बिहार के सारण में राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) पर कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का शिलान्यास | बिहार | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
5 फरवरी, 2022 को केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग व आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार के सारण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) पर कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का शिलान्यास किया। साथ ही उन्होंने पटना से गुवाहाटी के लिये अंतर्देशीय जलमार्ग पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का निर्माण बिहार के सारण ज़िले में गंगा नदी पर 78.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। एक बर्थ वाले टर्मिनल की क्षमता 77,000 टीईयू प्रति वर्ष होगी और टर्मिनल को कंटेनर ट्रैफिक को संभालने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस टर्मिनल के निर्माण से उत्तर बिहार में सड़क परिवहन पर दबाव कम होने के साथ ही इस क्षेत्र में विशेष रूप से नेपाल के लिये कार्गो के परिवहन के लिये एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा।
- अंतर्देशीय जलमार्ग पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री पटना के गायघाट बंदरगाह से गुवाहाटी स्थित पांडु के लिये 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न ले जा रहा है। यह बांग्लादेश से होते हुए मार्च 2022 की शुरुआत तक गंतव्य स्थल तक पहुँचेगा।
- यह पोत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) के भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, ट्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर से होते हुए यात्रा करेगा। इससे आगे यह इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2 के धुबरी व जोगीघोपा होते हुए 2,350 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
- पटना (बिहार) से पांडु (गुवाहाटी) तक जहाज़ पर खाद्यान्न की पायलट आवाजाही से ‘गेटवे ऑफ नॉर्थ ईस्ट’(असम) के लिये एक नया द्वार खुलेगा और गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये निर्बाध जलमार्ग कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- इस ऐतिहासिक उपलब्धि से उत्तर-पूर्व भारत के सभी राज्यों के लिये विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई है। यह जलमार्ग उन भूबंधित क्षेत्रों से होकर जाएगा, जो लंबे समय से विकास के संबंध में पिछड़ा हुआ है। यह जलमार्ग न केवल इस क्षेत्र में प्रगति की राह में भौगोलिक बाधा को दूर करता है, बल्कि व्यापार व इस क्षेत्र के लोगों के लिये एक सस्ता, तेज और सुविधाजनक परिवहन भी प्रदान करता है।
जयपुर के चौंप में विश्व के तीसरे सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास | राजस्थान | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
5 फरवरी, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर के चौंप में विश्व के तीसरे सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
प्रमुख बिंदु
- जयपुर का यह स्टेडियम अहमदाबाद के मोटेरा एवं ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के बाद विश्व का तीसरा और भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम होगा। इसकी दर्शक क्षमता 75 हज़ार होगी।
- इस स्टेडियम के निर्माण के लिये बीसीसीआई राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को 100 करोड़ रुपए अनुदान देगी।
- यह स्टेडियम 5 साल में लगभग 650 करोड़ की लागत से दो चरणों में बनेगा। पहले चरण में 40 हज़ार दर्शक क्षमता और दूसरे चरण में 35 हज़ार दर्शकों की बैठक क्षमता को विकसित किया जाएगा।
- राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा बनवाए जा रहे इस अत्याधुनिक स्टेडियम में 11 क्रिकेट पिच, 2 प्रैक्टिस ग्राउंड, क्रिकेट अकादमी, हॉस्टल, जिम, रेस्टोरेंट के साथ ही कॉन्फ्रेंस हाल का निर्माण किया जाएगा।
- जयपुर में एसएमएस स्टेडियम, जोधपुर में बरकतुल्ला खाँ स्टेडियम, उदयपुर में बन रहे स्टेडियम तथा जयपुर के पास चौंप में अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बनने से राजस्थान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चार स्टेडियम होंगे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में 1931 में राजपूताना क्रिकेट संघ बना था। वर्तमान में प्रदेश के 33 ज़िलों में क्रिकेट संघ बने हुए हैं।
