मुख्यमंत्री ने डी.जी. वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया | उत्तर प्रदेश | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
5 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर डी.जी. वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मोबाइल डी.जी. वैन जनता को डिजिटल इंडिया के बारे में जानकारी प्रदान करेगी।
प्रमुख बिंदु
- जी-20 कार्यक्रम के अंतर्गत इस मोबाइल डी.जी. वैन का उद्देश्य जनता को डिजिटल इंडिया के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
- यह डी.जी. वैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित डिजिटल इंडिया अभियान की महत्त्वपूर्ण डिजिटल नव पहलों- ‘माई गॉव’, ‘डिजी लॉकर’, ‘ई-हॉस्पिटल’, ‘ई-नाम’, ‘जेम पोर्टल’, ‘यू.पी.आई.’, ‘उमंग’, ‘जी.एस.टी.एन.’, ‘साइबर सुरक्षित भारत’, ‘आरोग्य सेतु’आदि को दिखाएगी।
- इस वैन में वी.आर. सेटअप भी है, जिसके माध्यम से लोग विभिन्न प्रकार के डिजिटल एप्लीकेशन, जैसे यूपीआई एप्लीकेशन के माध्यम से पेट्रोल पंप पर भुगतान, डिजिलॉकर के माध्यम से ट्रैफिक पुलिस को अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाना इत्यादि का वर्चुअल डेमो देख सकेंगे।
- उत्तर प्रदेश ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है। डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। खाद्य एवं रसद विभाग के अंतर्गत राशन की दुकानों में ई-पॉस मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। इससे खाद्यान्न वितरण में पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था स्थापित हुई है।
- भू-तत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के तहत खनन प्रबंधन के लिये 'माइन मित्रा' एवं अन्य तकनीकी अवसंरचनाओं का सृजन किया गया।
- इस वैन में 2 स्क्रीन, इंट्रैक्टिव क्विज के लिये हैं, जिस पर डिजिटल इंडिया व जी-20 के बारे में व्यक्ति अपने ज्ञान को प्रदर्शित कर सकते है।
- इसी क्रम में प्रदेश के युवाओं को डिजिटल रूप से सशक्त और सक्षम बनाने के लिये, राज्य सरकार द्वारा ‘स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना’ के अंतर्गत ‘डिजीशक्ति पोर्टल’ के माध्यम से छात्र-छात्राओं को टैबलेट/स्मार्टफोन नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- आगामी 5 वर्षों में कुल 2 करोड़ टैबलेट/स्मार्टफोन वितरित किये जाने का लक्ष्य है। अब तक 20 लाख युवाओं को नि:शुल्क टैबलेट/स्मार्टफोन प्रदान किये जा चुके हैं।
- बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिये प्रेरणा पोर्टल विकसित किया गया है। तकनीक का बेहतर उपयोग करके मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076, 1090- विमेन पावर लाइन हेल्पलाइन को समुचित रूप से क्रियान्वित कराया जा रहा है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर संक्रमित एवं निगरानी क्षेत्र के प्रत्येक ज़िले में ब्लॉक स्तर पर त्वरित कार्यवाही दल गठित | राजस्थान | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को राजस्थान पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि प्रदेश में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामलों को गंभीरता से लेते हुए पशुपालन विभाग ने प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में ब्लॉक स्तरीय दलों का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि संक्रमित क्षेत्र (इंफेक्टेड जोन), निगरानी क्षेत्र (सर्विलेंस ज़ोन) एवं मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) के आधार पर गठित इन दलों द्वारा संक्रमित एवं शूकर वंशीय पशुओं के विचरण स्थल पर पहुँचकर सर्वेक्षण कर रोग की रोकथाम एवं निदान के लिये हर-संभव कार्यवाही की जा रही है।
- गठित दलों द्वारा संक्रमित एवं मृत शूकरों के सैंपल एकत्र कर अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि के लिये राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, निषाद भोपाल भिजवाए जा रहे हैं।
- डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि रोग के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को अलर्ट जारी कर शूकर वंशीय पशुओं को इस रोग से बचाने एवं पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिये प्रत्येक ज़िले के प्रभावित क्षेत्रों में रोग सर्वेक्षण, रोग निदान, प्रतिबंधित/मुक्त क्षेत्र चिन्हित कर ‘क्षेत्र विशिष्ट कार्यवाही’निष्पादित की जाएगी।
