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लोहरदगा में दिखे दो दुर्लभ प्रवासी पक्षी
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के लोहरदगा में 149 वर्ष बाद कछमाछी स्थित नंदी धाम में फिर दो दुर्लभ प्रवासी पक्षी ‘लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क’हिन्दी नाम ‘गरुड़’और स्थानीय नाम ‘गांडागंदुर’नजर आये हैं।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले लोहरदगा में वर्ष 1874 में एक गरुड़ दिखा था। हालाँकि, झारखंड में इससे पहले वर्ष 2011 में साहिबगंज की उधवा लेक बर्ड सेंचुरी में चार की संख्या में ये लुप्तप्राय पक्षी नजर आए थे। वहीं 2012 में सरायकेला-खरसावां के रंगामाटी में एक गरुड़ नज़र आया था।
- झारखंड प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा जगह है। यही कारण है कि नवंबर से ही विभिन्न जिलों के जलाशय, पोखर और नदी के आसपास के दलदली इलाकों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों के झुंड नज़र आने लगते हैं।
- वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट संजय खाखा ने बताया कि 5 फरवरी, 2023 को बर्ड वाचिंग के दौरान उन्हें ये पक्षी नंदी धाम स्थित दलदली इलाके के ऊंचे पेड़ों पर बैठे नज़र आए।
- संजय खाखा ने बताया कि नजर आए गरुड़ पक्षी वयस्क हैं। इनकी लंबाई करीब 55 इंच है। आमतौर पर यह पक्षी ऊँचे पेड़ पर अपना निवास ढूंढते हैं, ताकि आम लोगों की नज़र से दूर रहें।
- इन गरुड़ में नर और मादा को फर्क करना मुश्किल है। दोनों का रंग सामान्यत: समान होता है। जबकि नर का शरीर मादा से भारी आँका गया है। मादा की लंबाई 45 से 50 इंच तक आँकी गई है।
- वयस्क गरुड़ का चेहरा लाल, सिर का रंग भूरा और सफेद, पतली गर्दन का रंग पीला, पंख का रंग ग्रे (सिलेटी रंग) और शरीर का रंग सफेद होता है।
- गौरतलब है कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) स्टॉर्क यानी सारस प्रजाति के पक्षी लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क को 2020 में लुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में चिह्नित कर चुकी है। तेजी से कम होती इन पक्षियों की संख्या को देखते हुए इन्हें विलुप्तप्राय यानी रेड लिस्ट कैटेगरी में शामिल किया गया है।
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