स्टार्टअप एक्सपो-2022 | मध्य प्रदेश | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
5-6 फरवरी, 2022 को मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैनिट भोपाल के इंटरप्रेन्योरशिप सेल द्वारा दो दिवसीय स्टार्टअप एक्सपो-2022 का आयोजन किया गया। इस एक्सपो का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।
प्रमुख बिंदु
- इस एक्सपो के माध्यम से 17 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने और स्टार्टअप स्थापित करने के लिये दिशा-दर्शन देने का कार्य किया गया। मैनिट के विद्यार्थियों, देश-विदेश के उद्यमियों, निवेशकों और प्रमोटर्स को जोड़ने के लिये इंटरप्रेन्योरशिप सेल बनाया गया है।
- मुख्यमंत्री ने कहा है मध्य प्रदेश शीघ्र ही नई स्टार्टअप पॉलिसी तैयार कर उसे लागू करेगा। इसके अलावा ग्लोबल स्टार्टअप इन्वेस्टर्स समिट के विचार को भी ज़मीन पर उतारा जाएगा। इस वर्ष मध्य प्रदेश में स्थापित स्टार्टअप में से कम से कम दो स्टार्टअप को यूनिकार्न स्टार्टअप का दर्जा दिलाने के प्रयास किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि एक बिलियन डॉलर से अधिक मार्केट वैल्यू से यूनिकार्न बनते हैं। देश में इस समय 80 से अधिक यूनिकार्न बन गए हैं। एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत में डेकाकार्न कंपनियाँ भी स्थापित होने लगी हैं। डेकाकार्न 10 बिलियन डॉलर से अधिक की मार्केट वैल्यू से संभव होता है।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में लगभग 1800 स्टार्टअप स्थापित हो चुके हैं। इसमें से 40 प्रतिशत स्टार्टअप महिलाओं ने स्थापित किये हैं।
प्रोजेक्ट मीराई का वर्चुअली शुभारंभ | मध्य प्रदेश | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
5 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने ‘प्रोजेक्ट मीराई’ का वर्चुअली शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- नीमच ज़िले के जावद विकासखंड के 20 हायर सेकंडरी शालाओं के 60 विद्यार्थियों का चयन ‘प्रोजेक्ट मीराई’ में जापानी भाषा सीखने के लिये हुआ है।
- ‘प्रोजेक्ट मीराई’ में जावद विकासखंड के 200 विद्यार्थियों का चयन किया गया था जिनका कौशल परीक्षण इन्फोसिस द्वारा ऑनलाइन किया गया।
- परीक्षण के बाद मेरिट के आधार पर 60 विद्यार्थियों का चयन किया गया, जिन्हें 7 फरवरी से जावद विकासखंड के दो क्लस्टर में प्रतिदिन 2 घंटे का ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रशिक्षण देकर जापानी भाषा का कोर्स करवाया जाएगा।
- इस कोर्स के बाद विद्यार्थियों को स्नातक के लिये जापान जाने का अवसर प्राप्त होगा जहाँ ये विद्यार्थी स्नातक करने के साथ ही रोज़गार भी प्राप्त करेंगे।
- ज्ञातव्य है कि ‘प्रोजेक्ट मीराई’ इन्फोसिस स्प्रिंग बोर्ड एवं निर्माण संगठन के सहयोग से जावद क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है।
- ‘प्रोजेक्ट मीराई’ का उद्देश्य नीमच ज़िले के इच्छुक छात्रों को जापानी भाषा में प्रशिक्षण देकर और उन्हें जापान में स्नातक की पढ़ाई करने के लिये प्रोत्साहित कर इंडो-जापानी उद्यमियों का पोषण करना है।
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में देखे गए 124 प्रजातियों के लगभग 28,000 प्रवासी पक्षी | हरियाणा | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (वन्यजीव) निरीक्षक राजेश चहल ने बताया कि इस शीत ऋतु में गुरुग्राम के सुल्तानपुर गाँव में स्थित राष्ट्रीय उद्यान (सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य) को 28,026 प्रवासी पक्षियों ने घोंसला बनाने के लिये चुना है।
प्रमुख बिंदु
- उन्होंने बताया कि 124 पक्षी प्रजातियाँ पहले ही यहाँ आ चुकी हैं, जबकि ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, रेड हेडेड फाल्कन, इंपीरियल ईगल, कॉमन केस्ट्रेल, व्हाइट टेल्ड लैपविंग, ब्लैक टेल्ड गॉडविट को कई वर्षों के बाद यहाँ देखा गया है।
- हरियाणा के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एम.एल. राजवंशी ने बताया कि भारत विभिन्न पक्षी प्रजातियों के प्रजनन और विशेष मौसम में पालने के लिये सबसे अनुकूल परिदृश्यों में से एक है। हरियाणा का तापमान इसे साइबेरिया और दुनिया के अन्य हिस्सों की कठोर जलवायु से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिये उपयुक्त परिदृश्य बनाता है।