- शूकर वंशीय संक्रमित पशुओं एवं संपर्क में आए अन्य शूकरों का वैज्ञानिक रीति से यूथेनाइज, क्षेत्र का विसंक्रमण, वेक्टर कंट्रोल, जैव कचरे, पशु आहार एवं अन्य कचरे आदि का निस्तारण किया जाएगा, ताकि रोग पर नियंत्रण किया जा सके।
- वहीं जंगली शूकरों में रोग प्रकोप नियंत्रण के लिये वन विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित कर कार्यवाही की जा रही है।
- उल्लेखनीय है कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल (Haemorrhagic Viral) बीमारी है। इस रोग के अन्य लक्षणों में उच्च बुखार, अवसाद, एनॉरेक्सिया, भूख में कमी, त्वचा में रक्तस्राव, डायरिया आदि शामिल हैं।
- अफ्रीकन स्वाइन फीवर पहली बार वर्ष 1920 के दशक में अफ्रीका में पाया गया था। ऐतिहासिक रूप से, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों, दक्षिण अमेरिका और कैरीबियन में संक्रमण की सूचना मिली है।
- हालाँकि वर्ष 2007 के बाद से अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू और जंगली सूअरों में इस बीमारी की सूचना मिली है।
- इसमें मृत्यु दर लगभग 95-100% है और इस बुखार का कोई इलाज नहीं है, इसलिये इसके प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है।
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक बीमारी है।
मुख्यमंत्री ने एचडीएफसी बैंक की 20 शाखाओं का किया शुभारंभ | मध्य प्रदेश | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्यामला हिल्स स्थित मानस भवन में एचडीएफसी के एटीएम का फीता काटकर बैंक की 20 शाखाओं का वर्चुअली शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने कहा है कि एचडीएफसी बैंक द्वारा प्रदेश में स्व-रोज़गार की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और महिला स्व-सहायता समूहों को सशक्त करने में दिया जा रहा सहयोग सराहनीय है।
- मध्य प्रदेश में एचडीएफसी के मुंबई स्थित हेड ऑफिस तथा प्रदेश की 20 शाखाएँ वर्चुअली जुड़ीं।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि 17 लाख 33 हज़ार करोड़ की जमा राशि, 15 लाख 6 हज़ार करोड़ के अग्रिम ऋण और 22 लाख 95 हज़ार करोड़ की बैलेंस शीट के साथ एचडीएफसी भारत का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है।
- इस बैंक का साख जमा अनुपात (सी.डी. रेशियो) 118 प्रतिशत है, जो दर्शाता है कि बैंक द्वारा राज्य के विभिन्न सेक्टर्स को दिया जा रहा ऋण प्रशंसनीय है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंक जनजातीय बहुल और दूरदराज के ज़िलों में साख जमा अनुपात को बेहतर करने के लिये विशेष रूप से प्रयास करे।
- एचडीएफसी बैंक की जिन शाखाओं का वर्चुअल शुभारंभ किया, उनमें भोपाल की श्यामला हिल्स शाखा, जबलपुर की स्नेह नगर तथा सदर शाखा, इंदौर की मनोरमा गंज, भानपुरा, भौरासला और बसंत विहार शाखा, उज्जैन की तराना शाखा सम्मिलित हैं।
- साथ ही सीहोर की बुधनी, राजगढ़ की खिलचीपुर और कुरावर, निवाड़ी की ओरछा, खंडवा की मूंदी, खरगौन की महेश्वर, दमोह की पलांदी चौराहा, अनूपपुर की बिजौरी, मंडला की नैनपुर, रीवा की गोलपार्क, सतना की पन्ना रोड तथा आगर-मालवा की नरखेड़ा शाखा भी शामिल हैं।
कैनोए स्लालोम प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश ने दो स्वर्ण पदक जीते | मध्य प्रदेश | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में मध्य प्रदेश के महेश्वर के सहस्रधारा में जारी कैनोए स्लालोम प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश ने दो स्वर्ण पदक जीते हैं।
प्रमुख बिंदु
- पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल कैनोए या वाटर स्लालोम इवेंट के लड़कों के के2 इवेंट में प्रद्युम्न सिंह राठौर ने बाजी मारी। एमेराल्ड इंटरनेशनल स्कूल के छात्र ने 300 मीटर कोर्स पूरा करने के लिये 850 सेकेंड समय लिया और स्वर्ण पदक जीता, जबकि दूसरे स्थान पर रहे मेघालय के प्रिंसगेन कुरबाह ने 98.310 सेकेंड समय लिया। गुजरात के अनक चौहान को तीसरा स्थान मिला। अनक ने 104.030 सेकेंड में रेस पूरी की।
