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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Mar 2025
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हरियाणा में सरकारी विश्वविद्यालयों पर बढ़ता ऋण

चर्चा में क्यों? 

हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री ने सरकार द्वारा अनुदान के स्थान पर ऋण देने के बाद राज्य संचालित विश्वविद्यालयों पर बढ़ते ऋण को उजागर करने के लिये एक अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। 

मुख्य बिंदु 

  • बढ़ता विश्वविद्यालय ऋण:
    • हरियाणा के 22 राज्य विश्वविद्यालयों पर ऋण के साथ अनुदान सहायता नीति में बदलाव के कारण 6,625.82 करोड़ रुपए का ऋण जमा हो गया है। 
    • बढ़ते ऋण से अनुसंधान, शिक्षण और यहाँ तक कि विश्वविद्यालयों के अस्तित्व पर भी असर पड़ सकता है। 
  • सरकार का औचित्य:
    • राज्य सरकार का कहना है कि यह धनराशि “ब्याज मुक्त स्थायी ऋण के रूप में गैर-वसूली योग्य वित्तीय सहायता” योजना के तहत प्रदान की जाती है। 
    • अधिकारियों का तर्क है कि अनुदान सहायता को राजस्व व्यय के रूप में गिना जाता है, जबकि ऋण को पूंजीगत व्यय के रूप में गिना जाता है, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालयों के लिये परिसंपत्तियों का निर्माण और राजस्व उत्पन्न करना है। 
  • स्व-वित्तपोषण मॉडल पर चिंताएँ:
    • अनुदान सहायता के स्थान पर ऋण देने के निर्णय का व्यावहारिक अर्थ यह है कि सभी सरकारी विश्वविद्यालयों को स्व-वित्तपोषण पद्धति अपनानी होगी, जिससे विश्वविद्यालयों को फीस बढ़ाने के लिये बाध्य होना पड़ेगा, जिससे निम्न एवं मध्यम वर्ग के छात्रों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करना अप्राप्य हो जाएगा। 
  • सहायता अनुदान 
    • सहायता अनुदान एक सरकार द्वारा दूसरी सरकार, निकाय, संस्था या व्यक्ति को दी जाने वाली सहायता, दान या अंशदान की प्रकृति के भुगतान हैं। 
    • राज्य सरकारों को दिये जाने वाले अनुदान सहायता के अलावा, केंद्र सरकार अन्य एजेंसियों, निकायों और संस्थाओं को अनुदान सहायता के रूप में पर्याप्त धनराशि देती है। 
    • इसी प्रकार, राज्य सरकारें भी एजेंसियों, निकायों और संस्थानों जैसे विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, सहकारी संस्थाओं आदि को अनुदान सहायता वितरित करती हैं।
    • इस प्रकार जारी किये गए अनुदान का उपयोग इन एजेंसियों, निकायों और संस्थाओं द्वारा दिन-प्रतिदिन के परिचालन व्ययों को पूरा करने और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिये किया जाता है। 


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हरित ऊर्जा मुक्त पहुँच विनियमों में संशोधन किया

चर्चा में क्यों?

हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) ने अपने ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस विनियम, 2023 में संशोधन किया है। 

मुख्य बिंदु 

  • खुली पहुँच के लिये विस्तारित पात्रता: 
    • 100 किलोवाट या उससे अधिक की अनुबंधित मांग वाले उपभोक्ता, चाहे एकल कनेक्शन के माध्यम से या वितरण लाइसेंसधारी के एक ही विद्युत परिचालन प्रभाग के अंतर्गत 100 किलोवाट या उससे अधिक की कुल क्षमता वाले एकाधिक कनेक्शनों के माध्यम से, अब हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के लिये पात्र हैं। 
  • अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिये अतिरिक्त अधिभार छूट बढ़ाई गई: 
    • दिसंबर 2032 तक चालू की गई अपतटीय पवन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली और ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाने वाली बिजली को अतिरिक्त अधिभार से छूट दी जाएगी। यह पिछली छूट को आगे बढ़ाता है, जो केवल दिसंबर 2025 तक लागू थी। 
  • गैर-स्वतंत्र फीडर उपभोक्ताओं के लिये खुली पहुँच पर स्पष्टीकरण: 
    • स्वतंत्र फीडरों से जुड़े नहीं रहने वाले पात्र उपभोक्ता ओपन एक्सेस का लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते वे सिस्टम की बाध्यताओं और अपने वितरण लाइसेंसधारी द्वारा लगाए गए किसी भी बिजली कटौती प्रतिबंध को स्वीकार करें। ऐसे प्रतिबंधों के कारण कम निकासी की भरपाई नहीं की जाएगी। 

हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) 

  • इसकी स्थापना 17 अगस्त 1998 को हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम, 1997 के प्रावधान के अनुसार एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। 
  • हरियाणा भारत का दूसरा राज्य था जिसने विद्युत क्षेत्र में सुधार एवं पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की। 
  • हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम, 1997 को हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा 22 जुलाई 1997 को पारित किया गया था। 20 फरवरी 1998 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद, यह अधिनियम 14 अगस्त 1998 को लागू हुआ।


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