- राजेश चहल ने बताया कि सितंबर और अक्टूबर के बीच लगभग 29 देशों से सर्दियों में प्रवास के लिये पक्षी आते हैं और मार्च तक वापसी की यात्रा करते हैं। इस साल सर्दी शुरू होने से काफी पहले ही राष्ट्रीय उद्यान में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया था, चूँकि पार्क में पक्षियों के लिये एक आदर्श आवास है, इसलिये हर साल बड़ी संख्या में पक्षी आराम करने और भोजन करने के लिये हज़ारों मील की दूरी पर इस आर्द्रभूमि में आते हैं।
- हर साल पक्षियों की संख्या और क्षेत्र में आने वाली प्रजातियों को नोट करने के लिये पार्क में पक्षियों की गिनती की जाती है। इससे प्रवास के पैटर्न और पार्क की पारिस्थितिकी को समझने में मदद मिलती है।
- हाल ही में 30 जनवरी को संपन्न हुई पक्षी गणना के दौरान, सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार प्रवासी पक्षी, जैसे- ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, रेड हेडेड फाल्कन, इंपीरियल ईगल, कॉमन केस्ट्रेल, व्हाइट टेल्ड लैपविंग, ब्लैक टेल्ड गॉडविट को पहली बार देखा गया।
- सुल्तानपुर नेशनल पार्क में पक्षियों, उभयचरों और तितलियों सहित जीवों की 600 से अधिक प्रजातियाँ हैं। पक्षियों की 417 से अधिक प्रजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, 16 स्तनपायी प्रजातियाँ, तितलियों की 40 प्रजातियाँ, 16 सरीसृप और 5 उभयचर प्रजातियाँ हैं।
- राजेश चहल ने बताया कि आमतौर पर पार्क में उड़ने वाले प्रवासी पक्षियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: वेडर (पानी पर निर्भर पक्षी), बत्तख (थोड़ा गहरे पानी पर निर्भर) और वार्बलर (रीड पसंद करते हैं)।
- स्टेट ऑफ इंडियाज़ बर्ड्स, 2020 के अनुसार, भारत में पाए जाने वाले पक्षियों की 1,220 प्रजातियों में से 280 लंबी दूरी की प्रवासी हैं, जबकि 116 उपमहाद्वीप की प्रवासी हैं और शेष प्रजातियाँ आमतौर पर देश की सीमाओं के भीतर रहती हैं।
‘पोस्ट कार्ड्स फ्रॉम झारखंड’ डॉक्यू | झारखंड | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
4 फरवरी, 2022 को नेशनल ज्योग्राफिक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष ‘पोस्ट कार्ड्स फ्रॉम झारखंड’नाम से बनने वाली डॉक्यूमेंट्री का प्रेजेंटेशन दिया।
प्रमुख बिंदु
- इस डॉक्यूमेंट्री में चार अलग-अलग फिल्में होंगी। पहली फिल्म में बेतला-मैक्लुस्कीगंज-नेतरहाट और आस-पास के क्षेत्र, दूसरी फिल्म गिरिडीह- देवघर -मलूटी और आस-पास के क्षेत्र, तीसरी फिल्म में जमशेदपुर- खूंटी और सरायकेला और आस-पास के क्षेत्र तथा चौथी फिल्म राँची-हज़ारीबाग और आस-पास के क्षेत्रों में अवस्थित पर्यटक स्थलों पर आधारित होगी।
- मुख्यमंत्री ने नेशनल ज्योग्राफिक के प्रतिनिधियों को अपने कुछ सुझाव भी दिये। जैसे झारखंड पर्यटन पर कॉफी टेबल बुक तैयार करना, ताकि इसके माध्यम से झारखंड पर्यटन से जुड़ी जानकारी लोगों से साझा की जा सके।
- झारखंड खान और खनिज के अलावा यहाँ के लोगों खासकर आदिवासियों और उनकी परंपरा, रीति-रिवाज, कला-संस्कृति, खानपान और रहन-सहन के साथ प्राकृतिक सौंदर्य, प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर, पुरातात्त्विक अवशेष, हेरिटेज, मेगालिथ, अध्यात्म और एडवेंचर्स स्पोर्ट्स आदि के क्षेत्र में काफी समृद्ध है। जैसे- हजारीबाग के इस्को गाँव में मिली रॉक पेंटिंग दो से पाँच हज़ार ईसा पूर्व की बताई जाती है वहीं गुमला ज़िले के कोजेंगा के जंगल से हज़ारों साल पुरानी एक रॉक पेंटिंग प्राप्त हुई है।
नरवा के उपचार से जल स्तर 1.6 मीटर तक बढ़ा | छत्तीसगढ़ | 07 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक सरकारी सर्वेक्षण में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ की महत्त्वाकांक्षी ‘नरवा, गरुआ, घुरवा और बारी’योजना के तहत राज्य के गाँवों में नालों के उपचार के कारण संबंधित गाँवों में कुओं और नलकूपों में भूजल स्तर 1.6 मीटर बढ़ गया है।
प्रमुख बिंदु
- एक आधिकारिक बयान के मुताबिक पिछले तीन साल में राज्य के 2,477 नाले का उपचार किया गया। उपचार में स्टॉप डैम का निर्माण, मिट्टी के बोल्डर चेक, गली प्लग और ब्रश हुड का निर्माण शामिल है।
- उपचार कार्यों में 614 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई और राज्य भर में नाले को पुनर्जीवित किया गया।
- बयान में कहा गया है कि जिन गाँवों से ये नाले गुजरते हैं, उनका भूजल स्तर 0.20 से 1.60 मीटर के बीच बढ़ गया है। नाले के किनारे अपने खेत रखने वाले ग्रामीणों को लाभ हुआ और वे अब दोहरी फसलों के लिये जाने में सक्षम हैं।