- इसी तरह लड़कियों के कैनोए स्लालोम सी2 इवेंट में मध्य प्रदेश की मानसी बाथम ने बाजी मारी। मानसी से 250 मीटर कोर्स पर रेस पूरी करने के लिये 596 सेकेंड समय लिया और स्वर्ण पदक जीता। प्रीति पाल (हरियाणा) उनसे काफी पीछे 491.172 सेकेंड के साथ दूसरे और धृति मारिया (कर्नाटक) 559.120 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।
36 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी में ‘हरियाणवी पगड़ी’ पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र बनी | हरियाणा | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित किये जा रहे 36वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी में ‘हरियाणवी पगड़ी’पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
प्रमुख बिंदु
- हरियाणा का ‘आपणा घर’में विरासत की ओर से जो सांस्कृतिक प्रदर्शनी लगाई गई है, वहाँ पर ‘पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ’के माध्यम से बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हरियाणा की पगड़ी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
- विरासत के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा की पगड़ी को अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में खूब लोकप्रियता हासिल हो रही है। पर्यटक पगड़ी बांधकर हुक्के के साथ सेल्फी, हरियाणवी झरोखे से सेल्फी, हरियाणवी दरवाजों के साथ सेल्फी, आपणा घर के दरवाजों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से हरियाणा की लोक सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक पगड़ी खूब लोकप्रियता हासिल कर रही है।
- महासिंह पूनिया ने बताया कि उद्घाटन के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी हरियाणवी पगड़ी बांधकर सूरजकुंड मेले का उद्घाटन किया था। पगड़ी की परंपरा का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना है। पगड़ी जहाँ एक ओर लोक सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ी हुई है, वहीं पर सामाजिक सरोकारों से भी इसका गहरा नाता है।
- हरियाणा के खादर, बांगर, बागड़, अहीरवाल, बृज, मेवात, कौरवी क्षेत्र सभी क्षेत्रों में पगड़ी की विविधता देखने को मिलती है। प्राचीन काल में सिर को सुरक्षित ढंग से रखने के लिये पगड़ी का प्रयोग किया जाने लगा।
- पगड़ी को सिर पर धारण किया जाता है। इसलिये इस परिधान को सभी परिधानों में सर्वोच्च स्थान मिला। पगड़ी को लोकजीवन में पग, पाग, पग्गड़, पगड़ी, पगमंडासा, साफा, पेचा, फेंटा, खंडवा, खंडका आदि नामों से जाना जाता है, जबकि साहित्य में पगड़ी को रूमालियो, परणा, शीशकाय, जालक, मुरैठा, मुकुट, कनटोपा, मदील, मोलिया और चिंदी आदि नामों से जाना जाता है।
- वास्तव में पगड़ी का मूल ध्येय शरीर के ऊपरी भाग (सिर) को सर्दी, गर्मी, धूप, लू, वर्षा आदि विपदाओं से सुरक्षित रखना रहा है, किंतु धीरे-धीरे इसे सामाजिक मान्यता के माध्यम से मान और सम्मान के प्रतीक के साथ जोड़ दिया गया, क्योंकि पगड़ी शिरोधार्य है। यदि पगड़ी के अतीत के इतिहास में झाँक कर देखें तो अनादिकाल से ही पगड़ी को धारण करने की परंपरा रही है।
लोहरदगा में दिखे दो दुर्लभ प्रवासी पक्षी | झारखंड | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के लोहरदगा में 149 वर्ष बाद कछमाछी स्थित नंदी धाम में फिर दो दुर्लभ प्रवासी पक्षी ‘लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क’हिन्दी नाम ‘गरुड़’और स्थानीय नाम ‘गांडागंदुर’नजर आये हैं।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले लोहरदगा में वर्ष 1874 में एक गरुड़ दिखा था। हालाँकि, झारखंड में इससे पहले वर्ष 2011 में साहिबगंज की उधवा लेक बर्ड सेंचुरी में चार की संख्या में ये लुप्तप्राय पक्षी नजर आए थे। वहीं 2012 में सरायकेला-खरसावां के रंगामाटी में एक गरुड़ नज़र आया था।
- झारखंड प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा जगह है। यही कारण है कि नवंबर से ही विभिन्न जिलों के जलाशय, पोखर और नदी के आसपास के दलदली इलाकों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों के झुंड नज़र आने लगते हैं।
- वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट संजय खाखा ने बताया कि 5 फरवरी, 2023 को बर्ड वाचिंग के दौरान उन्हें ये पक्षी नंदी धाम स्थित दलदली इलाके के ऊंचे पेड़ों पर बैठे नज़र आए।
