महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के पास 25 हेक्टेयर ज़मीन पर आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाएगा। निजी निवेश करने वालों को यहाँ 30 साल तक छूट मिलेगी।
  • जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास राज्य सरकार एयरोसिटी बनाने जा रही है। इसमें इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी, मेडिकल, हॉस्पिटैलिटी और कॉमर्शियल कांप्लेक्स बनेंगे। यहाँ एयरपोर्ट से संबंधित इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग, हेलीपोर्ट, नाइट लैंडिंग की सुविधा भी मिल सकती है।
  • इससे पाँच से छह हजार युवाओं को रोज़गार मिलेगा। हर साल यहाँ पाँच से छह हजार करोड़ का कारोबार होगा। राज्यवासियों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकेंगी।
  • यह 100 एकड़ ज़मीन पर बनेगा। इसमें 50 एकड़ में आईटी सिटी, 20 एकड़ में मेडि सिटी, 15 एकड़ में कॉमर्शियल और 15 एकड़ में हॉस्पिटैलिटी का प्रोजेक्ट बनेगा।
  • यहाँ विदेशों की तर्ज पर पार्क स्थापित किया जाएगा। पार्क में जॉगिंग, साइकिलिंग ट्रैक और ध्यान लगाने के लिये हट की व्यवस्था होगी। साथ ही लैंड स्केपिंग और आस्ट्रेलियन ग्रास लगाने पर विचार चल रहा है। वहीं, हर मौसम में पार्कों में फूल और हरियाली नज़र आएगी।

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