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बिहार के सारण में राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) पर कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का शिलान्यास
चर्चा में क्यों?
5 फरवरी, 2022 को केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग व आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार के सारण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) पर कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का शिलान्यास किया। साथ ही उन्होंने पटना से गुवाहाटी के लिये अंतर्देशीय जलमार्ग पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का निर्माण बिहार के सारण ज़िले में गंगा नदी पर 78.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। एक बर्थ वाले टर्मिनल की क्षमता 77,000 टीईयू प्रति वर्ष होगी और टर्मिनल को कंटेनर ट्रैफिक को संभालने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस टर्मिनल के निर्माण से उत्तर बिहार में सड़क परिवहन पर दबाव कम होने के साथ ही इस क्षेत्र में विशेष रूप से नेपाल के लिये कार्गो के परिवहन के लिये एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा।
- अंतर्देशीय जलमार्ग पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री पटना के गायघाट बंदरगाह से गुवाहाटी स्थित पांडु के लिये 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न ले जा रहा है। यह बांग्लादेश से होते हुए मार्च 2022 की शुरुआत तक गंतव्य स्थल तक पहुँचेगा।
- यह पोत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) के भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, ट्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर से होते हुए यात्रा करेगा। इससे आगे यह इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2 के धुबरी व जोगीघोपा होते हुए 2,350 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
- पटना (बिहार) से पांडु (गुवाहाटी) तक जहाज़ पर खाद्यान्न की पायलट आवाजाही से ‘गेटवे ऑफ नॉर्थ ईस्ट’(असम) के लिये एक नया द्वार खुलेगा और गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये निर्बाध जलमार्ग कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- इस ऐतिहासिक उपलब्धि से उत्तर-पूर्व भारत के सभी राज्यों के लिये विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई है। यह जलमार्ग उन भूबंधित क्षेत्रों से होकर जाएगा, जो लंबे समय से विकास के संबंध में पिछड़ा हुआ है। यह जलमार्ग न केवल इस क्षेत्र में प्रगति की राह में भौगोलिक बाधा को दूर करता है, बल्कि व्यापार व इस क्षेत्र के लोगों के लिये एक सस्ता, तेज और सुविधाजनक परिवहन भी प्रदान करता है।
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