- संजय खाखा ने बताया कि नजर आए गरुड़ पक्षी वयस्क हैं। इनकी लंबाई करीब 55 इंच है। आमतौर पर यह पक्षी ऊँचे पेड़ पर अपना निवास ढूंढते हैं, ताकि आम लोगों की नज़र से दूर रहें।
- इन गरुड़ में नर और मादा को फर्क करना मुश्किल है। दोनों का रंग सामान्यत: समान होता है। जबकि नर का शरीर मादा से भारी आँका गया है। मादा की लंबाई 45 से 50 इंच तक आँकी गई है।
- वयस्क गरुड़ का चेहरा लाल, सिर का रंग भूरा और सफेद, पतली गर्दन का रंग पीला, पंख का रंग ग्रे (सिलेटी रंग) और शरीर का रंग सफेद होता है।
- गौरतलब है कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) स्टॉर्क यानी सारस प्रजाति के पक्षी लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क को 2020 में लुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में चिह्नित कर चुकी है। तेजी से कम होती इन पक्षियों की संख्या को देखते हुए इन्हें विलुप्तप्राय यानी रेड लिस्ट कैटेगरी में शामिल किया गया है।
शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा को लाइव्स रियल हीरोज ऑफ इंडिया अवार्ड से नवाज़ा गया | छत्तीसगढ़ | 07 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरिया ज़िले की शासकीय प्राथमिक शाला सकड़ा के सहायक शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट प्रदर्शन के लिये 4 फरवरी को नई दिल्ली में ‘आस एक प्रयास’ट्रस्ट द्वारा लाइव्स रियल हीरोज ऑफ इंडिया अवार्ड 2023 से नवाज़ा गया।
प्रमुख बिंदु
- सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद और आचार्य प्रद्युम्न (योग गुरु बाबा रामदेव के गुरु) ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
- ‘आस एक प्रयास’ संस्था द्वारा हर वर्ष देशभर से विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मानवता एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित एवं विशिष्ट लोगों को सम्मानित किया जाता है।
- ‘नीली छतरी वाले गुरुजी’ के नाम से विख्यात शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ने कोरोना काल में बच्चों को सुरक्षित रखते हुए पढ़ाई से जोड़े रखा। उनकी कहानी सभी को प्रेरणा देती है कि जीवन को कैसे महान बनाया जा सकता है।
- कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौरान उन्होंने सोचा कि बच्चे स्कूल नहीं जा सकते तो क्यों न स्कूल को ही बच्चों तक ले जाया जा सके। तब उन्होंने अपनी मोटर साइकिल पर घंटी, ग्रीन बोर्ड, छोटा सा पुस्तकालय और नीली छतरी सजाकर गाँव के एक मोहल्ले में बच्चों को बिना एक दूसरे से संपर्क बनाए पढ़ाना शुरू किया तब से इनका नाम ‘नीली छतरी वाले गुरुजी’ भी पड़ा।
- कोरोना काल में बच्चों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से जोड़े रखने की यह सुरक्षित तरीका प्रधानमंत्री को भी भाया। उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इसका जिक्र भी किया। शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ने अपने मित्रों के साथ मिलकर पहुंच विहीन और नेटवर्क रहित क्षेत्रों के लिये सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में ‘मोहल्ला क्लास’ का कॉन्सेप्ट दिया, जो आगे चलकर देशभर में काफी चर्चित और लोकप्रिय हुआ।
- शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ने सुदूर वनांचल ग्राम सकड़ा के प्राथमिक शाला का शासन एवं समाज के सहयोग से कायाकल्प कर उसे एक आदर्श स्कूल के रूप से स्थापित किया।
- शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा अनुभव आधारित शिक्षण पर ज़ोर देते हैं और सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाने का प्रयास करते हैं, उनके विद्यालय पर कई डॉक्यूमेंट्री भी बनी है, जिसका प्रदर्शन एससीईआरटी और एनसीईआरटी में भी किया गया है। विगत वर्षों में इनके विद्यालय के कई बच्चों का चयन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में हुआ है।
- शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ‘निपुण भारत अभियान’ के तहत एफएलएन के 5 सदस्यीय टीम में शामिल हैं। उन्होंने एनसीईआरटी नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ की ओर से प्रस्तुति भी दी है। ‘लाईफ्स रियल हीरो’पुस्तक में उनके जीवन के ऊपर विस्तृत प्रकाश डाला गया है, जो सभी कर्मठ शिक्षकों को प्रेरित एवं गौरवान्वित करता है।